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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया सुवर्ण प्राशन संस्कार का शुभारंभ

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, मंगलवार, 18 जनवरी 2022 (17:36 IST)
भोपाल। राजधानी के तुलसी नगर स्थित आरोग्य भारती कार्यालय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता एवं मुख्य वक्ता के रूप में आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. अशोक कुमार वार्ष्णेय ने सुवर्ण प्राशन संस्कार का शुभारंभ किया गया। अतिथियों ने कार्यक्रम के प्रारंभ  में भगवान धन्वन्तरि की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्जवलन से किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सुखी जीवन की पहली शर्त है, पहला सुख निरोगी काया, हमारे ऋषियों की यह चिंता कि मनुष्य कैसे स्वस्थ रहेय जब हम बीमार हो तब ही चिकित्सा कराये, ऐसा न होकर प्रयास यह होना चाहिए कि हम बीमार ही ना हो। भारतीय संस्कारों में से एक सुवर्ण प्राशन संस्कार है। हमारे गांव में भी सुवर्ण शलाका से शहद चटाते थे। यह वर्षों पुराना संस्कार है। हमारे सभी संस्कार वैज्ञानिक दृष्टि से प्रामाणिक है। पुराने जमाने में जब बुखार आता था तो उपचार वैद्य जी के द्वारा ही किया जाता था। वैद्य जी बैलगाड़ी या घोड़ागाड़ी में बैठकर आते थे और शहद के साथ मिलाकर दवा देते थे। सुवर्ण प्राशन संस्कार इसलिए है कि बच्चे स्वस्थ रहे, बीमार ना हों एवं कुपोषण के शिकार भी ना हो। पहले बच्चों को जन्म के साथ घुट्टी पिलाई जाती थी, धीरे-धीरे यह प्रक्रिया बंद हो गई है।
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भारत में पहले से ही व्यवस्था थी कि हम कैसे बीमारियों पर नियंत्रण करें। आरोग्य भारती ने बच्चों को सुवर्ण प्राशन संस्कार कराने का निर्णय लिया है जो साधुवाद योग्य है। आयुर्वेदिक परंपरा अत्यंत प्रभावशाली है एवं आयुर्वेद में लम्बे समय तक नये-नये शोध नहीं हुए जिसके परिणामस्वरूप एलोपेथिक के मुकाबले आयुर्वेद की चर्चा कम होती है।

अब सरकार इस पर कार्य कर रही है। आरोग्य भारती ने संपूर्ण देश में काढ़ा का वितरण किया। हम चाहते है कि आरोग्य भारती, महिला बाल विकास विभाग की आंगनबाड़ी के साथ मिलकर सुवर्ण प्राशन संस्कार को आगे बढ़ाये। आयुर्वेद की यह परंपरा कायम रहने के साथ-साथ बढ़ती रहेय इस दिशा में आरोग्य भारती को जो भी सहयोग चाहिए वह सरकार उपलब्ध करायेगी। 
 
इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आयुष मंत्रालय द्वारा बालकों को कोविड से बचाव के लिए जारी निर्देशों के आधार पर अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा विकसित बाल रक्षा किट का भी वितरण किया। 

आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. अशोक कुमार वार्ष्णेय ने अपने उदबोधन में बताया कि वर्तमान काल में बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास अच्छे प्रकार से हो यह हर माता-पिता की इच्छा होती है। सुवर्ण प्राशन संस्कार पुरातन काल से चला आ रहा है, लेकिन वर्तमान दौर में हम अपनी पुरातन संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। आरोग्य भारती ने एक बार फिर इस संस्कार को पुनर्जीवित कर लोगों को जागरूक करने की दिशा में कार्य प्रारंभ किया है और हमारा लक्ष्य शून्य से 16 वर्ष तक की आयु के बच्चों का सुवर्ण प्राशन संस्कार करने का हैं।

आयुर्वेदाचार्यों ने बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से चिंतन कर सुवर्ण प्राशन की विधि तैयार की है, जिसमें सुवर्ण के गुणों से युक्त ऐसे कल्प का उपयोग किया जाता है जो हमारे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि कर सभी प्रकार के रोगों से रक्षा करने में सहायक हैय साथ ही अनेक प्रकार के शारीरिक व मानसिक गुणों की वृद्धि कर बच्चों को सर्वगुण सम्पन्न करने में भी उपयोगी है। सुवर्ण प्राशन संस्कार का आयोजन प्रत्येक माह के पुष्य नक्षत्र के दिन किया जाता है। कार्यालय में इसकी शुरूआत विगत दो माह पूर्व की गई थी। हमारा प्रयास हैं कि यह कार्यक्रम सम्पूर्ण प्रदेश एवं देश में वृहद स्तर पर आयोजित हो। उत्तर प्रदेश में विद्याभारती के साथ मिलकर लखनऊ में 3000 विद्यार्थियों में जुलाई 2021 से सुवर्ण प्राशन संस्कार चलाया जा रहा है, जिसके अच्छे परिणाम सामने दिख रहे है। भोपाल में  भी इसी तरह के प्रयास किये जा रहे है। भविष्य की दृष्टि से कोरोना कालखण्ड में आयुर्वेद एवं होम्योपेथी की उपयोगिता को देखते हुए प्रदेश के प्रमुख स्थानों पर आयुष विधा (आयुर्वेद एवं होम्योपेथी) के कॉलेजों के साथ-साथ केन्द्र सरकार के सहयोग से एक आयुष विश्वविद्यालय प्रारंभ करने का भी आग्रह किया गया। 
 
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर प्रदेश के आयुष मंत्री रामकिशोर कावरे जी उपस्थित थे आरोग्य भारती के महानगर अध्यक्ष डॉ. अभिजीत देशमुख ने आभार व्यक्त किया।
 

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