-खुशबू मेस्सुरानी
किसी समय भूकंप से तबाह हुआ कच्छ आज पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है। कच्छ का खार या कच्छ का रण करीब 26 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। रण का अर्थ नमक का दलदल से है। रण को दो हिस्सों में बांटा गया है- एक 'ग्रेट रण' और दूसरा 'लिटिल रण', जो कि दक्षिण-पूर्व की ओर फैला हुआ है। कच्छ की विरासत और संस्कृति को देश और दुनिया तक पहुंचाने के लिए गुजरात पर्यटन विभाग ने 'रण उत्सव' की शुरुआत की। इसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि आज कच्छ पर्यटकों की बड़ी पसंद बनकर उभरा है।
रण ऑफ़ कच्छ गांधीधाम से 108 किलोमीटर की दूरी पर है। जैसे ही रण कच्छ पहुंचते हैं आपको आपको रंगों से भरा प्रवेश द्वार दिखेगा जो कि 'टेंट सिटी' की तरफ बढ़ता है। यहां आपको पारंपरिक नृत्य, संगीत, भोजन, कपड़े के साथ-साथ हस्तकला, पैरामोटरिंग, ट्रेकिंग, स्टारगेज़िंग और फ्लेमिंगो देखने को मिलेंगे।
यहां वाहन की भी व्यवस्था है, जिससे आप रण की सैर कर सकते हैं। टेंट सिटी के बाहर भी पर्यटकों के लिए स्टाल्स लगाए हैं, जहां से भिन्न-भिन्न प्रकार के गहने, पर्स, शोपीस, और नवरात्रि के पोशाक- घाघरा-चोली और केडियू (कोटि) आदि खरीदे जा सकते हैं। यहां दिसंबर में घूमने का सबसे अच्छा समय माना जाता है। हालांकि रण उत्सव नवंबर से मार्च तक जारी रहता है।
चांदनी रात में यहां का सौन्दर्य देखते ही बनता है। पूर्णिमा की रात यहां नमक वाली जमीन ऐसे चमकती है मानो धरती पर जरी बिछा दी हो। दिन में रण कच्छ पूरा सफेद दिखता है। ऐसा लगता है मानो जमीन और आसमान एक हो गए हों। दोनों के बीच फर्क करना काफी मुश्किल हो जाता है। खुला आकाश, ठंडी हवा और एक विशाल रण, यह सब मिलकर इस स्थान की सुंदरता को स्वर्ग जैसा बनाते हैं।
वर्ष 2020 में कुछ स्थानों पर पानी भर जाने के कारण दूर तक नहीं जा सकते थे, लेकिन ये दृश्य भी मंत्रमुग्ध करने वाला था। यहां एक विशाल मंच बनाया गया है, जहां चढ़कर आपको रण की सुंदरता का मनोरम दृश्य देखने को मिलेग। यहां पर ऊंटों और घोड़ों की पीठ को रंगीन वस्त्रों से सजाया जाता है। इससे पर्यटकों को आरामदायक और शाही सवारी का अनुभव होता है।
रण के पास ही 'कालो डूंगर' है, जिसकी ऊंचाई 15-16 फुट है, जहां से रण का मनोरम दृश्य देखने को मिलता है। इसी इलाके में 'भिरंदियारा' नामक गांव एम्ब्रॉइडरी और मावा (मिल्क केक) के लिए काफी प्रसिद्ध है। यदि आप रण कच्छ जा रहे हैं यहां भी जाना बिलकुल भी मत भूलिएगा। ...और हां, सिर्फ पर्यटक बनकर मत जाइए, खोजकर्ता भी बनिए। आपको बहुत कुछ सीखने और समझने को मिलेगा। तो फिर पधारिए और कुछ दिन गुजारिए कच्छ में।