जिम्मी मगिलिगन मेमोरियल सप्ताह के चौथे दिन सनावादिया के गीर गाय फार्मर निक्की सूरेका और जैविक फार्मर मनोज नागर ने एफबी लाइव पर अनुभव सुनाए। उन्होंने कहा कि लोगो को शुद्ध उत्पाद देने से हमें सुख, शांति और लाभ मिलता है।
निक्की सूरेका, ने बताया कि उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। कुछ साल अमेरिका के शिकागो में रहे, वहां से लौटकर गांव सनावादिया में गीर गाय गौशाला का काम शुरू किया। गौशाला की प्रेरणा उन्हें बेटी कायरा से मिली।
कायरा जब बड़ी हुई और दूध की आवश्यकता हुईं तब आसपास की बहुत सी गौशालाओं में भ्रमण किया। उन्होंने देखा कि गौशाला में गाएं अस्वस्थ थी, उनके आहार की व्यवस्था ठीक नहीं थी। कई गौशालाओं में तो इंजेक्शन लगा कर दूध निकाला जाता था। मुझे समझ आ गया कायरा को शुद्ध दूध देना है तो गाय और गौशाला खुद की करनी होगी।
वहीं से गौ अमृत गौ शाला शुरू हुई। गौ अमृत की शुरूआत 9 गौवधों से की गई। इसमें जनक दीदी के प्रोत्साहन और मार्गदर्शन से हम आगे बढ़ते गए। आज गौ अमृत गौशाला से इंदौर के 250 परिवार जुड़े हुए हैं। उन्हें शुद्ध दूध सप्लाई कर रहे हैं।
गौ माता के आहार और वातावरण के अनुसार उन्हें तैयार किया जाता है। उनके आहार में मुख्यत शतावरी, अश्वगंधा, तीन से चार अनाज, नारियल, मूंगफली, कपास्या खल, तेल, गुड, मिनरल मिक्चर, नमक, मीठा सोडा दिया जाता है।
मनोज नागर ने जैविक खेती व जैविक नर्सरी के बारे मे चर्चा की। वे सनावदिया में कृषक है। साथ ही ग्राम पंचायत सचिव के पद पर भी हैं। पिछले साल जनक दीदी ने जैविक सेतु पर हमारी सब्जी बिकने के लिए अम्बरीश केला जी से परिचय कराया, मिटटी परिक्षण के पास होने के बाद आज हम हमारी पूरी जमीन में जैविक सब्जियां ऊगा रहे हैं।
2 एकड़ जमीन से 1 साल में 1,40,000 हजार का लाभ हुआ। जिसमे खर्च लगभग 20,000 आया। मैंने पिछले लॉकडाउन मे जैविक नर्सरी भी तैयार की हैं जिससे पर्यावरण में एक छोटा सा योगदान होगा। जिससे हमें जीवनभर फ्री में ऑक्सीजन मिलेगा। हमारी नर्सरी में देशी आम, जाम, नीम, पीपल, गुलमोहर, आवला, जामुन, अनार, सिंदूर का पौधा, व अनेक प्रकार के फलदार, छायादार पौधे शासकीय मूल्य पर उपलब्ध हैं।