भोपाल (एमपी)। एक स्थानीय दक्षिणपंथी हिंदू संगठन ने मंगलवार को मांग की है कि गरबा आयोजकों को केवल उन लोगों को ही प्रवेश की अनुमति देनी चाहिए जो भगवान विष्णु के तीसरे अवतार 'वराह' की पूजा करते हैं, ताकि अन्य समुदायों के सदस्यों को दूर रखा जा सके। हिंदू पौराणिक कथाओं में 'वराह अवतार' को भारतीय शूकर के रूप में दर्शाया गया है।
इससे पहले, मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता ने मांग की थी कि तीन अक्टूबर से शुरू होने वाले नवरात्रि उत्सव के दौरान गरबा नृत्य में भाग लेने के इच्छुक लोगों के लिए गोमूत्र पीना अनिवार्य होना चाहिए। यहां 'संस्कृति बचाओ मंच' के प्रमुख चंद्रशेखर तिवारी ने मंगलवार को कहा कि गरबा आयोजकों को 'वराह' की पूजा करने के बाद ही किसी व्यक्ति को पंडाल में प्रवेश की अनुमति देनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि पंडालों के प्रवेश द्वार पर वराह की तस्वीर लगाई जानी चाहिए। तिवारी ने कहा कि इसके अलावा हर प्रतिभागी को 'पंच-गव्य' दिया जाना चाहिए, जिसमें गाय का मूत्र, गोबर, दूध, दही और घी शामिल है। उन्होंने कहा कि ये शर्तें अन्य समुदायों के सदस्यों के प्रवेश को रोकेंगी, जो वराह अवतार को अपवित्र मानते हैं।
तिवारी ने आगे कहा कि केवल सनातन धर्म में विश्वास रखने वाले लोग ही 'पंच-गव्य' लेने के लिए तैयार होंगे। इससे पहले इंदौर जिला भाजपा अध्यक्ष चिंटू वर्मा ने सुझाव दिया था कि गरबा आयोजक केवल उन लोगों को प्रवेश दें जो गोमूत्र का आचमन करते हों।(भाषा)(फ़ाइल चित्र)
Edited by: Ravindra Gupta