Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

म.प्र. विद्युत मंडल की मनमानी

एक महीने में दो बार बिल, ग्राहक परेशान

Advertiesment
हमें फॉलो करें MPEB
, मंगलवार, 1 नवंबर 2016 (14:06 IST)
इंदौर। मध्यप्रदेश विद्युत मंडल जो ना करे सो कम है। एक बल्ब वाले मकान में हजारों का बिल भेजने से लेकर महीनों बिल ही ना भेजने तक यहां सब कुछ होता आया है। ताज़ा मामला म.प्र. विद्युत मंडल की पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड का है। कंपनी ने इंदौर में अपने ग्राहकों को अक्टूबर महीने में ही दो बिल भेज दिए और दिवाली का बजट बिगाड़ दिया। इस धाँधली को देखने सुनने वाला कोई नहीं।

मध्यप्रदेश में विद्युत मंडल लापरवाही और मनमानी के सारे रिकॉर्ड तोड़ रहा है। तमाम दावों के बाद भी सुधार और आधुनिकता कहीं दिखाई नहीं देती। शिकायत के लिए हेल्पलाइन बना देने को ही विद्युत मंडल अपनी उपलब्धि मानता है। जबकि विद्युत वितरण में होने वाला बिजली का नुकसान और ग्राहकों को सही बिल ना दे पाना, ये दो समस्याएँ बरसों से बनीं हुई हैं। अपनी कमी को छुपाने और घाटे को कम करने के लिए ही विद्युत मंडल मनमाने बिल भेजता है।

तमाम कोशिशों और दावों के बाद भी बिल भेजने की व्यवस्था को मंंडल अब तक पारदर्शी नहीं बना पाया है। इलेक्ट्रॉनिक मीटर लग जाने के बावजूद भी अव्यवस्‍थाएं जस की तस बनी हुई है।

आलम ये है कि कुछ ग्राहकों को बिल ही नहीं आ रहे और कुछ को एक महीने में दो बिल आ रहे हैं। बिल के लिए मीटर पढ़ने का काम ठेके पर दे रखा है। मीटर हर महीने की निश्चित तारीख को ही पढ़ा जाना चाहिए, पर ऐसा होता नहीं है। मीटर पढ़ने वाला किसी भी तारीख को आ जाता है, या कई बार नहीं भी आता। औसत बिल ही भेज देते हैं।

webdunia
अक्टूबर माह में तो पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने ग़जब ही कर दिया। सितंबर का बिल, सितंबर ख़त्म होने से पहले ही भेज दिया। बिल मिलने के दो दिन में ही भरने की अंतिम तिथि भी रख दी। ग्राहक जैसे-तैसे इंतज़ाम कर उसे भर पाए कि कंपनी ने फिर झटका दिया।

25 अक्टूबर को फिर एक बिल थमा दिया और 27 अक्टूबर तक जमा करने को कहा। 30 तारीख की दिवाली थी। जाहिर है ग्राहकों के लिए ये बड़ा झटका था। ग्राहक शिकायत लेकर पहुँचे तो जवाब मिला – 'हम बिलिंग सायकल सुधारने के लिए ऐसा कर रहे हैं, आप ही के भले के लिए है' – कैसा भला? बिलिंग का चक्र बिगाड़ा किसने? ग्राहकों ने तो नहीं बिगाड़ा....!! फिर कोई पूर्व सूचना दी क्या आपने? सचमुच बिलिंग का चक्र सुधारना है या दिवाली के पहले कोई टारगेट पूरा करना है? ये तो साफ़-साफ़ उगाही है।

जो ग्राहक ज़्यादा झगड़े उनसे कहा कि ठीक है आप 28 तारीख को भर दो, गोया कोई एहसान कर रहे हों। और भी आश्चर्यजनक बात ये कि इसी बिल को जब ग्राहक ऑनलाइन भरने गए तो वहाँ अंतिम तिथि 31 अक्टूबर दर्शा रखी थी। मतलब कोई तालमेल नहीं। उस पर तुर्रा ये कि पैसे ऑनलाइन जमा करने के बाद भी विद्युत मंडल के खाते में तीन दिन तक भी ऐसा नहीं दर्शा रहे थे। सो ग्राहक और परेशान हुए। 29 तारीख से ही लोगों के घर विद्युत मंडल के कर्मचारी बिल जमा करने का तकाज़ा करने लगे। दिवाली के अगले दिन तो बाकायदा एक पर्ची भी डाल गए, जिसमें लिखा था कि अगर बिल नहीं भरा तो कनेक्शन काट देंगे!!


इस मनमानी को देखने-सुनने वाला कोई नहीं। दफ्तर में मौजूद अधिकारी बस समझाइश ही दे पा रहे हैं। सवाल ये है कि बिजली बिल के नाम पर ये लूटपाट कब तक चलती रहेगी? इस पूरी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी क्यों नहीं बनाया जा सकता? इस डिजीटल युग में कोई ऐसी मोबाइल एप क्यों नहीं बन सकती जिस पर बिजली की ख़पत सतत दिखती रहे, वहीं बिल आ जाए और वहीं से भुगतान हो जाए? अगर चाहें तो ये हो सकता है और ये मनमानी भी रुक सकती है। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जम्मू् सीमा के गांवों में पाक की ओर से भीषण गोलाबारी, 8 की मौत