केन-बेतवा लिंक परियोजना से साकार होगा अटलजी का सपना, CM मोहन यादव बोले- बदल जाएगी बुंदेलखंड तस्वीर और तकदीर
पीएम मोदी 25 दिसंबर को करेंगे परियोजना का शिलान्यास
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि देश की प्रथम केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना केन्द्र सरकार, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के मध्य परस्पर सहयोग एवं समन्वय का एक अनूठा उदाहरण है। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटलबिहारी वाजपेयी के नदी जोड़ो अभियान के सपने को साकार करने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीड़ा उठाया है। बहुउद्देशीय और महत्वाकांक्षी केन-बेतवा लिंक परियोजना से मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के समूचे बुंदेलखंड क्षेत्र की तस्वीर और तकदीर बदलेगी।
इस परियोजना से किसानों को जहां सिंचाई के लिए भरपूर जल उपलब्ध होगा, वहीं पेयजल और उद्योगों के लिए भी पर्याप्त पानी मिलेगा। क्षेत्र के आर्थिक, सामाजिक विकास के साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। सूखाग्रस्त बुंदेलखंड क्षेत्र में भूजल की स्थिति भी सुधरेगी। मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलने वाली इस परियोजना का शिलान्यास करने प्रधानमंत्री मोदी 25 दिसंबर को छतरपुर जिले के खजुराहो आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना, देश में भूमिगत दाबयुक्त पाइप सिंचाई प्रणाली अपनाने वाली सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना है। यह परियोजना मध्यप्रदेश के छतरपुर और पन्ना जिले में केन नदी पर निर्मित की जा रही है।
परियोजना के अंतर्गत पन्ना टाइगर रिजर्व में केन नदी पर 77 मीटर ऊँचाई एवं 2.13 किलोमीटर लंबाई के दौधन बांध एवं 2 टनल (अपर लेवल 1.9 कि.मी. एवं लोअर लेवल 1.1 किमी) का निर्माण कर बांध में 2,853 मिलियन घन मीटर जल का भंडारण किया जायेगा।
केन नदी पर दौधन बांध से 221 कि.मी. लंबी लिंक नहर के द्वारा दोनों राज्यों में सिंचाई एवं पेयजल की सुविधा प्रदाय करते हुये केन नदी के अधिशेष जल को बेतवा नदी में अंतरित किया जावेगा। परियोजना से दाबयुक्त सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली के माध्यम से मध्यप्रदेश के 10 जिले पन्ना, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, रायसेन, विदिशा, शिवपुरी एवं दतिया के 2 हजार ग्रामों में 8.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी। इससे लगभग 7 लाख किसान परिवार लाभान्वित होंगे।
केन- बेतवा परियोजना से उत्तरप्रदेश में 59 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र में वार्षिक सिंचाई सुविधा होगी एवं 1.92 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मौजूदा सिंचाई का स्थिरीकरण (Stabilisation) किया जावेगा, जिससे उत्तरप्रदेश के महोबा, झांसी, ललितपुर एवं बांदा जिलों में सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी। परियोजना से मध्यप्रदेश की 44 लाख एवं उत्तरप्रदेशकी 21 लाख आबादी को पेयजल की सुविधा मिल सकेगी। साथ ही परियोजना से 103 मेगावाट जल विद्युत एवं 27 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा। इसका सम्पूर्ण लाभ मध्यप्रदेश को प्राप्त होगा।
परियोजना अंतर्गत विरासत में प्राप्त एतिहासिक चंदेल कालीन तालाबों को सहेजने का कार्य भी शामिल है। मध्यप्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़ एवं निवाड़ी जिलों में चंदेल कालीन 42 तालाबों का मरम्मत/जीर्णोधार किया जाकर वर्षाकाल में जल भराव होगा, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों को लाभ एवं भू-गर्भीय जलस्तर में बढ़ोत्तरी होगी।
दौधन बांध के निर्माण से उत्तरप्रदेश के बांदा जिले को बाढ़ की विभीषिका से छुटकारा मिलेगा। दौधन जलाशय से पन्ना टाईगर रिजर्व में जंगली जानवरों को वर्षभर पेयजल मिलेगा एवं वन के पारिस्थितिकी-तंत्र में भी अभूतपूर्व सुधार होगा। मध्यप्रदेश की उदारवादी नीतियों के फलस्वरूप लगभग समस्त विस्थापितों द्वारा पुनर्वासन एवं पुनर्व्यस्थापन पैकेज को चुना गया है।
परियोजना के निर्माण से कृषकों को उन्नत सिंचाई तकनीक से फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ उनके जीवन में समृद्धि और खुशहाली आएगी। साथ ही बुंदेलखंड भू-भाग में व्याप्त जल संकट से छुटकारा मिलेगा और रोजगार के लिए हो रहे पलायन पर भी रोक लगेगी।
प्रदेश के सिंचाई रकबे में होगी अभूतपूर्व वृद्धि
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश की दो महत्वपूर्ण राष्ट्रीय परियोजनाओं केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजनाओं से प्रदेश के सिंचाई रकबे में अभूतपूर्व वृद्धि होगी। प्रदेश में सिंचाई का रकबा निरंतर बढ़ रहा है। वर्ष 2003 में जहां प्रदेश का सिंचाई रकबा लगभग 3 लाख हेक्टेयर था, आज बढ़कर लगभग 50 लाख हेक्टेयर हो गया है।
प्रदेश की निर्मित और निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाओं से प्रदेश में वर्ष 2025-26 तक सिंचाई का रकबा लगभग 65 लाख हेक्टेयर होने की संभावना है। सरकार ने वर्ष 2028-29 तक प्रदेश की सिंचाई क्षमता 1 करोड़ हेक्टेयर तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए प्रदेश में तेज गति से कार्य किया जा रहा है।