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अंबेडकर की विरासत पर सियासत, मोदी ने कांग्रेस को बताया संविधान का भक्षक, कांग्रेस का पलटवार

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विकास सिंह

, सोमवार, 14 अप्रैल 2025 (16:26 IST)
संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर आज देश भर में सियासी दल कार्यक्रम कर रहे है। केंद्र और मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में सत्तारूढ पार्टी भाजपा अंबेडकर जयंती पर कई बड़े कार्यक्रम कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंबेडकर जयंती पर  हिसार में एक कार्यक्रम में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि  हमें ये भूलना नहीं है कि कांग्रेस ने बाबा साहेब के साथ क्या किया, जब तक बाबा साहेब जीवित थे। कांग्रेस ने उन्हें अपमानित किया। दो-दो बार उन्हें चुनाव हरवाया। कांग्रेस ने उनकी याद तक मिटाने की कोशिश की। कांग्रेस ने बाबा साहेब के विचारों को भी हमेशा के लिए खत्म कर देना चाहा. डॉ अंबेडकर संविधान के संरक्षक थे, लेकिन कांग्रेस संविधान की भक्षक बन गई है।

वहीं भाजपा आज पूरे देश में अंबेडकर जयंती पर कई कार्यक्रम कर रही है। पार्टी के मंत्री, सांसद, विधायक दलित बस्तियों में स्वच्छता अभियान चलाने के साथ जगह-जगह उनकी मूर्तियों पर माल्यार्पण कर संविधान की उद्देश्यिका का पाठ कर रहे है।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अंबेडकर जयंती के अवसर पर संसद परिसर में प्रेरणा स्थल पर डॉ. बीआर अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके साथ ही राहुल ने सोशल  मीडिया पर लिखा कि  भारतीय संविधान के निर्माता बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी को उनकी जयंती पर सादर नमन।देश के लोकतंत्र को मज़बूत करने के लिए, हर भारतीय के समान अधिकारों के लिए, हर वर्ग की हिस्सेदारी के लिए उनका संघर्ष और योगदान, संविधान की रक्षा की लड़ाई में हमेशा हमारा मार्गदर्शन करता रहेगा।

भाजपा की नजर छिटकते दलित वोट बैंक?- बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अपने को बाबा साहेब की असली हितैषी बचाने के साथ दलित वोटर्स के बीच जा रही है। दरअसल भाजपा उस दलित वोट बैंक को एक बार फिर साधने की कोशिश कर रही है जो उससे पिछले  साल हुए लोकसभा चुनाव में छिटक गया है। 2014 में नरेंद्र मोदी के केंद्र में सत्ता में आने के बाद भाजपा लगातार दलित वोट बैंक को अपने साथ जोड़ने की कोशिश करती आई है, लेकिन पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में जब राहुल गांधी ने चुनाव में अंबेडकर के नाम लेकर संविधान बदलने का मुद्दा उठाया तो भाजपा को इसका नुकसान उठाना प़ड़ा औऱ कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन को इसका फायदा हुआ।

लोकसभा की 543 सीटों में से 84 सीटें दलितों के लिए आरक्षित हैं। वहीं लोकसभा की 156 सीटें ऐसी हैं, जहां दलित वोट काफी संख्या में है। इन 156 सीटों में से इस साल हुए लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक को  93 और भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने 57 सीटें जीतीं। अगर चुनावी आंकड़ों  को देखा जाए तो दलित वोट बैंक की बाहुल्यता वाली 156 लोकसभा सीटों में लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन को 53 सीटों का फायदा हुआ औऱ भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को 34 सीट का नुकसान हुआ है। वहीं देश के बड़े राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान, पंजाब में दलित वोटर्स की संख्या 20 फीसदी से अधिक है।

अगर दलित वोटर्स को देखा जाए तो सियासी दलों के लिए बड़ा वोटबैंक है। देश की दलितों की आबादी 16.63 फीसदी हैं। इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने है और बिहार में दलितों की आबादी करीब 19 फीसदी है और दलितों के लिए 38 विधानसभा सीट सुरक्षित है, इस तरह से दलित मतदाता सत्ता बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं। वहीं उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में दलितों की आबादी 21 फीसदी से अधिक है और राज्य की 42 लोकसभा में दलित वोट बैंक जीत हार तय करते है। वहीं मध्यप्रदेश की कुल आबादी का 16 फीसदी दलितों की आबादी है। वहीं बिहार मे दलितों की आबादी 16 फ़ीसदी से अधिक है।

ऐसे में जब बिहार जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव होने है तब भाजपा अंबेडकर जयंती के बहाने दलित वोटर्स को साधने की पूरी  कोशिश कर रही है। भीमराव अंबेडकर दलित समाज के महापुरुष है और अंबेडकर के नाम पर सियासी दल दलितों को अपने  साथ जोड़ने की कोशिश करते है। 
 

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