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प्याज पर फिर महंगाई की मार, हो जाएंगे परेशान...

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, रविवार, 6 अगस्त 2017 (08:30 IST)
कुंवर राजेन्द्रपालसिंह सेंगर 
मध्यप्रदेश में हुई प्याज की सरकारी खरीदी के बाद अब जमाखारों को चांदी होने वाली है। सरकार और किसानों को रूलाने के बाद प्याज अब आम लोगों को रुलाने की तैयार है।
 
इंदौर की कृषि उपज मंडी में शुक्रवार को प्याज 20 रुपए किलो की दर पर निलाम हुआ। वैसे भी देश के अन्य हिस्सों में भी प्याज के दाम बीते 20 महिनों में सबसे अधिक है। जिस कारण फुटकर बाजारों में प्याज की कीमतें 30 रुपए प्रतिकिलो की दर से भी आगे निकल गई है।
 
जानकारी के अनुसार पिछले दो लगातार कृषि वर्षों में किसानों को प्याज के दाम लागत अनुसार नहीं मिल रहे थे। गत्‌ वर्ष भी किसानों की मांग के बाद सरकार ने प्याज की सरकारी खरीद की थी। लेकिन उसके बाद भी वह प्याज सहित अन्य कच्ची फसलों के लिए कोई योजना नहीं बना सकी।
 
इस वर्ष जून की शुरुआत में किसानों ने कच्ची फसल का लागत अनुसार मूल्य निर्धारित किए जाने सहित अन्य मांगो के लिए हड़ताल आरंभ की थी। जिसने मंदसौर और देवास में हिंसक रूप भी धारण कर लिया था। जिसके बाद सरकार ने आनन-फानन में सात रुपए किलो की दर पर प्याज खरीदी शुरू की थी। 
 
जमाखोरों ने बढ़ाए प्याज के दाम : सरकारी खरीदी बंद होने के बाद कई किसान ऐसे थे जिन्हें पंजीयन नहीं मिल पाया था और वे अपनी उपज का विक्रय सरकारी खरीदी केन्द्रों पर नहीं कर सके थे। जबकि मार्कफेड ने प्याज खरीदी के बाद बारिश के मौसम को देखते हुए उसे अविलंब निलाम भी कर दिया।
 
बस गड़बड़ यहीं से शुरू हुई। जिन व्यापारियों को प्याज का विक्रय हुआ। उन्होंने प्याज जमा लिया और बाजार में इसकी आपूर्ती कम हुई। कुछ स्थानों पर बारिश के चलते मंडियों की खरीदी प्रक्रिया प्रभावित हुई। साथ ही प्याज के बढ़ते निर्यात ने भी बाजार में प्याज की कमी कर दी। साथ ही आने वाले दिनों में रक्षाबंधन सहित अन्य त्यौहारों व मंडी के अवकाशों के बाद प्याज की आवक में बढ़ोतरी के आसार कम ही नजर आ रहे हैं।
 
अब सरकार कम करे प्याज के दाम : प्याज के दाम बढ़ने का असर निश्चित रूप से आमजन की रसोई पर भी पडेगा। साथ ही प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में जारी मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम से भी प्रभावित होगा। बच्चों को परोसी जाने वाली सब्जियों में से 100 रुपए किलो का टमाटर तो पहले ही गायब है। अब प्याज के भी गायब होने की संभावनाएं है।
 
चापड़ा निवासी अनिता बावेल व कृष्णा गुप्ता और कमलापुर की संगीता बानीवाल ने बताया कि सरकार ने प्याज खरीद कर किसानों के आंसू तो पोछ दिए थे। लेकिन अब सरकार आमजन को भी राहत प्रदान करे और प्याज के फुटकर बाजारों में प्याज के दाम करने के लिए प्रयास करे। 
 
इन किसानों को फायदा : बहरहाल प्याज के बढ़े हुए दामों से सरकारी खरीद में विक्रय से वंचित रह गए किसानों को भरपूर फायदा होने की संभावना है। वहीं किसानों का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो सरकारी खरीदी में प्याज विक्रय करके मुनाफा कम होने को लेकर खाली हाथ बैठे हैं।
 
ग्राम देवगढ के किसान सोहनसिंह जादौन ने बताया कि पंजीयन नहीं होने की वजह से उस समय प्याज नहीं बीका था। लेकिन अब प्याज के दाम बढ़ गए है। नुकसान नहीं होगा।
 
वर्ष 2015 में था प्याज 72 रुपए किलो : प्याज के दाम महाराष्ट्र हुए सूखे के दौरान बढ़े थे। वर्ष 2015 में प्याज के दाम मंडियों में 72 रुपए किलो की उच्चतम दर तक पहुंचे। यहां तक किसानों ने वाहन खरीद कर उन पर प्याज की देन लिखवा लिया था। इसी भारी मुनाफे के चलते किसानों ने वर्ष 2016 व 2017 में प्याज की खूब बोवनी की थी। साथ ही प्याज का भी रिकार्ड उत्पादन हुआ। लेकिन दाम जमीन पर गिर गए और नीमच मंडी में तो प्याज 20 पैसे प्रति किलो की दर पर बिका। 

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