PM नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश में 50 हजार शिक्षकों की भर्ती पर राज्य सरकार को दी बधाई
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नवनियुक्त 5 हजार 580 शिक्षकों को प्रदान किए नियुक्ति बधाई पत्र
भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त होने वाले 5 हजार 500 से अधिक शिक्षकों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा है कि आप पर भारत की भावी पीढ़ी को गढ़ने, उन्हें आधुनिकता में ढालने और नई दिशा देने की जिम्मेदारी है। पिछले तीन वर्षों में हुई लगभग 50 हजार शिक्षकों की भर्ती के लिए राज्य सरकार बधाई की पात्र है।
प्रधानमंत्री मोदी नवनियुक्त शिक्षकों के प्रशिक्षण-सह-उन्मुखीकरण तथा उन्हें बधाई पत्र सौंपने के लिए शासकीय महात्मा गांधी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में हुए कार्यक्रम से वर्चुअली जुड़कर नवनियुक्त शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी नवनियुक्त शिक्षकों को प्रेरित किया तथा उन्हें बधाई पत्र सौंपे।
मातृ भाषा में पढ़ाई को लेकर हुए विशेष प्रयास- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नव नियुक्त शिक्षक राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने जा रहे हैं। विकसित भारत के संकल्प को सिद्ध करने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रभावी योगदान है। इसमें पारम्परिक ज्ञान से लेकर भविष्य की टेक्नालॉजी को समान रूप से महत्व दिया गया है। प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में भी नया पाठ्यक्रम तैयार किया गया है। मातृ भाषा में पढ़ाई को लेकर विशेष प्रयास हुए हैं। सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अंग्रेजी न जानने वाले छात्रों के लिए उनकी मातृ भाषा में पढ़ाई की व्यवस्था की गई है। पाठ्यक्रम में क्षेत्रीय भाषाओं की पुस्तकों पर बल दिया गया है। देश की शिक्षा व्यवस्था में ये बहुत बड़े बदलाव का आधार बनेगा।
नव-नियुक्त शिक्षक सीखते रहने की प्रवृत्ति जारी रखें-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नव-नियुक्त शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि आप सभी कड़ी मेहनत से यहाँ तक पहुँचे हैं, आगे भी आप सीखते रहने की प्रवृत्ति जारी रखें। सरकार ने ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफार्म IGOT Karmayougi तैयार किया है। शिक्षकगण इस सुविधा का अधिक से अधिक लाभ उठाने का प्रयास करें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश में शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार, इन तीनों ही स्तरों पर दूरगामी नीति और निर्णय के साथ अनेक वित्तीय पहल की जा रही है। इस 15 अगस्त पर पीएम विश्वकर्मा योजना का ऐलान किया गया। हमारे विश्वकर्मा सारथियों के पारपम्परिक कौशल को 21वीं सदी की जरूरतों के मुताबिक ढालने के लिये पीएम विश्वकर्मा योजना बनाई गई है। इस पर लगभग 13 हजार करोड़ रूपये खर्च होंगे। अलग-अलग तरह के 18 हुनर से जुड़े परिवारों को हर प्रकार की सहायता दी जायेगी, जिससे युवाओं को अपना कौशल निखाने के अवसर मिलेंगे।
शिक्षक बनना कोई साधारण नौकरी नहीं है,शिक्षक इंसान गढ़ते हैं- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नव नियुक्त शिक्षकों से कहा कि शिक्षकों का काम विद्यार्थियों को बेहतर ज्ञान और बेहतर मनुष्य बनने के संस्कार देना है। शिक्षक बनना कोई साधारण नौकरी नहीं है, शिक्षक इंसान गढ़ने का काम करते हैं। आप विद्यार्थियों की चिंता करिए आप सभी के भविष्य की चिंता करना मेरा काम है। मुख्यमंत्री ने नव नियुक्त शिक्षकों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि आप सब मेरे भांजे-भांजियाँ हैं और हमारा प्रेम व स्नेह का नाता है। शिक्षक अर्थात गुरू का दायित्व ग्रहण करने से मेरे मन में आपके प्रति आदर भाव है। गुरू का अर्थ अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाना है। गुरू वह कुम्हार है जो माटी से जैसी चाहे मूर्ति बना दे। जैसा आप बच्चों को गढ़ना चाहेंगे गढ़ देंगे। आप पर ही आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को गढ़ने की जिम्मेदारी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिपुरूष शंकराचार्य जी ने कहा था जो मुक्ति दिलाए, वही शिक्षा है। मुक्ति का अर्थ है जो इस लोक में हमें रहने के लायक बना दे अर्थात हमें ज्ञान, कौशल और नागरिकता के संस्कार दे, वही शिक्षा है। मेरी प्रेरणा स्वामी विवेकानंद रहे हैं। वे कहते थे शिक्षा वह है जो मुनष्य को मनुष्य बना दे। मनुष्य का अर्थ है चरित्रवान, ईमानदार, शालीन, कर्मठ, देशभक्त और परोपकारी तथा जो दुनिया को बेहतर बनाए, वही मनुष्य है। मुख्यमंत्री ने नवनियुक्त शिक्षकों से श्रीमद भगवद गीता में उल्लेखित सात्विक कार्यकर्ता के गुणों के अनुरूप अपना व्यक्तित्व विकसित करने का आहवान किया।
मुख्यमंत्री ने अपने शिक्षक रतनचंद्र जैन का स्मरण करते हुए कहा कि मैं आज जो कुछ भी हूँ, उसका सम्पूर्ण श्रेय मेरे गुरु श्री जैन को है। उन्होंने सीमित संसाधनों में हमारी क्षमताओं को निखारा। शिक्षक के रूप में संचित ज्ञान आने वाली पीढ़ी को हस्तांतरित करना, उन्हें कौशल और नागरिकता के संस्कार देना आपका दायित्व है। यह दायित्व सही तरीके से निर्वहन करने के लिए आवश्यक है कि आप का आचरण और व्यवहार ठीक हो। महात्मा गांधी के एक प्रसंग का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हम बच्चों से जैसे व्यवहार की अपेक्षा है वैसा आचार- व्यवहार पहले हमें अपनाना होगा। कथनी और करनी में समानता होने से ही विद्यार्थी और उनके माता-पिता आपका अनुसरण करेंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मैं सरकार नहीं, परिवार चलाता हूँ। हम सब एक परिवार हैं।