Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

गीता पर झारखंड के दंपति का दावा, डीएनए टेस्ट से सुलझ सकती है गुत्थी

हमें फॉलो करें गीता पर झारखंड के दंपति का दावा, डीएनए टेस्ट से सुलझ सकती है गुत्थी
, बुधवार, 25 अक्टूबर 2017 (22:23 IST)
इंदौर। मूक-बधिर युवती गीता को पाकिस्तान से स्वदेश लौटे 2 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन सरकार के प्रयासों के बावजूद उसके माता-पिता का अब तक पता नहीं चल सका है। इस बीच, झारखंड के ग्रामीण दंपति ने गीता को अपनी खोई बेटी बताया है। इस दावे की सचाई परखने के लिए दंपति को इंदौर में गीता से मिलवाने की तैयारी की जा रही है।
 
जिला प्रशासन के एक आला अधिकारी ने बुधवार को बताया कि विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी से हुई चर्चा के मुताबिक मूक-बधिर युवती को झारखंड के गढ़वा जिले के बांदू गांव के रहने वाले परिवार से मिलवाया जाएगा। यह मुलाकात स्थानीय कलेक्टर कार्यालय में 27 अक्टूबर को होगी। 
 
पाकिस्तान से लौटने के बाद गीता इंदौर में मूक-बधिरों के लिए चलाई जाने वाली एक गैर सरकारी संस्था के आवासीय परिसर में रह रही है। अधिकारी ने बताया कि जरूरत पड़ने पर गीता और झारखंड के परिवार के सदस्यों के डीएनए नमूने भी लिए जा सकते हैं ताकि इनका मिलान कर इनके बीच खून के रिश्ते की पुष्टि की जा सके। 
 
अधिकारी के मुताबिक डीएनए नमूनों को जांच के लिए सीबीआई की नई दिल्ली स्थित केंद्रीय अपराध विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) भेजा जा सकता है। बांदू गांव के विजय राम और उनकी पत्नी माला देवी का दावा है कि 2 साल पहले पाकिस्तान से लौटी गीता कोई और नहीं, बल्कि उनकी गुमशुदा बेटी टुन्नी कुमारी उर्फ गुड्डी है। 
 
इस दंपति के मुताबिक उनकी बेटी टुन्नी 9 साल पहले बिहार के रोहतास जिले में अपने ससुराल से लापता हो गई थी। इस बीच, जानकारों को गीता और झारखंड के परिवार के बीच कुछ समानताओं के बारे में पता चला है।
 
गीता के माता-पिता को खोजने के अभियान में सरकार की मदद कर रहे सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित ने कहा कि गीता जब पाकिस्तान में थी, तब मेरा वीडियो कॉलिंग के जरिए उससे लगातार संवाद होता था। इस दौरान वह जो संकेत देती थी, उनसे इस संभावना को बल मिलता है कि वह झारखंड या तेलंगाना की रहने वाली है। 
 
उन्होंने कहा कि गीता जब पाकिस्तान में थी, तब उसने अशुद्ध हिन्दी में अपने हाथ से लिखे एक पुर्जे की तस्वीर मुझे वॉट्सऐप के जरिए भेजी थी। इस कागज में गीता ने 'बंदो' शब्द लिखा है। झारखंड का जो दंपति गीता को अपनी बेटी बता रहा है, वह बांदू गांव का रहने वाला है। कागज में गीता ने अपना नाम 'गड्डी' लिखा था। 
 
गीता गलती से सीमा लांघने के कारण दशक भर पहले पाकिस्तान पहुंच गई थी। भारत सरकार के विशेष प्रयासों के कारण गीता 26 अक्टूबर 2015 को स्वदेश लौटी थी। इसके अगले ही दिन उसे इंदौर में मूक-बधिरों के लिए चलाई जा रही गैर सरकारी संस्था के आवासीय परिसर भेज दिया गया था। तब से वह इसी परिसर में रह रही है।
 
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 1 अक्टूबर को प्रसारित वीडियो सन्देश में देशवासियों से भावुक अपील की थी कि वे गीता के माता-पिता की तलाश में सरकार की मदद करें। उन्होंने यह घोषणा भी की थी कि इस मूक-बधिर युवती को उसके बिछुड़े माता-पिता से मिलवाने में सहयोग करने वाले व्यक्ति को 1 लाख रुपए का इनाम दिया जाएगा। (भाषा) 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सरकारी योजनाओं से आधार को जोड़ने की समय सीमा बढ़ाई