Chandipura Virus news in hindi : खरगोन के 22 साल के एक युवक में चांदीपुरा वायरस मिलने से हड़कंप मच गया है। युवक को इंदौर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया है। सैंपल पुणे लैब भेजे गए हैं। खरगोन सीएमएचओ डॉ. एमएस सिसोदिया और इंदौर सीएमएचओ डॉ. बीएस सेतिया के मुताबिक मरीज चांदीपुरा वायरस संदिग्ध है। हालांकि रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। मप्र सहित गुजरात और राजस्थान में तेजी से इसके केस बढ़ रहे हैं।
कसरावद क्षेत्र के पीपलगोन में रहने वाले 22 वर्षीय युवक को शनिवार को इंदौर में भर्ती किया गया था। इस पर इंदौर स्वास्थ्य विभाग ने खरगोन सीएमओ को सूचना दी। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने शनिवार दोपहर पीपलगोन में सघन सर्वे भी किया। हालांकि यह राहत वाली बात है कि टीम को अन्य कोई संदिग्ध मरीज नहीं मिला है।
देश में आए थे 31 मामले : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने राज्यसभा में जानकारी दी थी कि देश में 31 जुलाई तक चांदीपुरा वायरस के 53 मामले सामने आए थे। उच्च सदन को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में नड्डा ने यह भी बताया कि चांदीपुरा वायरस के इन 53 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। उन्होंने बताया कि गुजरात में संक्रमित लोगों में से 19 की मौत हो गई।
कैसे फैलता है वायरस और क्या हैं लक्षण : चांदीपुरा वायरस का पहला केस महाराष्ट्र के एक गांव चांदीपुरा में सामने आया था। इसीलिए इसका नाम चांदीपुरा पड़ गया। आमतौर पर तेज बुखार इसका शुरुआती लक्षण होता है। इस वायरस का संबंध बैकुलोवायरस से है। यह मच्छर, टिक और सैंड फ्लाई (रेत मक्खी) जैसे वेक्टर के काटने से फैलता है।
इसके संक्रमण से एन्सेफलाइटिस होने का खतरा होता है यानी वायरस के संक्रमण से मस्तिष्क के टिश्यूज में सूजन या जलन होने लगती है। चांदीपुरा वायरस के लिए कोई विशेष एंटी वायरल उपचार उपलब्ध नहीं है। चूंकि यह घातक बीमारी है और इसके लक्षण तेजी से बिगड़ सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि जांच में इसका समय पर पता लगाया जा सके और इलाज के समय ठीक से देखभाल हो।
कैसे करें बचाव : वायरस से बचाव के लिए घर में और आसपास सफाई का ध्यान रखें। घर में गंदगी रहेगी तो मच्छर और मक्खियों का खतरा ज्यादा रहेगा। सैंडफ्लाई मक्खी के काटने से बचें, घर में मच्छरदानी का उपयोग करें। सैंडफ्लाई का मतलब ब्लड को चूसने वाले मच्छर-मक्खियों से होता है। मच्छरों से बचने लिए पूरी बांह के कपड़े पहनें, घर में खाना ढंककर रखें। इनपुट एजेंसियां