भिंड। मध्यप्रदेश के भिंड में कोटा बैराज से लगातार छोड़े जा रहे पानी से 23 साल बाद चंबल नदी का पानी खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। नदी के किनारे बसे 19 गांव टापू बन गए हैं। नदी का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का पानी लोगों के घरों में घुसने की संभावना प्रबल हो गई है।
चंबल नदी के किनारे बसे भिंड जिले के अटेर क्षेत्र के 19 गांवों में बाढ़ के हालात हैं। अटेर किला के पीछे बने शासकीय महाविद्यालय में चंबल का पानी पहुंच गया है। अटेर से देवालय, खेराहट, मुकुटपुरा और चामुंडा मंदिर को जाने वाले रास्ते जलभराव के कारण बंद हो गए हैं।
इन रास्तों पर स्थित कई पुलियों और रपटों के ऊपर से पानी बह रहा है। चंबल नदी 124.31 मीटर पर बह रही है जबकि खतरे का निशान 119.80 है। चंबल के साथ-साथ सिंध नदी में भी लगातार जलस्तर बढ़ रहा है।
कलेक्टर छोटे सिंह और एएसपी संजीव कंचन ने रविवार को अटेर में चंबल और रौन में मेहदा घाट का दौरा किया। बाढ़ग्रस्त गांवों को जाने वाले रास्तों पर पतली रस्सी बांधकर होमगार्ड सैनिकों को तैनात कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि चंबल में कोटा बैराज से पानी छोड़े जाने की सूचना मिलने पर अलर्ट जारी किया गया था। शाम तक नदी का जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ना शुरू हो गया था। अटेर कॉलेज के समीप से गुजरने वाले गांव के रास्ते पर 7 फीट से ज्यादा पानी भर गया था। नीचे बने घरों में पानी भरने की आशंका बढ़ गई है।
जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री एचएस शर्मा ने बताया कि सिंध नदी में मेहदा घाट का जलस्तर 3.70 मीटर पर पहुंच गया है, जो कि 24 घंटे पहले 1.80 मीटर पर चल रहा था। यह अभी खतरे के निशान से काफी नीचे हैं। सिंध नदी के किनारे बसे 33 गांव डूब क्षेत्र में आ गए हैं।
जिले के ग्रामीणों ने बताया कि इस साल बाजरा की फसल अच्छी होने की उम्मीद थी, लेकिन बाजरा की फसल पानी में डूबकर नष्ट हो गई है। ग्रामीणों ने बताया है कि प्रशासन ने बाढ़ राहत का पर्याप्त प्रबंध नहीं किए हैं।