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MP : कूनो के बाद गांधी सागर अभयारण्य में चीते भरने लगे फर्राटे, मुख्यमंत्री ने चीतों को खुले बाड़े में छोड़ा

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

भोपाल , रविवार, 20 अप्रैल 2025 (22:39 IST)
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मालवा क्षेत्र के मंदसौर में गांधी सागर अभयारण्य की भूमि पर प्रभास और पावक चीतों को खुले बाड़े में छोड़ा। चीतों के फर्राटे के साथ 20 अप्रैल, रविवार का दिन मालवा की भूमि के लिए ऐतिहासिक दिवस के रूप मे दर्ज हो गया। देश में पहली बार अंतर्राज्यीय स्तर पर चीतों का पुनर्वास हुआ है। यह दोनों चीते आज श्योपुर कूनो से मंदसौर के गांधी सागर अभयारण्य पहुंचे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने समारोह पूर्वक इन चीतों को खुले बाड़े में छोड़ा। यहां पर्याप्त संख्या में चीतल चिंकारा और छोटे जानवर हैं। दोनों 6 वर्षीय युवा चीते कूनो राष्ट्रीय उद्यान में खुले में ही घूम कर शिकार कर रहे थे।

इसलिए इन्हें सीधे खुले बाड़े में छोड़ा गया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि चीता प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विश्व में सबसे अधिक सफल मध्यप्रदेश में हुआ है। पुनर्वास के बाद श्योपुर के कूनो में दुनिया में सबसे अधिक चीतों का जन्म हुआ है। मालवा की भूमि पर हम चीतों का स्वागत करते हैं। चीतों के आने से मंदसौर और नीमच जिलों मे पर्यटन की संभावनाओं को पंख लग जायेंगे। राजस्थान और मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिलों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय लोगों को रोजगार के नये अवसर मिलेंगे, उनके जीवन स्तर में भी सुधार होगा। पर्यटकों की संख्या बढ़ने से अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा। वन्य पर्यावरण की दृष्टि से मध्यप्रदेश की धरा पर चीतों का सफलतापूर्वक पुनर्वास किया गया है।
 
कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, सांसद सुधीर गुप्ता, विधायक अनिरुद्ध मारू हरदीप सिंह डंग, पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्य नारायण जटिया, अपर मुख्य सचिव वन अशोक वर्नवाल, संभाग आयुक्त संजय गुप्ता और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी असीम श्रीवास्तव के साथ बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित रहे।
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प्रभास और पावक का कूनो से गांधी सागर अभयारण्य का सफर श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क से गांधीसागर अभयारण्य के लिए दो नर चीते प्रभास और पावक को 20 अप्रैल, रविवार की सुबह रवाना किया गया था। सीसीएफ उत्तम कुमार शर्मा और डॉक्टर ओंकार अचल सहित 20 लोगों की टीम चीतों के साथ गाँधी सागर अभयारण्य पहुंची। यह टीम गांधी सागर में 7 दिन रुकेगी।

इस दौरान वह स्थानीय स्टाफ को चीतों की देख-रेख के गुर सिखाएगी। इन चीतों को अलग-अलग वाहनों में लाया गया है, जो श्योपुर, बारां, कोटा और झालावाड़ होते हुए मंदसौर पहुंचे। वाहन और पिंजरे को कूनो नेशनल पार्क में सैनिटाइज किया गया था। गांधी सागर अभयारण्य में 37 किमी का एक बाड़ा बनाया गया है। आपात स्थिति से निपटने के लिए इमरजेंसी सुविधाओं वाला वाहन और मेडिकल टीम भी साथ रही।

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