छतरपुर। मध्यप्रदेश के छतरपुर में एक 13 साल का बच्चा ऑनलाइन गेम में 40000 रुपए हार गया। भारी रकम हारने के बाद डिप्रैशन में उसने फांसी लगाकर जान दे दी। मासूम ने एक सोसाइड नोट भी लिखा है।
छतरपुर के सागर रोड पर 13 वर्षीय एक बच्चा फ्री फायर नामक ऑनलाइन गेम में 40 हजार रुपए हार गया। उसने अपने घर मे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बच्चे को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए उसके माता पिता ने मोबाइल दिया था।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक नींव अकेडमी में पढ़ने वाले इस बच्चे ने पहले हिंदी और इंग्लिश में सुसाइड नोट लिखा। इसमें फ्री फायर गेम में 40 हजार हारने के जिक्र किया। बच्चे ने सुसाइड नोट में लिखा- मां पापा मुझे माफ़ करना। मैं बहुत ज्यादा पैसे गेम में हार गया। जिससे में डिप्रैशन में हूं इसलिए आत्महत्या कर रहा हूं।
बताया जा रहा है कि रुपयों के लेनदेन को लेकर छात्र की मां के फोन पर संदेश आया ,जिसके बाद मां ने अपने बेटे को इसके लिए डांट लगाई थी। इस पर लड़के ने कमरे में खुद को बंद कर लिया। कुछ देर बाद उसकी बड़ी बहन वहां पहुंची तो उसने कमरा अंदर से बंद पाया और इसकी सूचना अपने माता-पिता को दी। उन्होंने बताया कि कमरे के दरवाजे को तोड़ा गया तो लड़का पंखे से लटका मिला।
पीएम मोदी ने भी जताई थी ऑनलाइन गेम्स पर चिंता : हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑनलाइन और डिजिटल गेम्स के बच्चों पर पड़ने वाले खतरनाक प्रभावों को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि अधिकांश गेस्स के कांसेप्ट या तो वॉयलेंस कोप्रमोट करते हैं या मेंटल स्ट्रेस का कारण बनते हैं। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि जितने भी ऑनलाइन या डिजिटल गेम्स मार्केट में हैं उनमें से अधिकतर का कांसेप्ट भारतीय नहीं है।
बच्चे गेम्स एडिक्शन के शिकार : ऑनलाइन गेम्स के बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव को भोपाल की रहने वाली पांच साल की रुचिका (परिवर्तिति नाम) के केस से अच्छी तरह समझ सकते है। रुचिका 4 साल की उम्र से ही मोबाइल पर गेम देख रही है और खेल रही थी। एक दिन अचानक से जब मां ने रुचिका को मोबाइल देखने से मना किया तो रुचिका मां को मारने लगी और कहने लगी मैं तुम्हे मार डालूंगी।
रुचिका का यह बोलना मां के लिए अचंभित करने वाला था। उन्होंने पति के ऑफिस आते ही बातें साझा की और अगले ही मनोचिकित्सक से संपर्क किया। डॉक्टर से बात करते हुए जब माता-पिता ने रुचिका के व्यवहार के बारे में बताया जो डॉक्टर की बात सुनकर उनके होश उड़। डॉक्टर ने कहा कि रुचिका गेम एडिक्शन की शिकार हो रही है और जैस गेम में दिखाया जा रहा वह ऐसा ही कर रही है। पिछले एक पखवाड़े की थैरेपी के बाद रुचिका अक्रामक व्यवहार में थोड़ा सुधार आया है।
क्या कहते हैं मनोचिकित्सक : मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि ऑनलाइन गेम्स की लत के शिकार बच्चों के व्यवहार में अक्रामकता के साथ अवसाद, एडीएचडी, एंग्जायटी और नॉवेल्टी सीकिंग प्रवृत्ति होना देखा गया है। कोरोनाकाल में बच्चों के घर में कैद होने के चलते मोबाइल पर उनकी निर्भरता बढ़ी है इसलिए गेम एडिक्शन के शिकार बच्चों की संख्या में बड़े पैमाने पर बढ़ोत्तरी है।
वह उदाहरण देते हुए कहते हैं कि जब बच्चे किसी ऑनलाइन गेम में जीतते हैं, तो उस वक्त माता-पिता भी उसको बढ़ावा दे देते है जिससे बच्चा प्रोत्साहित होता और वह बार-बार वह गेम खेलना शुरू कर देते हैं। धीरे-धीरे यह लत लग जाती है और यह उतनी ही खतरनाक है, जितनी किसी व्यक्ति को नशे की लत लगना। इसके लिए पैरेंट्स को बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत है।