भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर पहुंचती दिखाई दे रही है। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान जितनी सरकार के सामने विरोधी दल बीजेपी ने मुश्किलें नहीं खड़ी की, उससे अधिक मुश्किलें खुद सरकार के मंत्रियों और विधायकों ने खड़ी कर दी है। सत्र के दौरान मंत्रियों के जवाब को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मंत्रियों को फटकार लगाई तो दूसरी ओर वनमंत्री उमंग सिंघार को दिग्विजय को जवाबी पत्र लिखना भी काफी चर्चा में रहा।
सत्र के दौरान ही कांग्रेस में 27 विधायकों का एक अलग होटल में बैठक कर एक गुट बनाकर मंत्रियों के खिलाफ मोर्चा खोलना भी सत्ता और संगठन की बीच बढ़ती दूरियों और पार्टी में गुटबाजी की साफ निशानी है।
इसके साथ ही कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह का लोकसभा चुनाव को लेकर किए गए ट्वीट पर पार्टी में अंदरुनी गुटबाजी के इशारे करने के लिए काफी है। पार्टी में इस गुटबाजी को खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने खुद विधायकों से मुलाकात कर उनकी समस्या सुनी और भरोसा दिलाया कि उनकी समस्याओं का जल्द समाधान होगा।
विधायक 'शेरा' के बगावती तेवर : दूसरी ओर विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस से बगावत करने वाले बुरहानपुर से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने एक बार फिर बगावती तेवर दिखाते हुए कांग्रेस से अपने परिजन को खंडवा से लोकसभा टिकट देने की मांग कर दी है। शेरा का कहना है कि अगर पार्टी उनके परिजन को टिकट नहीं देती है तो निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरेंगे। खंडवा से पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव भी टिकट के दावेदार है।
इसके पहले सुरेन्द्र सिंह ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक मे नहीं बुलाए जाने और बुरहानपुर में होने वाले सरकारी कार्यक्रमों में खुद के पोस्टर न होने पर सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। मीडिया से अपना दर्द साझा करते हुए शेरा ने कहा कि शायद कांग्रेस को मेरा चेहरा पसंद नहीं है। कांग्रेस के ऐसे व्यवहार की किससे शिकायत करूं, दो महीने से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने का समय मांग रहा हूं लेकिन कोई जवाब भी सामने नहीं रहा है।
ये पहली बार नहीं है जब सुरेन्द्र सिंह ने बगावती तेवर दिखाएं हों इससे पहले भी वो मंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर कई बार खुले मंच पर अपनी नाराजगी जता चुके हैं।
विधानसभा चुनाव में भी सुरेन्द्र सिंह ने कांग्रेस से बुरहानपुर से विधानसभा का टिकट मांगा था लेकिन पार्टी से टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे थे और चुनाव में बीजेपी सरकार में कद्दावर मंत्री रहीं अर्चना चिटनिस को हराया था। ऐसे में अगर लोकसभा चुनाव में भी शेरा बगावती तेवर दिखाते हैं तो एक बार फिर पार्टी को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।