भोपाल। देश का हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश ने लगातार दूसरी बार टाइग स्टेट का दर्जा हासिल किया है। प्रदेश में बाघों की संख्या 785 पहुंच गई है। राष्ट्रीय स्तर पर पिछली बार की गणना में प्रदेश में बाघों की आबादी महज 526 थी लेकिन अखिल भारतीय बाघ गणना -2022 के अनुसार इस बार मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या में देश में सर्वाधिक वृद्धि हुई है। सबसे ज्यादा बाघों के साथ मध्यप्रदेश देश में इस बार बहुत आगे निकल गया है। आज जारी आंकड़ों के अनुसार देश में सबसे अधिक 785 बाघ मध्यप्रदेश में हैं। इसके बाद 563 बाघों के साथ कर्नाटक दूसरे और 560 बाघों के साथ उत्तराखंड तीसरे नंबर पर है।
विश्व बाघ दिवस के मौके पर शनिवार को उत्तराखंड के रामनगर स्थित जिम कार्बेट नेशनल पार्क में बाघों के राज्यवार आंकड़े जारी किए गए जिसमें मध्यप्रदेश को फिर टाइगर स्टेट का ताज हासिल हुआ है। बाघों के राज्यवार आंकड़े प्रत्येक चार वर्ष में जारी किए जाते हैं। 2018 में जारी किए गए आंकड़े में मध्य प्रदेश में 526 बाघ थे। एक साल के भीतर प्रदेश में 259 बाघ बढ़े हैं। यह किसी राज्य में सबसे अधिक संख्या है, जिस वजह से मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का ताज मिला है ।
मध्यप्रदेश की इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अत्यंत हर्ष की बात है कि हमारे प्रदेशवासियों के सहयोग और वन विभाग के अथक प्रयासों के फलस्वरूप, चार वर्षों में हमारे प्रदेश में जंगल के राजा बाघों की संख्या 526 से बढ़कर 785 हो गई है। मैं पूरे प्रदेश की जनता को, वन एवं वन्यप्राणियों के संरक्षण में उनके सहयोग के लिए हृदय से धन्यवाद और बधाई देता हूँ। आइये हम सब मिलकर अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर भावी पीढ़ियों के लिए प्रकृति संरक्षण का पुनः संकल्प लें।
टाइगर रिजर्व क्षेत्रों में तेजी से बढ़ा बाघों का कुनबा- मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व क्षेत्रों में तेजी से बाघों की संख्या बढ़ रही है। वर्तमान में बांघवगढ़ टाइगर रिजर्व में सबसे अधिक बाघों की संख्या है। देश में सर्वाधिक छह टाइगर रिजर्व सतपुड़ा, पन्ना, पेंच, कान्हा, बांधवगढ़ और संजय दुबरी टाइगर रिजर्व हैं। पांच नेशनल पार्क और 10 सेंचुरी भी हैं। दमोह जिले के नौरादेही अभयारण्य को छठवां टाइगर रिजर्व बनाया गया है।प्रदेश का पहला टाइगर रिजर्व 1973 में कान्हा टाइगर बना। इनमें सबसे बड़ा सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और सबसे छोटा पेंच टाइगर रिजर्व है।
अभयारण्य के रूप में पचमढ़ी, पनपथा, बोरी, पेंच-मोगली, गंगऊ, संजय- दुबरी, बगदरा, सैलाना, गांधी सागर, करेरा, नौरादेही, राष्ट्रीय चम्बल, केन, नरसिहगढ़, रातापानी, सिंघोरी, सिवनी, सरदारपुर, रालामण्डल, केन घड़ियाल, सोन चिड़िया अभयारण्य घाटीगाँव, सोन घड़ियाल अभयारण्य, ओरछा और वीरांगना दुर्गावती अभयारण्य के नाम शामिल हैं। प्रदेश के भीतर बाघों की संख्या टाइगर रिजर्व की सीमाओं के बाहर भी तेजी से बढ़ रही है।