भविष्य की चिंता, इंदौर के कैथोलिक ईसाई समाज ने बनाईं बहुस्तरीय कब्रें
भविष्य की चिंता, इंदौर के कैथोलिक ईसाई समाज ने बनाईं बहुस्तरीय कब्रें
Multi tier graves in Indore: मध्यप्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर में कब्रिस्तानों में जगह की कमी के मद्देनजर कैथोलिक ईसाई समुदाय ने अनूठी पहल की है। समाज ने ऐसी कब्रों का निर्माण किया है, जिनमें एक से अधिक लोगों को दफनाया जा सकेगा। संभवत: भारत में यह अपने आप में पहला प्रयोग है।
बिशप चाको थोट्टूमरिकल ने वेबदुनिया से बातचीत में बताया कि शहरों में जगह की कमी रहती है। इंदौर भी इससे अछूता नहीं है। भविष्य में शवों को दफन के लिए समाज के लोगों को शहर से 20-30 किलोमीटर दूर न जाना पड़े, इसलिए हमने यह कदम उठाया है। पहले चरण में हमने अपने एक कब्रिस्तान में कंक्रीट की 64 बहुस्तरीय कब्रें (Multi tier Graves) बनवाई हैं। इनमें कब्रों के अलग-अलग स्तरों में चार शवों को दफनाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि कंचनबाग क्षेत्र के कैथोलिक कब्रिस्तान के एक हिस्से में कंक्रीट की 64 कब्रें बनवाई हैं। इन कब्रों में एक के ऊपर एक बनाए गए स्तरों में चार शवों को अलग-अलग ताबूतों समेत दफनाया जा सकता है। भविष्य कब्रों की संख्या को और बढ़ाया जाएगा। पांच स्तरों वाली ये कब्रें करीब 15 फुट गहरी, 4.5 फुट चौड़ी और 6.5 फुट लंबी हैं।
बिशप चाको ने बताया कि बताया इन कब्रों में सबसे नीचे का स्तर खाली रखा जाएगा। दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें स्तर में शवों को दफनाया जाएगा। हरेक शव के अवशेषों को 5 साल बाद सबसे नीचे के स्तर में पहुंचा दिया जाएगा। इससे कब्रों में नए शवों को जगह मिल सकेगी।
उन्होंने बताया कि हम तीन और चरणों में ऐसी कब्रों के निर्माण पर विचार कर रहे हैं। ऐसी कब्रों में करीब 1000 शवों को बिना किसी परेशानी के दफनाया जा सकेगा। चाको ने बताया कि कैथोलिक समुदाय का जूनी इंदौर क्षेत्र में एक और कब्रिस्तान है, लेकिन वहां जगह भर चुकी है। अब कंचनबाग कब्रिस्तान में शवों को दफनाया जा रहा है। कैथोलिक समुदाय के कब्रिस्तानों में साल भर में करीब 100 शवों को दफनाने के लिए लाया जाता है।
दूसरे समुदायों के लिए भी काम : बिशप चाको ने बताया कि उनकी संस्था सिर्फ कैथोलिक ईसाई समुदाय के लिए ही काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि अन्य समुदाय के गरीब और वंचित लोगों के लिए सतत काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 31 बस्तियों में शिक्षा केन्द्र चलाए जा रहे हैं, साथ 40 बाल संसद भी बनाई गई हैं, ताकि बच्चों में नेतृत्व क्षमता का विकास हो सके। बाल संसद में बच्चों को मंत्रिमंडल जैसे पद दिए जा सकते हैं, इससे उनका आत्म विश्वास बढ़ाने में मदद मिलती है। बाल संसद का संचालन करीब 10 वर्षों से किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि हमारी संस्था द्वारा शहर में 41 स्कूल चलाए जा रहे हैं। इनमें 57 हजार से ज्यादा बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। हम सेंटपॉल इंस्टीट्यूट के नाम से एक महाविद्यालय भी संचालित कर रहे हैं। न सिर्फ कोरोनाकाल बल्कि हर दौर में हमने कमजोर तबके बच्चों की फीस माफ करवाई है। अब तक करीब 42 करोड़ तक फीस की छूट हम बच्चों को दिलवा चुके हैं।
बिशप चाको ने बताया कि निचली बस्तियों, ग्रामीण इलाकों में लोगों को आत्मनिर्भर बनाने का काम भी संस्था कर रही है। इसके तहत लोगों को विभिन्न प्रशिक्षण, व्यवसाय शुरू करने के लिए लोन दिलवाना, स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन आदि शामिल है। बिशप कहते हैं कि हमारे सेवा कार्य धर्म और जाति से परे हैं।