भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बड़तुमा सागर में 11 एकड़ भूमि पर लगभग100 करोड़ की लागत से आकार लेने वाले संत शिरोमणी श्री रविदास के स्मारक और मंदिर का वैदिक मंत्रोचार के साथ भूमिपूजन कर शिलान्यास किया। उन्होंने शिला-पट्टिका का अनावरण भी किया और मंदिर की प्रतिकृति का अवलोकन भी किया।भूमिपूजन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने विभिन्न सम्प्रदायों के साधु-संतों का अभिवादन किया। इसी के साथ प्रदेश के पाँच स्थानों से प्रारंभ की गई समरसता यात्रा का भी आज समापन हुआ।
पीएम मोदी ने कहा कि देश की इसी साझी संस्कृति को और समृद्ध करने के लिए आज यहां संत रविदास स्मारक एवं कला संग्रहालय की नीव पड़ी है। संतों की कृपा से मुझे इस पवित्र स्मारक के भूमि पूजन का पूर्ण अवसर मिला है। मैं काशी का सांसद हूं इसलिए यह मेरे लिए दोहरी खुशी का अवसर है। पूज्य संत रविदास जी के आशीर्वाद से मैं विश्वास से कहता हूं, कि आज मैंने शिलान्यास किया है। एक या डेढ़ साल के बाद मंदिर बन जाएगा तो लोकार्पण के लिए भी मैं जरूर आऊंगा।
पीएम मोदी ने कहा कि समरसता की भावना से ओत-प्रोत 20 हजार से ज्यादा गांवो की, 300 से ज्यादा नदियों की मिट्टी आज इस ईमारत का हिस्सा बनेगी। एक मुट्ठी मिट्टी के साथ-साथ एमपी के लाखों परिवारों ने समरसता भोज के लिए एक एक मुट्ठी अनाज भी भेजा है। इसके लिए जो पांच समरसता यात्राएं चल रही थी। आज उनका भी सागर की धरती पर समागम हुआ है। मैं मानता हूं कि ये समरसता यात्राएं यहां खत्म नहीं हुई है बल्कि यहां से सामाजिक समरसता के एक नए युग की शुरुआत हुई है। मैं इस कार्य के लिए मध्य प्रदेश सरकार का अभिनंदन करता हूं, मुख्यमंत्री भाई शिवराज सिंह चौहान जी का अभिनंदन करता हूं।
कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि पहले की सरकारों के समय जो योजनाएं आती थी। वो चुनावी मौसम के हिसाब से आती थी। लेकिन हमारी सोच है कि जीवन के हर पड़ाव पर देश दलित, वंचित, पिछड़े, आदिवासी महिलाएं इन सबके साथ खड़ा हो। हम उनकी आशाओं और आकांक्षाओं को सहारा दें।
उल्लेखनीय है कि फरवरी माह में ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समरसता के प्रणेता श्री संत रविदास जी के भव्य और दिव्य रूप में स्मारक और मंदिर निर्माण कराने की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री द्वारा आज किए गए शिलान्यास के बाद अब यहाँ भव्य और अलौकिक मंदिर बनेगा। यह मंदिर नागर शैली में 10000 वर्ग फुट में बनेगा। यहाँ इंटरप्रिटेशन म्यूजियम भी बनेगा। संस्कृति और रचनात्मक के साथ संत रविदास के कृतित्व-व्यक्तित्व को प्रदर्शित करने वाला संग्रहालय भी इस परिसर में बनेगा। संग्रहालय में चार गैलरी बनेगी, जिनमें भक्ति मार्ग, निर्गुण पंथ में योगदान, संत जी का दर्शन और उनके साहित्य, समरसता का विवरण भी रहेगा लाइब्रेरी के अलावा संगत हाल, जल कुंड, भक्त निवास भी बनेगा, जो आध्यात्मिक और आधुनिक सुविधाओं से युक्त होगा। भक्त निवास में देश-विदेश से संत रविदास के अनुयायी और अध्येता आएंगे, जिन्हें संत जी के जीवन से प्रेरणा मिलेगी। पन्द्रह हजार वर्गफुट में भोजनालय का निर्माण होगा। मंदिर में दो भव्य प्रवेश द्वार होंगे, सीसीटीवी कैमरे और लाइटिंग की व्यवस्था भी रहेगी।
वास्तु और विन्यास अनुसार संत रविदास जी का मंदिर अध्यात्म कला संग्रहालय भी होगा, जो श्रद्धा, आस्था और भक्ति का अभूतपूर्व स्थल होगा। दार्शनिक और अध्येता और जिज्ञासु भी देश-विदेश से आएंगे। संत रविदास जी का कृतित्व,- व्यक्तित्व और दर्शन पूरी दुनिया के लिए प्रेरणादायी होगा।