भोपाल। इंदौर में महू में पुलिस फायरिंग में आदिवासी युवक की मौत का मामला अब राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। चुनावी साल में पुलिस फायरिंग में आदिवासी की मौत मामले पर कांग्रेस सियासी माइलेज लेने में जुट गई है। शुक्रवार को मध्यप्रदेश विधानसभा में पूरा मुद्दा गूंजा और कांग्रेस ने सरकार को जमकर घेरा। सदन की कार्यवाही शुरु होते ही कांग्रेस ने महू का मुद्दा उठाते हुए पूरे मामले में मृतक युवती और युवक के परिजनों पर एफआईआर दर्ज करने का विरोध किया। कांग्रेस विधायक विजयालक्ष्मी साधौ ने सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार आदिवासियों औऱ महिलाओं के साथ अत्याचार कर रही है। विजयलक्ष्मी साधौ जब सदन में बोले रही थी तो उनका गला भर आया।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ शनिवार को पीड़ित परिवार से मिलने के लिए इंदौर जा रहे है। आज कमलनाथ ने पूरे मामले पर मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार इस पूरे मामले पर परिजनों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है।
कमलनाथ ने कहा कि जिस लड़की की हत्या हुई या उसने सुसाइड किया उसके परिवार पर 307 की कार्रवाई करना ही भारतीय जनता पार्टी का इंसाफ है। सरकार पूरे मामले को दबाने और छिपाने का काम कर रही है। वहीं सीबीआई जांच की मांग के सवाल पर कमलनाथ ने कहा कि कोई भी जांच हो लेकिन सच निकलकर सामने आना चाहिए।
वहीं प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्त्तम मिश्रा ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि पूरे मामले पर राजनीति कर रही है। उन्होंने की पीएम रिपोर्ट के मुताबिक युवती की मौत करंट लगने से हुई है। उन्होंने कहा कि बलवा हुआ और जिसमें 13 लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ है।
बैकफुट पर सरकार और भाजपा-चुनावी साल में महू में आदिवासी युवती की मौत और पुलिस फायरिंग में युवक की मौत के बाद सरकार और भाजपा पूरी तरह बैकफुट है। सरकार ने जहां मुआवजे का मरहम लगाकर मामले को शांत करने की कोशिश की।
वहीं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय मृतक आदिवासी के घऱ पहुंचकर परिजनों को सात्वनां दी। वहीं मीडिया से बात करते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने कहा घटना में कुछ बाहरी तत्वों के हाथ होने की बात कही। उन्होंने कहा कि कुछ लोग ने सोशल मीडिया पर गलत जानकारी देकर वातारवरण खराब करने का काम किया।
मध्यप्रदेश में चुनावी साल में जहां एक ओऱ सरकार आदिवासी वोट बैंक को रिझाने के लिए पूरी ताकत झोंक रही थी वहीं पुलिस फायरिंग में आदिवासी युवक की मौत के बाद सरकार बैकफुट पर आ गई है। दऱअसल मध्यप्रदेश में 230 विधानसभा सीटों में 47 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित है और करीब 80 सीटों पर आदिवासी वोट बैंक अपना सीधा प्रभाव रखते है। ऐसे में सरकार पूरे मामले पर बहुत-बहुत फूंक कर कदम रख रही है।