मध्यप्रदेश का देवास जिला तेंदुओं की प्रमुख स्थली बनता जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक जिले में 50 से अधिक तेंदुए विचरण कर रहे हैं। हालांकि दिसंबर 2019 से लेकर अप्रैल 2020 के मध्य देवास सब डिवीजन में अलग-अलग कारणों से 4 से अधिक तेंदुओं की मृत्यु हुई उसके बाद भी नर्मदा कछार के चलते ओंकारेश्वर वनजोड़ होने के कारण जिले के सागवान बहुल वनों में तेंदुए बड़ी मात्रा में मौजूद हैं।
पिछले दिनों बागली उप वनमंडल के जिनवानी रेंज में बाघ की मौजूदगी की संभावनाओं के लिए ट्रेप कैमरे लगाए गए थे, लेकिन उसमें बाघ के स्थान पर तेंदुआ नजर आ गया। इसी प्रकार कुछ दिनों पहले पुंजापुरा क्षेत्र में लोगों ने खेतों में तेंदुए को देखा था।
बहरहाल बिल्ली परिवार के इस सदस्य के नजर आने के बाद वन विभाग वन्य प्राणियों के सरंक्षण के लिए किए गए प्रयासों के लिए प्रंशसा का पात्र है। वर्ष 2020 में प्रदेश को पहले ही टाइगर स्टेट का दर्जा मिला था, लेकिन वर्ष के अंतिम दिनों में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने तेंदुआ स्टेट का खिताब भी दिया।
हालांकि कोरोना काल में वन्य प्राणी सरंक्षण और फारेस्ट सफारी बुरी तरह से प्रभावित हुई, लेकिन यह उपलब्धि उल्लेखनीय है। बागली वन एसडीओ अमित सोलंकी ने कहा कि हम कस्टोडियन की भूमिका में हैं। वर्ष 2018 में अंतिम बार बाघ सहित अन्य वन्य पशु, नभ व जलचरों की गणना हुई थी। लेकिन आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए। अभी सटीक संख्या की जानकारी नहीं आई है, लेकिन बागली वन मंडल में बाघ सहित तेंदुओं का कुनबा बढ़ा है। यह वन और वन्य प्राणी संरक्षण के प्रयासों का नतीजा है।