इंदौर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के विशेष कार्याधिकारी (OSD) प्रवीण कक्कड़ के ठिकानों पर हाल ही में मारे गए आयकर छापों को चुनौती देने वाली याचिका पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में गुरुवार को सुनवाई हुई, जिसमें दोनों पक्षों ने अपनी दलील पेश की। याचिका में आरोप लगाया है कि लोकसभा चुनावों से ठीक पहले मारे गए ये छापे राजनीति से प्रेरित थे। मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति विवेक रुसिया ने कक्कड़ की ओर से दायर याचिका पर दोनों पक्षों की लम्बी दलीलें सुनीं। हाई प्रोफाइल मामले में भोजनावकाश से पहले और भोजनावकाश के बाद के सत्रों में कुल चार घंटे तक सुनवाई चली।
वरिष्ठ अधिवक्ता एवं कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कक्कड़ की ओर से पैरवी करते हुए अपने मुवक्किल को कमलनाथ का मौजूदा ओएसडी बताया और कहा कि उनके ठिकानों पर आयकर विभाग की दिल्ली इकाई द्वारा मारे गए छापों की मुहिम राजनीति से प्रेरित थी, जिससे उनके मुवक्किल की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची।
सिब्बल ने दलील दी कि कानूनी प्रावधानों के मुताबिक आयकर विभाग की दिल्ली इकाई को इंदौर में छापे मारने का क्षेत्राधिकार ही नहीं है। उन्होंने आयकर विभाग के छापों में मध्यप्रदेश पुलिस के बजाय केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को तैनात किए जाने की वैधानिकता पर भी सवाल उठाए।
वहीं, आयकर विभाग का पक्ष रखते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने सिब्बल के तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि कक्कड़ के ठिकानों पर आयकर छापे मारने के मामले में सम्बद्ध कानूनी प्रावधानों का पूरी तरह पालन किया गया।
मामले की सुनवाई के दौरान सिब्बल ने अनुरोध किया कि वह अपने मुवक्किल की याचिका में कुछ तकनीकी संशोधन करना चाहते हैं। इस पर युगल पीठ ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता की ओर से इस संबंध में सोमवार को अर्जी पेश की जाए।
गौरतलब है कि कक्कड़ के इंदौर स्थित ठिकानों पर आयकर विभाग की छापामार मुहिम रविवार तड़के शुरू होकर सोमवार देर रात खत्म हुई थी। इसके बाद कक्कड़ ने दावा किया था कि आयकर विभाग को छापों में उनके खिलाफ कोई भी आपत्तिजनक सबूत नहीं मिला है। कक्कड़, राज्य पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी हैं। उनका परिवार अतिथि सत्कार समेत विभिन्न क्षेत्रों के कारोबार से जुड़ा हुआ है।