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महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर में दर्शनार्थियों की संख्या नियंत्रित, सवारी मार्ग बदले गए

हमें फॉलो करें महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर में दर्शनार्थियों की संख्या नियंत्रित, सवारी मार्ग बदले गए
, सोमवार, 6 जुलाई 2020 (16:28 IST)
इंदौर। कोविड-19 के प्रकोप के कारण इस बार श्रावण माह के पहले सोमवार को मध्यप्रदेश के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग और ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में धार्मिक नजारा बदला दिखाई दिया। भगवान शिव के दोनों पवित्र मंदिरों में महामारी से बचाव के उपाय अपनाते हुए श्रद्धालुओं को नियंत्रित संख्या में दर्शन की मंजूरी दी गई।
 
राज्य के जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि शिप्रा नदी के तट पर बसे उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में सोमवार को अलग-अलग समय पर करीब 9,000 लोगों को दर्शन की अनुमति दी गई। इन श्रद्धालुओं ने दर्शन के लिए ऑनलाइन पंजीयन कराया था।
अधिकारी ने बताया कि आमतौर पर सावन के पहले सोमवार को करीब 1 लाख लोग महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए पहुंचते हैं, लेकिन इस बार कोविड-19 से बचाव के लिए श्रद्धालुओं की संख्या नियंत्रित की गई है। इस बीच खंडवा जिले स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में भी प्रशासन ने कोविड-19 से बचाव के लिए श्रावण माह के पहले सोमवार को विशेष इंतजाम किए थे।
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ओंकारेश्वर मंदिर ट्रस्ट की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) व खंडवा जिले की अनुविभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) ममता खेड़े ने बताया कि नर्मदा नदी के तट पर स्थित भगवान शिव के इस ज्योतिर्लिंग में दर्शन के लिए वेबसाइट और ऐप सरीखे ऑनलाइन माध्यमों से श्रद्धालुओं को अलग-अलग समय पर नियंत्रित संख्या में अनुमति दी गई,हालांकि उन्हें मंदिर के गर्भगृह में जाने की इजाजत नहीं थी।
उन्होंने बताया कि श्रावण सोमवार पर भीड़ रोकने के लिए हमने ओंकारेश्वर के नर्मदा घाटों पर श्रद्धालुओं के स्नान पर रोक लगा दी। इस धार्मिक नगरी में कावड़ियों के प्रवेश पर भी रोक लगाई गई। कोविड-19 के प्रकोप के कारण प्रशासन को उज्जैन और ओंकारेश्वर में भगवान शिव की 'सवारी' (पारंपरिक शोभायात्रा) के रास्ते भी बदलने पड़े हैं।
 
अधिकारियों ने बताया कि श्रावण माह के पहले सोमवार को दोनों धार्मिक नगरियों में भगवान शिव की 'सवारी' के पारम्परिक मार्ग को छोटा करते हुए बेहद सीमित संख्या में लोगों को इसमें शामिल होने की अनुमति दी गई। उन्होंने बताया कि हर साल इन शोभायात्राओं में हजारों शिवभक्त उमड़ते हैं, लेकिन इस बार कोविड-19 के प्रकोप के कारण इनमें आम श्रद्धालुओं के शामिल होने पर रोक थी। (भाषा)

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