बागली (देवास)। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में श्रीमद भागवत गीता का महत्व है। यह भगवान की दिव्य वाणी में मनुष्य के लिए अमूल्य उपहार है। यह आध्यात्मिक ज्ञान का स्त्रोत होने के साथ-साथ शाश्वत आनंद और शांति का मार्ग प्रशस्त करती है।
उक्त विचार स्थानीय वाग्योग चेतना पीठम् पर आयोजित स्वामी परमानंदतीर्थजी महाराज के अष्टम् निवार्ण दिवस एवं भगवान दत्तात्रेय जयंती महोत्सव समापन अवसर पर घूमावती धाम कोटेश्वर के स्वामी नित्यमुक्तानंदजी महाराज ने बतौर मुख्य वक्ता प्रकट किए।
उन्होंने कहा कि आप जब भी किसी दुविधा या परेशानी में हों तो गीता के श्लोक पढ़ें और क्रोध या शब्दों की मर्यादा खोने के स्थान पर चिंतन-मनन करें। आपको अपनी परेशानी का हल मिल जाएगा। इसके पूर्व समापन दिवस की शुरुआत सामूहिक साधनन से हुई। भगवान वाघीश्वर का लघुरुद्राभिषेक किया गया। साथ ही भगवान दत्तात्रेय का पादुका पूजन, मण्डल पूजन और महाआरती के बाद पूर्णाहुति हुई।
आदरांजलि सभा की शुरुआत भगवान दत्तात्रेय, स्वामी परमानंदतीर्थजी महाराज, स्वामी विष्णुतीर्थजी महाराज एवं शिवोमतीर्थजी महाराज के चित्रों पर दीप प्रज्जवलन और माल्यार्पण के साथ हुई। अध्यक्षता वाग्योग चेतना पीठम् के अधिष्ठाता मुकुंद मुनि पंडित रामाधार द्विवेदी ने की।
इस अवसर पर सभा को संबोधित करते हुए हल्दीघाटी राजस्थान के ज्ञानानंदतीर्थजी महाराज ने कहा कि स्वामी परमानन्द तीर्थ जी महाराज शक्तिपात परम्परा के शक्तिपाताचार्य एवं आधार स्तंभ थे, उनके द्वारा अनुग्रहीत सहस्त्रों शिष्य अध्यात्म में उत्कृष्ट स्थिति में साधन भजन के द्वारा आनंद लाभ ले रहे हैं। बागली आश्रम उन्हीं की प्रेरणा एवं सत्संकल्प से संचालित हो रहा है।
भिंड आश्रम के श्रीकृष्ण चैतन्य महाराज ने कहा कि पूज्य महाराज जी मानव जीवन में शिक्षा पर बहुत बल देते थे, वे शिक्षा एवं गौसेवा के लिए समर्पित थे। कार्यक्रम को कवर्धा छत्तीसगढ़ के स्वामी गिरधर तीर्थजी महाराज, रामकृष्ण वेदांती महाराज, स्वामी सुरेशानन्द तीर्थ, नारायण कुटी देवास, इंदौर के सेवानिवृत प्राचार्य विनायक पांडे व संस्कृताचार्य डॉ. ओमप्रकाश दुबे ने भी संबोधित किया।
इस दौरान डीएसपी लोकायुक्त शम्भूसिंह उदावत, शिक्षक बंशीधर सिसोदिया, पूर्व नप उपाध्यक्ष लक्ष्मी ग्रेवाल, पूर्व पार्षद हरजीत ग्रेवाल, पूर्व नप अध्यक्ष डॉ. रामचंद्र राठौर, अनिलकुमार श्रीवास्तव, महेश सोनी, नारायण पाटीदार, सुभाष कारपेंटर, अतुल श्रीवास्तव, कल्याणमल गुप्ता, पं. सुनीलदत्त जोशी, पं. वासुदेव जोशी, संजय प्रेम जोशी, अक्षय शर्मा, सोमेश उपाध्याय, घीसालाल पाटीदार व कुं राजेन्द्रपालसिंह सेंगर सहित इंदौर, भोपाल व उज्जैन सहित अन्य शहरों के गुरुभक्त उपस्थित थे।
आयोजन में प. गोपाल शर्मा, सत्यनारायण व्यास, प.मुरलीधर शर्मा, प. चंद्रशेखर जोशी, प. मुकेश शर्मा, प. कनिष्क द्विवेदी, प. दुष्यंत द्विवेदी, गोपाल पंचोली, मनोहर पाटीदार, गुलाब पाटीदार एवं पीठम के बटुकजनों का योगदान रहा। कार्यक्रम का संचालन प. राकेश नागौरी ने किया व आभार प. ओमप्रकाश शर्मा ने माना।
चित्त शुद्धि पुस्तक का विमोचन : कार्यक्रम के दौरान चित्त शुद्धि नामक पुस्तक का विमोचन मंचीय अतिथियों द्वारा किया गया। पुस्तक में स्वामी परमानंदतीर्थजी महाराज के विचारों को समाहित कर उनका प्रकाशन पुस्तक के रूप में किया गया है। 60 रुपए मूल्य की पुस्तक की प्रकाशक स्वैच्छिक सत्कर्म एवं सत्पात्र सहायता समिति है। स्थानीय वाग्योग चेतना पीठम् से इसे प्राप्त किया जा सकता है। पुस्तक की विषय वस्तु पर मुकुंद पं द्विवेदी ने बताया कि अध्यात्म एक वैज्ञानिक सिद्धांत है। कोई जिस किसी भी मार्ग से चले, चाहे वह भक्ति, ज्ञान या कर्म का मार्ग हो उसका जो प्रभाव हमारे शरीर पर होता है वह होता है चित्त शुद्धि।