भोपाल। मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार के 48 घंटे बाद भी विभागों का बंटवारा नहीं हो सकता है। पहले मंत्रिमंडल के गठन में लंबे समय तक माथापच्ची होना और अब विभागों में बंटवारे में लेटलतीफी इस बात के संकेत हैं कि भाजपा के अंदरखाने की सियासत में सबकुछ सामान्य नहीं है।
विभागों के बंटवारे में देरी की वजह विभागों को लेकर आम सहमति नहीं बन पाना बताया जा रहा है। विभागों लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ चर्चा भी हो चुकी है। वहीं इस बीच खबर यह भी है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान एक बार फिर दिल्ली का रूख कर सकते हैं लेकिन इसको लेकर अभी मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को लेकर आधिकारिक पुष्टि नहीं है।
सूत्र बताते हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार के बाद उपचुनाव से पहले सिंधिया की मौजदूगी में मुख्यमंत्री निवास पर हुई बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने सिंधिया समर्थक मंत्रियों ने अपने विभागों के लिए भी दावेदारी कर दी थी। इस बीच कैबिनेट मंत्री बनने के बाद पहली बार डबरा पहुंची इमरती देवी ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि मंत्री पद उनको महाराज सिंधिया ने सौंपा है,हलांकि इमरती देवी ने विभाग बंटवारे पर कहा कि उनको जो जिम्मेदारी दी जाएगी उसका निर्वाहन किया जाएगा।
बताया जा रहा हैं कि मंत्रिमंडल के विस्तार में सिंधिया समर्थक का दबदबा होने के बाद अब बड़े विभागों के लिए सिंधिया समर्थक मंत्रियों ने दबाव बना दिया है। गुरूवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार में कांग्रेस से भाजपा में आए 12 पूर्व विधायकों शिवराज कैबिनेट में मंत्री पद से नवाजा गया था, जिसमें 8 को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला हैं। सिंधिया समर्थक मंत्री पिछली सरकार में रखे गए विभागों को अपने पास रखना चाहते हैं।