इंदौर। बहुचर्चित घटनाक्रम के दौरान पाकिस्तान से वर्ष 2015 में भारत लौटने वाली मूक-बधिर युवती गीता ने अपना वर चुनने के बारे में अंतिम फैसला जाहिर नहीं किया है, जबकि पिछले 2 दिनों में देश के अलग-अलग हिस्सों के 6 लोगों के साथ उसकी मुलाकात कराई गई है। ये लोग उनमें शामिल हैं जिन्होंने फेसबुक पर वैवाहिक विज्ञापन देखने के बाद इस युवती के साथ 7 फेरे लेने की इच्छा जताई।
मध्यप्रदेश सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के संयुक्त निदेशक बीसी जैन ने बताया कि गीता के लिए योग्य वर खोजने का अभियान विदेश मंत्रालय के मार्गदर्शन में चल रहा है। इस सिलसिले में उससे मुलाकात के लिए 8 लोगों को शुक्रवार को इंदौर बुलाया गया था। इनमें से 2 लोग उससे मिलने पहुंचे।
उन्होंने बताया कि उत्तरप्रदेश के मथुरा निवासी फैशन डिजाइनर रजनीकांत चतुर्वेदी (47) और राजस्थान के जयपुर के कारोबारी परिवार से ताल्लुक रखने वाले गौरव अजमेरा (30) की गीता से अलग-अलग मुलाकात कराई गई। दोनों व्यक्ति इस युवती की तरह मूक-बधिर हैं।
जैन ने बताया कि गीता पिछले 2 दिनों में 6 लोगों से मिल चुकी है लेकिन उसने अब तक हमें नहीं बताया है कि उसे इनमें से कोई व्यक्ति अपने वर के रूप में पसंद आया है या नहीं? उन्होंने कहा कि हम भी चाहते हैं कि गीता अच्छी तरह सोच-विचारकर ही अपनी शादी के बारे में फैसला करे। इंदौर के एक गैरसरकारी संगठन ने गीता के लिए योग्य वर की तलाश के मकसद से फेसबुक पर 10 अप्रैल को वैवाहिक विज्ञापन पोस्ट किया था। इसके बाद देशभर के लगभग 50 लोगों ने गीता के साथ 7 फेरे लेने की इच्छा जताई थी।
गीता की सहमति के आधार पर इनमें से 14 लोगों से उसकी मुलाकात कराया जाना तय किया गया था लेकिन अब तक केवल 6 लोग ही उससे मिलने पहुंचे। गीता, मध्यप्रदेश सरकार के सामाजिक न्याय और नि:शक्त कल्याण विभाग की देखरेख में इंदौर की गैरसरकारी संस्था मूक-बधिर संगठन के गुमाश्ता नगर स्थित आवासीय परिसर में रह रही है। सरकार उसके माता-पिता की खोज में जुटी है।
पिछले ढाई साल के दौरान देश के अलग-अलग इलाकों के 10 से ज्यादा परिवार गीता को अपनी लापता बेटी बता चुके हैं लेकिन सरकार की जांच में इनमें से किसी भी परिवार का इस मूक-बधिर युवती पर वल्दियत का दावा फिलहाल साबित नहीं हो सका है। गीता 7-8 साल की उम्र में पाकिस्तानी रेंजर्स को समझौता एक्सप्रेस में लाहौर रेलवे स्टेशन पर मिली थी। गलती से सरहद पार पहुंचने वाली यह मूक-बधिर लड़की भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विशेष प्रयासों के कारण 26 अक्टूबर 2015 को स्वदेश लौटी थी। (भाषा)