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शाह और नड्डा के राडार पर मध्यप्रदेश, सवाल क्या MP भाजपा सब ठीक है!

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विकास सिंह

, सोमवार, 27 मार्च 2023 (14:05 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की कमान अब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अपने हाथों में  ले ली है। रविवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने 11 घंटे के भोपाल दौरे में  पार्टी की चुनावी तैयारियों को जायजा लेने के साथ कोर कमेटी के नेताओं के साथ मंथन किया है। बताया जा रहा है कि भोपाल दौरे के दौरान जेपी नड्डा ने प्रदेश भाजपा के नेताओं का एकता का पाठ भी पढ़ाया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष ने प्रदेश भाजपा में टीम वर्क को लेकर भी सवाल उठाए। हलांकि पार्टी के सीनियर नेता और सरकार के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के ऐसे किसी बयान को सिरे से खारिज कर दिया है।

चुनाव राज्य मध्यप्रदेश में लगातार दो दिनों में गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के दौरे इस बात का साफ इशारा है कि मध्यप्रदेश में पांचवी बार सत्ता में वापसी करना भाजपा के लिए उतना आसान नहीं होने जा रहा है। 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा को जिस तरह कांग्रेस के हाथों पटखनी मिली थी उसके बाद अब भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व में कोई रिस्क नहीं लेना चाहता है। इसलिए केंद्रीय नेतृत्व की भेजी गई एक टीम भोपाल में डेरा डाल दिया है और उसने पूरा चुनावी मैंनेजमेंट अपने हाथों संभाल लिया है। इसके साथ पार्टी उम्मीदवारों के टिकट तय करन के के लिए कई स्तरों पर सर्वे भी करा रही है।

विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा के सामने सबसे बड़ा खतरा पार्टी के सीनियर नेताओं के बीच तालमेल की कमी और जमीनी कार्यकर्ताओं के भितरघात का है। ऐसे में भाजपा अब रूठों को मानने के लिए एक्टिव हो गई है। भोपाल दौरे के दौरान जेपी नड्डा का पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा के बंगले पर जाना इसकी शुरुआत माना जा रहा है।

दरअसल प्रभात झा की ग्वालियर-चंबल इलाके में खासी पकड़ है और ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा मे आने के बाद प्रभात झा पार्टी में एक तरह से साइडलाइन कर दिए गए है। दरअसल सिंधिया के कांग्रेस में रहते हुए उनके खिलाफ प्रभात झा काफी मुखऱ रहे थे। वहीं जेपी नड्डा के दौरे के दौरान ही पार्टी ने ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड में गहरी पैठ रखने वाले प्रीतम लोधी को भी पार्टी में शामिल किया। प्रीतम लोधी को पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का काफी करीबी माना जाता है और पिछले दिनों ब्राह्मणों पर की गई एक टिप्पणी के बाद उनको पार्टी से निकाल दिया गया था।  

विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश नेतृत्व ने अपने-अपने स्तर पर जो सर्वे कराए है उसमें ग्वालियर-चंबल में पार्टी की जमीनी हालात काफी खराब बताई जा रही है। ग्वालियर चंबल में पार्टी एंटी इंकम्बेंसी के साथ-साथ गुटबाजी और भीतरघात से जूझना पड़ा रहा है। ग्वालियर-चंबल में नई भाजपा बनाम पुरानी भाजपा का सीधा टकराव भी जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के बीच देखने को मिल रहा है। नगर निगम चुनाव में भाजपा की गढ़ मानी गई ग्वालियर में भाजपा के महापौर उम्मीदवार की हार भी इसी गुटबाजी का परिणाम माना गया।

वहीं पिछले दिनों व्यापमं से जुड़े एक मामले में हुई एक एफआईआर में जिस तरह से भाजपा नेताओं की भूमिका पर सवाल उठाए गए उसने भी पार्टी के बड़े नेताओं के बीच गुटबाजी को और हवा दे दी थी। ऐसे में  जब विधानसभा चुनावव के लिए उल्टी गिनती शुरु हो गई है तब पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में कमान अपने हाथों में लेकर प्रदेश ईकाई को साफ संदेश दे दिया है।   

भोपाल दौरे पर आए जेपी नड्डा ने विधानसभा चुनाव के लिए एक बार 200 पार का नारा दिया। पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते  हुए उन्होंने कहा कि इस उत्साह को लक्ष्य में परिवर्तित कर मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में हमें 200 पार के लक्ष को हासिल करना है। पार्टी अध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं को दो टूक निर्देश देते हुए कहा कि आप लोगों ने जिस प्रकार भारी उत्साह के साथ स्वागत किया है वह आने वाले समय का संदेश दिया है। इस उत्साह को लक्ष्य में परिवर्तित कर मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में हमें 200 पार के लक्ष को हासिल करना है।प्रदेश में वर्तमान में 127 सीटों पर काबिज भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 51 फीसदी वोट शेयर हासिल करने का लक्ष्य ऱखा है जो पार्टी की एकजुटता के बाद संभव नहीं है।

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