भोपाल। पार्टी के बागी विधायकों के कारण अपनी सरकार बचाने में असमर्थ रहे मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे वैश्विक पटल पर स्थापित देश के लोकतंत्र को बचाने की मांग की।
दल-बदल के संदर्भ में कमलनाथ ने अपने इस पत्र में मोदी से कहा है कि दशकों के अथक प्रयास से हम सबने मिलकर भारत को विश्व का सबसे परिपक्व प्रजातंत्र बनाया है और संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के अनुसार हमारे संविधान का सबसे खूबसूरत पहलू इसका संघीय स्वरूप है।
उन्होंने लिखा है कि भारत की संघीय व्यवस्था के कारण ही संपूर्ण विश्व में हमारे प्रजातंत्र की एक विशेष पहचान है, लेकिन विगत कुछ समय से बाबा साहेब की भावनाओं को आहत करते हुए भारत के संघीय व्यवस्था पर निरंतर प्रहार किया जा रहा है। कमलनाथ ने कहा कि जिन राज्यों में (भाजपा नीत) केंद्र सरकार से इतर दूसरे दलों की सरकारें हैं, उन्हें अनैतिक तरीके से गिराया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की निर्वाचित सरकार को (इस साल मार्च में) गिराया जाना भारत के प्रजातंत्रिक इतिहास के सबसे घृणित कृत्यों में से एक है। यह सोचकर दिल दहल जाता है कि जब एक ओर मानव समाज अपने अस्तित्व की लड़ाई कोरोनावायरस महामारी से लड़ रहा था, तब दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता मध्यप्रदेश के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सहित 22 मंत्रियों और विधायकों को लेकर मध्यप्रदेश की सरकार गिराने के लिए बेंगलुरु चले गए और प्रदेश के नागरिकों को महामारी की आग में झोंक दिया।
कमलनाथ ने आगे लिखा कि चर्चा यह भी है कि मध्यप्रदेश में कई मौकापरस्त, मतलबी, लोभी नेताओं ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराने तक देश में लॉकडाउन को 24 मार्च के पहले लागू नहीं होने दिया। अभी भी मध्यप्रदेश में भाजपा द्वारा प्रतिपक्षीय विधायकों को प्रलोभित करके उनके इस्तीफे कराकर भाजपा में शामिल कराया जा रहा है और ऐसे अनैतिक कृत्य के उपचुनावों का बोझ प्रदेश के नागरिकों पर डाला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि मेरी चिंता सिर्फ प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के गिरने तक सीमित नहीं है, बल्कि आज देश की प्रजातांत्रिक व्यवस्था में एक भूचाल आया हुआ है और ऐसी शंका है कि इसका केंद्रबिंदु केंद्र में निहित है।
कमलनाथ ने आगे लिखा कि लेकिन मैं उम्मीद करता हूं कि मेरी शंकाएं निराधार साबित होंगी और आप भारत के लोकतंत्र की गिरती हुई साख को बचाने के लिए आगे आएंगे तथा ऐसे अवसरवादी नेताओं को अपनी सरकार एवं दल में कोई स्थान नहीं देंगे जिन पर प्रजातांत्रिक मूल्यों का सौदा करने का आरोप है ताकि हम भारत राष्ट्र की वैश्विक पटल पर स्थापित लोकतांत्रिक निष्पक्षता, पारदर्शिता और परिपक्वता की पहचान को बरकरार रख पाएंगे। मालूम हो कि मार्च से लेकर अब तक कांग्रेस के 25 विधायक कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए हैं। (भाषा)