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मध्य प्रदेश में शून्य प्रतिशत ब्याज पर कृषकों को जारी रहेगा फसल ऋण

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद ने लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय

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, गुरुवार, 23 अक्टूबर 2025 (23:34 IST)
Madhya Pradesh Chief Minister Mohan Yadav: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक गुरुवार को मंत्रालय में सम्पन्न हुई। मंत्रिपरिषद द्वारा वर्ष 2025-26 के लिए सहकारी बैंकों के माध्यम से शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर कृषकों को अल्पावधि फसल ऋण दिए जाने की योजना को निरंतर रखे जाने की स्वीकृति प्रदान की गई। खरीफ 2025 सीजन की ड्यू डेट 28 मार्च, 2026 और रबी 2025-26 सीजन की ड्यू डेट 15 जून 2026 नियत की गई है। 
 
योजनांतर्गत खरीफ एवं रबी सीजन की निर्धारित तिथि (ड्यू डेट) तक ऋण की अदायगी करने वाले किसानों से प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (पैक्स) द्वारा 3 लाख रुपए तक के दिए गए अल्पावधि फसल ऋण पर कोई ब्याज नहीं लिया जाएगा। राज्य शासन द्वारा सभी किसानों के लिए 1.5 प्रतिशत सामान्य ब्याज अनुदान और निर्धारित ड्यू डेट तक ऋण की अदायगी करने वाले किसानों को 4 प्रतिशत प्रोत्साहन स्वरूप अतिरिक्त ब्याज अनुदान दिया जाएगा। वर्तमान वर्ष में 23 हजार करोड़ रुपए वितरण का लक्ष्य रखा गया हैं।
 
एसडीजी मूल्यांकन योजना का अनुमोदन : मंत्रिपरिषद द्वारा प्रदेश में सतत विकास लक्ष्यों के क्रियान्वयन के लिए एसडीजी (सतत विकास लक्ष्य) मूल्यांकन योजना को आगामी 5 वर्षों (वर्ष 2025-30 तक) के लिए स्वीकृत किए जाने का निर्णय लिया गया है। योजना अंतर्गत सतत विकास के लक्ष्यों का राज्य, जिला एवं विकासखंड स्तर पर स्थानीयकरण, क्रियान्वयन, अनुश्रवण एवं मूल्यांकन सुनिश्चित किया जाएगा। प्रदेश के सभी जिलों के सतत विकास लक्ष्यों और उनके संकेतक के आधार पर डैशबोर्ड के माध्यम से रैंकिंग तय की जाएगी। डैशबोर्ड आधारित रैंकिंग अनुसार दो शीर्ष प्रदर्शन किए जाने वाले जिलों को पुरस्कार राशि का वितरण किया जाएगा।
 
प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले जिले को 1 करोड़ रुपए और द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले जिले को 75 लाख रुपए की वित्तीय सहायता का वार्षिक प्रावधान किया जाएगा। चयनित जिला अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए 17 सतत विकास लक्ष्यों में से किसी भी लक्ष्य में सुधार के लिए पुरस्कार राशि का उपयोग कर सकता है। प्रदेश के ऐसे जिले जिनका रैंकिंग में प्रदर्शन कमजोर स्तर का होगा, उन्हें प्रदेश में चल रही कल्याणकारी योजनाओं की सहायता से विकास की मुख्य धारा में सम्मिलित किया जाएगा, जो प्रदेश के समग्र विकास में सहायक होगा। योजना पर 19 करोड़ 10 लाख रुपए (3 करोड़ 82 लाख प्रतिवर्ष) का अनुमानित व्यय होगा।
 
उल्लेखनीय है कि योजना अंतर्गत सतत विकास लक्ष्य, जिन्हें वैश्विक लक्ष्य भी कहा जाता है, वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2030 तक के 17 अंतरराष्ट्रीय लक्ष्यों को तय किया गया है। सतत विकास लक्ष्यों का उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय संतुलन स्थापित करना है। इसी तारतम्य में मध्यप्रदेश शासन द्वारा तैयार किया गया 'विकसित मध्यप्रदेश@ 2047 दृष्टिपत्र' राज्य के दीर्घकालिक विकास की ठोस रूपरेखा प्रस्तुत करता है। एसडीजी (सतत् विकास लक्ष्य) मूल्यांकन योजना विकसित मध्यप्रदेश और विकसित भारत के निर्माण के आधार में सहायक होगी।
 
नए पद सृजन की मंजूरी : मंत्रिपरिषद द्वारा जिला चिकित्सालय टीकमगढ़, नीमच, सिंगरौली, श्योपुर एवं डिंडोरी में 800 बिस्तरों का उन्नयन और चिकित्सालयों के संचालन के लिए 810 नए पद की स्वीकृति प्रदान की गई। इसमें 543 नियमित, 4 संविदा एवं आउटसोर्सिंग एजेन्सी के माध्यम से 263 पदों की स्वीकृति दी गई हैं। पदों के सृजन पर वार्षिक व्यय 39 करोड़ 50 लाख रुपए की भी स्वीकृति दी गई। स्वीकृति अनुसार जिला चिकित्सालय टीकमगढ़ में बिस्तर की संख्या 300 से बढ़ाकर 500, नीमच में 200 से बढ़ाकर 400, सिंगरौली में 200 से बढ़ाकर 400, श्योपुर में 200 से बढ़ाकर 300 और जिला चिकित्सालय डिंडोरी में बिस्तरों की संख्या 100 से बढ़ाकर 200 की गई है। 
 
मंत्रिपरिषद द्वारा रजिस्ट्रार उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश जबलपुर के न्यायिक जिला सागर की तहसील मालथौन में व्यवहार न्यायाधीश, कनिष्ठ खण्ड स्तर के एक नवीन पद और उनके अमले अंतर्गत तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के 6 पद इस प्रकार कुल 7 नवीन पदों का सृजन किए जाने का निर्णय लिया गया हैं।
 
भूखंड का आरक्षित मूल्य : मंत्रिपरिषद द्वारा निवर्तन के लिए भूखंड का आरक्षित मूल्य कलेक्टर गाइडलाइन अनुसार शत-प्रतिशत क्षेत्रफल पर तय किए जाने का निर्णय लिया गया है। इससे राज्य शासन को अधिक राजस्व प्राप्त होगा। निर्णय अनुसार पुनर्घनत्वीकरण नीति 2022 की कंडिका 10.11 में संशोधन कर ऑफसेट मूल्य के निर्धारण में बदलाव की स्वीकृति दी गई। पहले 60% क्षेत्रफल और 100% कलेक्टर गाइडलाइन रेट पर ऑफसेट मूल्य का निर्धारण होता था, अब 100% क्षेत्रफल और 100% कलेक्टर गाइडलाइन रेट पर ऑफसेट मूल्य का निर्धारण होगा। इससे विकास कार्यों के लिये अधिक राशि उपलब्ध होगी।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 

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