भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 प्रदेश की सियासत में पीढ़ी परिवर्तन के तौर पर याद रखा जाएगा। सत्ता में लौटी भाजपा ने जहां डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर नई पीढ़ी की राजनीति को आगे बढ़ा दिया वहीं विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने युवा पीढ़ी के हाथों में पार्टी की कमान सौंपते हुए जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष, आदिवासी नेता उमंग सिंघार को नेताप्रतिपक्ष और हेमंत कटारे को उपनेता प्रतिपक्ष बनाया।
कांग्रेस आलाकमान के सीधे दखल के बाद पार्टी में हुए इस बड़े बदलाव को पार्टी की कमान अब नए नेताओं के हाथों में सौंपने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है। कांग्रेस ने इस बड़े बदलाव के साथ यह कहा जा सकता है कि प्रदेश में कांग्रेस की सियासत जिन दो क्षत्रपों कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के आसपास घूमती रही थी उनका युग अब खत्म हो चुका है।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि यह सही है कि हमारे कई वरिष्ठ नेता सदन में दिखाई नहीं देंगे लेकिन इन सभी नेताओ का मार्गदर्शन हमें मिलता रहेगा। कांग्रेस के इन युवा नेताओं के बयान के बाद अब सवाल यहीं उठ रहा है कि दशकों से प्रदेश कांग्रेस की सियासत जिन कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के इर्द-गिर्द घूमती रहती थी कि क्या वह अब पूरी तरह साइडलाइन कर दिए जाएंगे। सवाल यह भी है कि कांग्रेस के इन दो दिग्गज क्षत्रपों का राजनीतिक भविष्य क्या होगा।
77 वर्षीय कमलनाथ छिंदवाड़ा से विधानसभा सदस्य चुने गए है लेकिन वह आज से विधानसभा के सत्र में नहीं पहुंचे और वह वर्तमान सत्र में सदन में आएंगे भी नहीं है। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद कमलनाथ ने लगभग प्रदेश की राजनीति से अपनी दूरी बना रही है, पिछले दिनों नए नेता प्रतिपक्ष के चुनाव के लिए हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में भी कमलनाथ नहीं पहुंचे थे। कमलनाथ के बैठक में नहीं पहुंचने के पीछे कारण उनका छिंदवाड़ा दौरा बताया गया था।
ऐसे में अब जब लोकसभा चुनाव में चंद महीने बचे है तब कमलनाथ ने अपना पूरी फोकस छिंदवाड़ा पर कर दिया है। वर्तमान में कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ छिंदवाड़ा से सांसद है और कांग्रेस विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा जिले की सभी 6 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की है। ऐसे में अब देखना होगा कि आने वाले समय में कमलनाथ क्या लोकसभा से चुनावी मैदान में उतरते है या बेटे नकुलनाथ ही चुनावी मैदान में उतारते है। अगर कमलनाथ छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ते है तो नकुलनाथ उपचुनाव में उतरकर प्रदेश की राजनीति में अपनी सियासी पारी का आगाज कर सकते है।
दूसरी तरफ मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह वर्तमान में राज्यसभा सदस्य है और अब वह केंद्र की राजनीति में ज्यादा सक्रिय हो सकते है। कांग्रेस आलाकमान ने जिन उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है, वह दिग्विजय सिंह के कट्टर विरोधी माने जाते है और कई बार दिग्विजय सिंह पर गंभीर आरोप लगा चुके है।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस आलाकमान ने इस उम्मीद के साथ युवा ब्रिगेड के हाथों में पार्टी की कमान सौंपी है कि वह प्रदेश में पार्टी में नए सिरे से जान फूंक सके। कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी की कमान नई पीढ़ी के हाथों में सौंपते हुए जातिगत राजनीति को भी साधने का प्रयास किया है। कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी युवा चेहरा होने के साथ ओबीसी समाज से आते हैं, जबकि नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार आदिवासी समाज से ताल्लुक रखते हैं, वहीं उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कांटरे ब्राह्मण समाज से हैं।