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उपचुनाव से पहले ‘महाराज’ सिंधिया की मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर ताजपोशी ?

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विकास सिंह

, सोमवार, 22 जून 2020 (10:00 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश की सियासत में ‘महाराज’ कहे जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लगभग 13 महीने के बाद एक बार फिर सांसद होने का तमगा हासिल कर लिया है। पिछले साल मई में हुए लोकसभा चुनाव में अपनी पारंपरिक सीट गुना-शिवपुरी से हार का सामना करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया अब राज्यसभा के रास्ते संसद पहुंच गए हैं। 

मार्च में प्रस्तावित राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार गिराने और शिवराज सरकार बनाने में ट्रंप कार्ड बने थे। सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के साथ ही उनके समर्थक 22 कांग्रेस विधायकों के अचानक से विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने और पाला बदलने से प्रदेश में तत्कालीन सत्तारूढ़ कमलनाथ सरकार देखते ही देखते अल्पमत में आई गई थी और फ्लोर पर विश्वास मत का सामना करने से पहले कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।   
 
सियासी मैनेजमेंट में माहिर समझे जाने वाले कमलनाथ को पटखनी देने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया की नई संसदीय पारी बतौर राज्यसभा सांसद अब फिर शुरु हो गई है। साल 2002 में पिता के निधन के बाद पहली बार गुना से उपचुनाव में जीतने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया लगातार चार बार लोकसभा सांसद चुने गए थे लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने ही पूर्व साथी और भाजपा उम्मीदवार केपी यादव से बुरी तरह हार गए थे। 18 साल बाद ‘हाथ’  का साथ छोड़ने वाले सिंधिया पहली बार उच्च सदन (राज्यसभा) के सदस्य निर्वाचित हुए है। 
 
ज्योतिरादित्य सिंधिया के राज्यसभा सांसद चुने जाने के साथ ही उनके सर्मथक विधायकों ने उनको मोदी सरकार में मंत्री बनाने की मांग शुरु कर दी है। सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक रघुराज कंसना ने कहा कि सांसद बनने के बाद अब केंद्र में मंत्री भी बनेंगे। 
 
दरअसल मार्च में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे तभी से इस बात की अटकलें सियासी गलियारों में चल रही हैं कि राहुल गांधी का साथ  छोड़ने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया नरेंद्र मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनेंगे। 
 
कोरोना संक्रमण के चलते जब मार्च में होने वाले राज्यसभा चुनाव टाल दिए गए और तो सिंधिया के मंत्री बनने का प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में चल गया है। अब जब राज्यसभा चुनाव हो चुके और सिंधिया भाजपा सांसद के तौर पर राज्यसभा पहुंच गए हैं तब इस बात की अटकलें भी तेज हो गई हैं कि वह जल्द ही मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनेंगे। 
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उपचुनाव से पहले ‘ताजपोशी’ संभव – सितंबर के पहले पखवाड़े में मध्यप्रदेश में 24 सीटों पर उपचुनाव होने की संभावना हैं और इनमें 16 सीटें सिंधिया के प्रभाव वाले ग्वालियर-चंबल इलाके की है। इसके साथ मालवा में भी जिन पांच सीटों पर उपचुनाव है वहां पर सिंधिया का अच्छा खासा दखल है।
 
विधानसभा के उपचुनाव सिंधिया के लिए एक अग्निपरीक्षा से कम नहीं हैं, उन पर अपने सर्मथक विधायकों को जीताने के साथ मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार के भविष्य को सुरक्षित करने की दोहरी जिम्मेदारी हैं। 
 
उपचुनाव की तैयारी में जोरशोर से जुटी प्रदेश भाजपा के कई बड़े नेता इस बात के संकेत दे चुके है कि पार्टी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर ही उपचुनाव लड़ेगी। ऐसे में भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व उपचुनाव से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया को मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाकर बतौर स्टार प्रचारक चुनावी मैदान में उतार सकती है। 
 
 
 

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