भोपाल। मध्यप्रदेश में नर्सिंग घोटाले की जांच कर रही सीबीआई के अफसरों के रिश्वतखोरी में फंसने के बाद अब पूरी जांच पर सवाल उठने लगे है। कांग्रेस ने नर्सिंग घोटाले में हुये फर्जीवाड़े सहित पूरे मामले की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग न्यायाधीश की निगरानी में कराये जाने की मांग की है। वहीं पूरे मामले में सीबीआई अफसरों के रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार होने के बाद अब जांच एजेंसी पूरे मामले में डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। सीबीआई ने अपने इंस्पेक्टर राहुल राज को बर्खास्त करने के बाद अब जांच एजेंसी में प्रतिनियुक्ति पर तैनात एमपी पुलिस के अफसरों की सेवाएं वापस करने की तैयारी में है।
हाईकोर्ट जस्टिस की निगरानी में जांच की मांग-कांग्रेस ने नर्सिंग घोटाले की जांच हाईकोर्ट की सीटिंग जज की निगरानी में कराए जाने की मांग है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सवाल उठाते हुए कहा कि “मध्य प्रदेश का नर्सिंग कॉलेज घोटाला भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ रहा है। अब यह साफ़ दिख रहा है कि राज्य और केंद्र की जाँच एजेंसियों ने जाँच के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार किया। इससे यह भी पता चलता है कि मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले में कैसे लीपापोती की गई होगी? पटवारी भर्ती घोटाले को कैसे क्लीन चिट मिली होगी? महाकाल लोक घोटाले के गुनहगारों को कैसे बचाया गया होगा? जाँच में इस तरह का भ्रष्टाचार बिना ऊपर के संरक्षण के नहीं हो सकता। सच्चाई तभी सामने आ सकती है जब उच्च न्यायालय की निगरानी में निष्पक्ष जाँच करायी जाए”।
कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए कहा कि नर्सिंग घोटाले की जांच के लिए हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई को जिम्मा सौंपा गया, लेकिन सीबीआई के जांचकर्ताओं ने ही जांच की धज्जियां उड़ाते हुये सीबीआई को ही कलंकित कर दिया। सीबीआई के अधिकारी 10-10 लाख रुपए लेते हुए पकड़े जा रहे हैं यह कैसी सीबीआई जांच है? सीबीआई एजेंट जिन दोषियों की जांच करने आई थी, जांच करने से पहले ही सीबीआई के लोग ही गिरफ्तार हो गए देश में मध्य प्रदेश में यह पहला मामला होगा जब जांच कमेटी दोषियों को गिरफ्तार करने के पहले खुद ही गिरफ्तार हो गई।
विधानसभा में गूंजेगा मामला?-वहीं अब कांग्रेस पूरे मामले को लेकर विधानसभा में उठाने की तैयारी में है। विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने कहा कि पार्टी इस पूरे मामले को विधानसभा के आगामी सत्र में उठाएगी। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश व्यापमं घोटाले से बाहर नहीं आ पाया कि अब नर्सिंग घोटाले का कलंक लग गया। उन्होंने पूरे मामले की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि नर्सिंग घोटाले को उजागर करने वाले एनएसयुआई नेता रवि परमार को कई बार जेल भेजा गया, कई मुकदमें उन पर दर्ज किये गये, वहीं अपराधियों को सीबीआई की गिरफ्त में होने के बावजूद फोन पर बातचीत करते पाया गया, जिससे दोषियों के प्रति सरकार की मंशा उन्हें संरक्षण देने की स्पष्ट नजर आती है।
संदिग्ध कॉलेजों में नामांकन पर उठे सवाल-नर्सिंग घोटाले में रिश्वतकोरी के मामले में सीबीआई के अधिकारियों सहित कई कॉलेजों के संचालक और प्रिसिंपल आरोपी बनाए गए है। हैरत की बात यह है सीबीआई के अधिकारी और नर्सिंग कॉलेजों के संचालकों की गिरफ्तारी के बाद मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने 2022-23 सत्र के 132 नर्सिंग कॉलेजों की छात्रों के नामांकन के लिए सूची जारी की, जिसमें उन कॉलेजों के नाम शामिल हैं, जिनके कॉलेज संचालकों की गिरफ्तारी हो चुकी है और जिनके प्रिंसिपल रिश्वत देते रंगे हाथों पकड़े गये है।
नर्सिंग घोटाले में सरकार को घेरते हुए कांग्रेस प्रवक्ता मुकेश नायक ने कहा कि नर्सिंग कॉलेज में एक प्राध्यापक या एक सहायक प्राध्यापक एक साथ आठ-आठ महाविद्यालय में नियुक्त होकर अध्यापन कार्य कर रहा हो, इतना ही नहीं मध्य प्रदेश ही नहीं दूसरे प्रदेशों के कॉलेजों में भी वहीं व्यक्ति उसी समय अध्यापन कार्य कर रहा हो और उसका नाम सरकारी पोर्टल पर भी दर्ज हो, यानी सरकार भी यह मानती है कि एक समय पर एक शिक्षक आठ महाविद्यालय में एक साथ अध्यापन कार्य कर सकता है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने नर्सिंग कालेजों को लेकर यह तक कहा कि हैरत हैं कि नर्सिंग का एन तक नहीं जानने वालों की परीक्षा की इजाजत मिला यह दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे ही कई फर्जी नर्सिंग कॉलेज हैं, जिन्हें राजनैतिक संरक्षण प्राप्त हैं, जिससे समाज में जहर घोला जा रहा है। जो फैकल्टी का ऐसा फर्जीवाड़ा आपने और कहीं नहीं देखा होगा। इससे स्पष्ट है कि मध्य प्रदेश सरकार आंखों देखी मक्खी निगल रही है।
हाईकोर्ट नाराज,मेहरबान सरकार!-नर्सिंग घोटाले की जांच ग्वालियर हाईकोर्ट के आदेश पर हो रही है और पूरे मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इससे जुड़े जिम्मेदारों की भूमिका पर कई गंभीर टिप्पणी की थी। मप्र आयुविज्ञान विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. सचिन कुचिया आज भी उसी पद पर जिन पर हाईकोर्ट ने कहा था कि तुम चपरासी बनने लायक भी नहीं, किसने परीक्षा नियंत्रक बना दिया, लोगों को मारने वाला बूचड़खाना चला रहे हो। एक अन्य टिप्पणी में यह भी कहा कि किसने अधिकार दिया आपको परीक्षा की घोषणा करने का? यह यूनिवर्सिटी है या जोकर है? इतना ही नहीं कोर्ट ने सुनवाई के दौरान काउंसिल के वकील से यह तक कह दिया कि परीक्षा नियंत्रक को हटाओ नहीं तो ये व्यक्ति जेल जाएगा, ये बहुत बड़ा घोटाला है।