Namibian female Leopard gives birth to 4 cubs : केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) ने बुधवार को कहा कि मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (KNP) में नामीबियाई मादा चीता 'ज्वाला' (Jwala) ने 4 शावकों को जन्म दिया है। पहले 3 शावकों के जन्म की जानकारी दी गई थी। यादव ने मंगलवार को 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा था कि ज्वाला ने 3 शावकों को जन्म दिया है।
3 के बजाय 4 शावकों को जन्म दिया : केंद्रीय मंत्री ने बुधवार को एक पोस्ट में कहा कि वन्य जीवन का अचरज! अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले वन्यजीव योद्धा किसी तरह ज्वाला के करीब पहुंच पाए। उन्होंने पाया कि उसने 3 के बजाय 4 शावकों को जन्म दिया है। इसने हमारी खुशी कई गुना बढ़ा दी है। सभी को बधाई! उन्होंने कहा कि हम प्रार्थना करते हैं कि ये शावक भारत में अपने घर में फले-फूले और समृद्ध हों।
अधिकारियों के अनुसार ज्वाला ने 20 जनवरी को इन शावकों को जन्म दिया था। यह 10 महीने के अंतराल के बाद दूसरी बार है, जब ज्वाला ने शावकों को जन्म दिया है। ज्वाला (नामीबियाई नाम सियाया) ने पिछले साल मार्च में भी 4 शावकों को जन्म दिया था। हालांकि उनमें से केवल 1 शावक ही जीवित बचा।
यादव ने 3 जनवरी को नामीबियाई मादा चीता आशा के 3 शावकों के जन्म की सूचना दी थी। इसके साथ ही कूनो राष्ट्रीय उद्यान में शावकों की संख्या अब 7 हो गई है जिनमें से 6 का जन्म इसी महीने हुआ है। भारत की चीता परियोजना के लिए यह मिला-जुला महीना है, जब 7 शावकों का जन्म हुआ। नामीबियाई चीता शौर्या की 16 जनवरी को मौत हो गई थी।
केएनपी में शौर्या समेत 7 वयस्क चीतों की मौत : मार्च 2023 से लेकर अब तक विभिन्न वजहों से कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में शौर्या समेत 7 वयस्क चीतों की मौत हो चुकी है। इसके साथ ही केएनपी में 3 शावकों समेत 10 चीतों की मौत हो चुकी है। केएनपी में मरने वाले 7 वयस्क चीतों- 3 मादा और 4 नर में साशा, उदय, दक्ष, तेजस, सूरज, धात्री और शौर्या शामिल हैं। पहले 6 चीतों की मौत पिछले साल मार्च से अगस्त के दौरान 6 महीने में हुई जबकि शौर्या की मौत पिछले सप्ताह हुई। नामीबियाई चीता ज्वाला के 4 में से 1 शावक की मौत 23 मई 2023 को और 2 अन्य की मौत 2 दिन बाद हुई थी। अब केएनपी में कुल चीतों की संख्या 21 है जिसमें 6 नर, 7 मादा और 8 शावक हैं।
ज्वाला और आशा वे चीता हैं जिन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'प्रोजेक्ट चीता' के तहत नामीबिया से भारत लाया गया था। इस परियोजना का उद्देश्य स्वतंत्र भारत में विलुप्त हुई इस बड़ी मांसाहारी प्रजाति की संख्या में वृद्धि करना है। भारत में सितंबर 2022 को 8 चीतों का पहला समूह और पिछले साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों का दूसरा समूह लाया गया था।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta