भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश रच रहे PFI का हेडक्वार्टर क्यों बना मध्यप्रदेश?
कट्टरवादी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के निशाने पर शांति का टापू मध्यप्रदेश
भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साजिश रचने वाले कट्टरवादी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की नापाक नजर देश के हद्रय प्रदेश मध्यप्रदेश पर है। मध्यप्रदेश आज पीएफआई का मुख्यालय बन गया है वहीं देश में शांति का टापू कहे जाने वाले मध्यप्रदेश की फिजा बिगाड़ने के लिए पीएफआई बड़े पैमाने पर साजिश रच रहा है। इसका खुलासा खुद NIA के छापे में गिरफ्तार पीएफआई के नेताओं ने पूछताछ में किया है। सिमी पर प्रतिबंध के बाद उसके बदले स्वरूप में सामने आए संगठन पीएफआई के प्रदेश में आज दो हजार से अधिक सक्रिय सदस्य है और वहीं पीएफआई के आतंकी संगठनों से जुड़े तार भी खंगाले जा रहे है।
PFI दे रहा युवाओं को हथियारों की ट्रेनिंग और ब्रेनवॉश-NIA और ATS की संयुक्त ऑपरेशन में गिरफ्तार पीएफआई के चार सदस्यों ने पुलिस पूछताछ में बताया है कि प्रदेश में संगठन से जुड़े सदस्यों की संख्या 2 हजार से अधिक है। वहीं एक चौकाने वाले खुलासे में आरोपियों ने बताया है कि संगठन के सदस्यों को हथियारों की ट्रेनिंग देने के साथ दूसरे अन्य राज्यों में पीएफआई से जुड़े लोगों को बकायदा ट्रेनिंग दी जा रही थी।
इंदौर और उज्जैन से गिरफ्तार PFI के बड़े चेहरों ने पूछताछ में पता चला है कि संगठन देश विरोधी गतिविधियों के लिए युवाओं को भड़का रहा था और प्रदेश में बड़े पैमाने पर संगठन का स्लीपर सेल तैयार कर रहे थे। आरोपियों के पास से आपत्तिजनक साहित्य और डिजिटल दस्तावेज भी बरामद हुए है जिसके सहारे यह लोगों को देश विरोधी गतिविधियों के लिए भड़काने की कोशिश कर रहे थे। इसके साथ ही प्रदेश के कई जिलों में PFI के दूसरे राज्यों के सदस्यों ने मीटिंग ली थी।
मुस्लिम और SC-ST बाहुल्य इलाकों पर PFI की नजर-NIA की कार्रवाई में गिरफ्तार पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल करीम और अब्दुल खालिद, मोहम्मद जावेद और उज्जैन से जमील शेख की पूछताछ में खुलासा हुआ है कि पीएफआई अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए एससी और एसटी वर्ग के साथ मुस्लिम समाज में लगातार अपनी पैठ बना रहा था,जिसके लिये बड़े पैमाने पर कार्य शुरु कर दिया गया था। एटीएस की पूछताछ में खुलासा हुआ है कि पीएफआई में चुनावी राजनीति में सीधा दखल देने का प्लान कर रहा था।
आरोपियों से प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि पीएफआई पूरी प्लानिंग के तहत संगठन का विस्तार कर रहा था। पहले चरण में अल्पसंख्यक युवाओ को अपने साथ जोड़ने के साथ उनको देश विरोधी गतिविधियों के लिए भड़का रहा था। वहीं संगठन से जुड़े युवाओं को ट्रेनिंग देने का काम भी किया जा रहा था।
पीएफआई संगठन से जुड़ रहे लोगों केा ट्रेनिंग देकर सिमी की तर्ज पर ऐसी टीम तैयार की जा रही थी जो कि अपने नेता के एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार हो जाए। पीएफआई प्रदेश के पिछडे और आदिवासी बाहुल्य इलाके के गरीब युवाओं को भी संगठन से जोड़ने की तैयारी में था। छापे में पीएफआई के पदाधिकारियों के पास से ऐसे दस्तावेज मिले है जिसमें इस बात का खुलासा हुआ है। छापे में बरामद दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि एससी और एसटी वर्ग के गरीब लोगों को हिन्दुओं से कैसे अलग किया जाये इसे लेकर अभियान चलाने की बड़ी तैयारी थी।
राजनीतिक गतिविधियों को संचालित करने के लिए पीएफआई को विदेश से हो रही फंडिग की खुलासा भी NIA की पूछताछ में हुआ है। पीएफआई एक बड़ा इस्लामिक संगठन बनाने के लिए काम कर रहा था जिसके सहारे बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया जा सकता है।
आतंकी संगठनों से PFI कनेक्शन?–मध्यप्रदेश में PFI के फैलते साम्राज्य का आतंकी संगठन से लिंक भी सामने आ रहा है। मध्यप्रदेश लंबे समय से आतंकी संगठनों के लिए सॉफ्ट टारगेट बना है तो इसका कारण पीएफआई का सीधा दखल होना है। प्रदेश में सिमी,जेएमबी,सूफा,आईएस समेत कई आतंकी संगठन सक्रिय हैं।
प्रदेश में पीएफआई आतंकी मॉड्यूल के तर्ज पर अपना संगठन तैयार कर रहा था। संगठन के सदस्यों को सैलरी देकर उन्हें देश विरोधी गतिविधियों के लिए तैयार किया जा रहा था। आतंकी संगठनों से पीएफआई कनेक्शन की पड़ताल की जा रही है। अब तक की जांच में खुलासा हुआ है कि पीएफआई के कई जिलों में बकायदा दफ्तर खोल कर संगठन का विस्तार किया जा रहा है और इसके लिए विदेशों से फंडिंग की जा रही है।
शांति के टापू मध्यप्रदेश को PFI से बढ़ता खतरा?-गृह विभाग की खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक कट्टरवादी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया प्रदेश में लगातार अपनी गतिविधियां बढ़ा रहा है। पिछले साल रामनवमी पर राज्य के खरगोन और बड़वानी हुए दंगों के पीछे पीएफआई की भूमिका सामने आई थी। दंगों की जांच कर रही जांच एजेंसियों को इस हिंसा को लेकर पहले से प्लानिंग की गई थी और एक प्लान के तहत घटना को अंजाम दिया गया था। दंगो में गिरफ्तार किए गए लोगों के तार कट्टरवादी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया से जुड़े पाए गए थे।
वहीं इंदौर और उज्जैन जो पीएफआई के गढ़ के रूप में पहचाना जाता है वहां पर बीते वर्षो में कई ऐसी घटनाएं हुई जिससे शांति-व्यवस्था को सीधा खतरा पैदा हो गया था। बात चाहे इंदौर में चूड़ी बेचने वाले मुस्लिम युवक की भीड़ के द्धारा बेरहमी से पिटाई करने की घटना के बाद थाने के घेराव की हो या इंदौर के साथ मंदसौर में अयोध्या में बनने वाले मंदिर के लिए चंदा मांगने की घटना के दौरान पथराव की घटना की हो, सभी में पीएफआई से जुड़े लोगों का नाम सामने आया था।
पीएफआई के लगातार बढ़ते प्रभाव के बीच मध्यप्रदेश में लगातार सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं सामने आ रही थी। खरगौन और बड़वानी में रामनवमी के जुलूस के दौरान दंगा और उसके पीछे पीएफआई की साजिश की बात सामने आया इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की गई।
मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा कहते हैं कि प्रदेश के इंदौर और उज्जैन से गिरफ्तार आरोपियों से प्रारंभिक पूछताछ में इनके देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के प्रमाण मिले है। आरोपियों के खिलाफ UAPA के तहत कार्रवाई कई गई है। आरोपियों से पूछताछ में खुलासा हुआ है कि वह युवाओं को ट्रेनिंग और ब्रेनवॉश करने का काम कर रहे थे और उनसे लगातार पूछताछ की जा रही है।