अमेरिका से लेकर भारत तक बच्चों के हिंसक होकर गोलीबारी की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। अमेरिका के टेक्सस प्रांत में 18 साल के किशोर ने अंधाधुध फायरिंग कर 19 मासूम बच्चों की हत्या कर दी। वहीं पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बेटे ने पबजी खेलने से रोकने पर अपनी मां की गोली मारकर हत्या कर दी। हिंसा की घटनाओं में लगातार बच्चों के शामिल होने से देश में ऑनलाइन गेम्स और बच्चों के व्यवहार में आ रहे परिवर्तन को लेकर फिर बहस तेज हो गई है।
कंडक्ट डिसऑर्डर और बच्चों में लक्षण- बच्चों और किशोरों के लगातार हिंसा की घटनाओं में शामिल होने का बड़ा कारण मनोचिकित्सक बच्चों में बढ़ती कंडक्ट डिसऑर्डर की समस्या को बताते है। मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि बच्चों में कंडक्ट डिसऑर्डर की समस्या तेजी से बढ़ती हुई देखी जा रही हैं।
बच्चे का आक्रमक व्यवहार,हिंसात्मक स्वभाव,गुस्सा होना, उत्तेजित होना,बार-बार झूठ बोलना भी कंडक्ट डिसऑर्डर के लक्षण है। कंडक्ट डिसऑर्डर में बच्चा ऐसे व्यवहार को बार-बार दोहराता जिससे दूसरों को कष्ट पहुंचता हो। वहीं साथ के बच्चों को दिक्कत महसूस होती हो जैसे साथियों को धमकाना, मारना, चिढ़ाना, चोरी करना आदि कंडक्ट डिसऑर्डर की समस्या के लक्षण है।
ऑनलाइन गेम्स से बढ़ रहा कंडक्ट डिसऑर्डर- खतरनाक ऑनलाइन गेम्स बच्चों में कंडक्ट डिसऑर्डर की समस्या को बढ़ा रहे है। डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि ऑनलाइन हिंसक प्रवृत्ति वाले गेम्स बच्चों के मस्तिष्क में न्यूरोकेमिकल असंतुलन का कारण बनते जा रहे हैं। ऑनलाइन गेम्स की प्रकृति का बच्चों के स्वभाव पर सीधा असर होता है, यानी कि यदि बच्चा आक्रामक गेम्स खेलने में अधिक समय बिता रहा है,ऐसे गेम्स जिसमें टास्क हों, मारपीट, खून-खराबा आदि हों, तो यह बच्चे के दिमाग को उसी के अनुरूप परिवर्तित करने लगती है। लखनऊ की घटना इसका एक हालिया उदाहरण है, पर यह अकेला मामला नहीं है, वैश्विक स्तर पर देखें तो ऑनलाइन गेम्स के लती बच्चों में आक्रामकता के ऐसे दर्जनों मामले देखने को मिल जाएंगे।
डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि जो बच्चे हिंसक और आक्रामक प्रवृत्ति के गेम्स अधिक खेलते हैं, ऐसे कंटेट अधिक देखते हैं, उनका स्वभाव भी हिंसात्मक हो रहा है। ऑनलाइन गेम्स तेजी से लत का रूप लेने लगते हैं, फिर जो इस लत को जबरदस्ती छुड़ाने की कोशिश करता है, वह बच्चों के लिए दुश्मन बन जाता है और लखनऊ की घटना इसका जीवंत उदाहरण है।
कंडक्ट डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चे का इलाज- डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी बताते है कि कंडक्टडिसऑर्डर से पीड़ित बच्चों का उपचार मुख्य रूप से दो तरीकों पर निर्भर करता है। पहला साइकोथेरेपी और दूसरा दवाइयां। साइकोथेरेपी के जरिए बच्चों और किशोरों को खुद के व्यवहार पर नियंत्रण रखने के बारे में सिखाया जाता है। इसमें बच्चों को अपनी बातों को बिना गुस्सा और हिंसा का सहारा लिए जाहिर करना सिखाया जाता है। इसके साथ इसमें दवाओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
कंडक्ट डिसऑर्डर से बच्चों को कैसे बचाएं-कंडक्ट डिसऑर्डर की समस्या बच्चों में बचपन से धीरे-धीरे बढ़ती जाती है। डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि जब भी पेरेंट्स पहली बार बच्चों के इस तरह के गलत व्यहार को नोटिस करें तो उसे तुरंत टोके और सुधार करें। पहले दिन आपकी नजरअंदाजगी बच्चे के भविष्य के लिए घातक हो सकती है।बच्चों में ऐसी आदतों को नजरअंदाज करना या माता-पिता का इसका समर्थन करना भविष्य में उनके लिए कुंआ खोदने जैसा है। बचपन में इसी तरह की प्रवृत्ति आगे चलकर हिसंक रूप ले सकती है।