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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल से "जल गंगा संवर्धन अभियान" बना जन आंदोलन

अभियान के अंतर्गत 31 हजार 800 से अधिक खेत तालाब और 8200 से अधिक जल इकाइयों का हुआ संरक्षण

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विकास सिंह

, सोमवार, 5 मई 2025 (17:35 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश की डॉ. मोहन सरकार पानी की बूंद-बूंद बचाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए शुरू किया गया मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का जंल गंगा संवर्धन अभियान अब असर दिखाने लगा है। करीब-करीब एक महीने के अंदर ही सरकार और प्रशासन ने पूरे प्रदेश में जल से संबंधित 8202 पुरानी इकाइयों का संरक्षण  किया है। जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत प्रदेश सरकार का लक्ष्य 70 हजार पुराने कुएं-तालाब-बावड़ियों को ठीक करना है। इस अभियान के अंतर्गत अभी तक पूरे प्रदेश में 31 हजार 857 खेत तालाब खोदे गए हैं। सरकार का लक्ष्य 81 हजार 078 खेत तालाब खोदना है।

एक महीने के अंदर सरकार ने 34 हजार 171 कुओं को पानी से रिचार्ज कर दिया है। अभियान में निर्धारित लक्ष्य के अनुसार अंत तक एक लाख कुओं को रिचार्ज किया जाएगा। डॉ. मोहन  सरकार ने अभियान की शुरुआत से अभी तक 932 अमृत सरोवरों के संरक्षण एवं संवर्धन का काम किया है। सरकार का लक्ष्य अभियान के आखिरी तक एक हजार अमृत सरोवरों का निर्माण करना है। गौरतलब है कि गंगा जल संवर्धन अभियान 52 जिलों में चलाया जा रहा है। सभी जिलों में सरकार और प्रशासन युद्ध स्तर पर पानी के संरक्षण की व्यवस्था कर रही है। 

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान 30 मार्च से शुरू हुआ है। यह 30 जून तक चलेगा। इसे लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि इस अभियान को जनआंदोलन का रूप दें और एकजुट होकर इसे सफल बनाएं। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन के अस्तित्व का आधार जल ही है। इसलिए इसकी एक-एक बूंद बचाने की जरूरत है। इस अभियान को लेकर सीएम डॉ. मोहन यादव इतने प्रतिबद्ध हैं कि उन्होंने सभी जिलों के प्रभारी मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों को भी इसकी देखरेख सौंपी है। बता दें, प्रदेश सरकार का यह अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सर्वोच्च प्राथमिकता वाले कामों में शामिल है।

बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे आमजन-इस अभियान का उद्देश्य राज्य के जल स्रोतों, नदियों, तालाबों, झीलों, पुराने कुओं, बावड़ियों और जल-धाराओं को फिर से जीवित करना है। जीवित करने के बाद इन स्रोतों की देखरेख और संरक्षण किया जाएगा। सरकार ने इन सभी स्रोतों को जीवित करने, सफाई, सीमांकन करने के लिए जनभागीदारी का भी सहारा लिया है। लोग बड़ी संख्या में श्रमदान कर पानी को बचाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। जिला प्रशासन विशेष रूप से नदियों के किनारे देशी प्रजातियों के पौधे रोप रहा है। इससे जमीन के नीचे जल-स्तर बढ़ रहा है और मिट्टी को नुकसान से बचाया जा रहा है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रूफ वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य कर दिया गया है। स्कूल और कॉलेजों में जल-संरक्षण पर जन-जागरण अभियान, रैलियां, निबंध प्रतियोगिताएं, जल संवाद और ‘जल प्रहरी’ जैसी गतिविधियों को संचालित किया जा रहा है। सरकार पानी को बचाने के लिए ड्रोन से सर्वेक्षण, वैज्ञानिक तरीके से जलग्रहण क्षेत्र की मैपिंग, भू-जल पुनर्भरण तकनीकों का उपयोग कर रही है।

दिखने लगे प्रभावी परिणाम-प्रदेश की मोहन सरकार जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत जल दीप यात्रा, जल संकल्प कार्यक्रम, धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित कर रही है। इनके माध्यम से लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है और उनके बीच जल संरक्षण का संदेश भी पहुंचाया जा रहा है। अभियान के एक महीने के अंदर ही हजारों जल स्रोत पुनर्जीवित होने लगे हैं। भविष्य में बारिश के मौसम में इसके और ज्यादा प्रभावी परिणाम दिखने लगेंगे। भूजल स्तर में सुधार होगा, हरियाली बढ़ेगी, मिट्टी में नमी आएगी तो पूरे प्रदेश में जल संकट दूर होता दिखाई देगा। इसके अलावा इस अभियान ने समाज की मनोवृत्ति पर भी असर डाला है। बता दें, इस अभियान को सफल बनाने के लिए सरकार ने डिजिटल मॉनिटरिंग और मूल्यांकन प्रणाली की व्यवस्था की है। सभी गतिविधियों की जीआईएस ट्रैकिंग और इंपैक्ट वैल्युएशन किया जा रहा है।

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