भोपाल। इंदौर में चूड़ी विक्रेता पिटाई मामले में पीएफआई और एसडीपीआई के होने की बात सामने आने के बाद अब इस पर बैन लगाने की तैयारी की जा रही है। मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि देश विरोधी गतिविधियों में शामिल PFI संगठन पर बैन लगाने की मांग को लेकर मुस्लिम समाज के एक प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें आवेदन दिया है, जिस पर विभागीय स्तर पर चर्चा कर शीघ्र ही निर्णय लिया जाएगा। वहीं गृहमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में कानून का राज है किसी को भी साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने नहीं दिया जाएगा।
इंदौर में चूड़ी विक्रेता के नाम छुपाने और उसके पास कई प्रकार के पहचान पत्र मिलने पर गृहमंत्री ने साफ कहा कि ऐसे लोग जो अपना नाम और पहचान छुपाते हैं वह अपराधी हैं। गृहमंत्री ने एमआईएम चीफ असुद्दीन ओवैसी पर हमला बोलते हुए कहा कि किसी को भी सांप्रदायिक सद्भाव से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
गौरतलब है कि इंदौर में युवक की पिटाई के बाद थाने का घेराव करने को लेकर पीएफआई और एसडीपीआई से जुड़े लोगों का नाम सामने आया था। खुद इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने दोनों संगठनों की भूूमिका की जांच और कार्रवाई की बात कही थी।
आखिर क्या है PFI : इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का राजनीतिक संगठन है। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया यानी कि एसडीपीआई इसका राजनीतिक संगठन है।
एसडीपीआई के मूल संगठन पीएफआई पर विभिन्न असामाजिक और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लंबे समय से लगते आए है। इतना ही नहीं, पीएफआई के खिलाफ आरोप यह भी हैं कि विभिन्न इस्लामी आतंकवादी समूहों के साथ उसके कथित संबंध हैं।
इस संगठन का नाम लगातार हिंसा के मामलों में जुड़ता आया है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 23 फरवरी से 26 फरवरी के बीच फैले हिंसक दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस ने अदालत में जो प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पेश की, उसमें भी इस बात का जिक्र था कि दंगे में पीएफआई का भी हाथ था।
CAA के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान जब दिल्ली में दंगे हुए थे तब पीएफआई का ही नाम सामने आया था। इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय ने पीएफआई पर भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस भी दर्ज किया था।