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मध्यप्रदेश में आदिवासियों के घर तक पहुंचाया जाएगा राशन, आदिवासी क्षेत्रों में स्वशासन की व्यवस्था भी होगी लागू

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विकास सिंह

, शनिवार, 18 सितम्बर 2021 (15:00 IST)
मध्यप्रदेश में आदिवासी वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा ने अपना मिशन शुरु कर दिया है। शनिवार को जबलपुर में शंकर शाह और रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर ‘जनजातीय नायकों का गौरव समारोह’  कार्यक्रम के जरिए भाजपा ने आदिवासियों को रिझाने के लिए बड़ा दांव चला। कार्यक्रम में शामिल हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा आदिवासियों के सम्मान की रक्षा और उनके विकास के लिए संकल्पित है। 
 
वहीं कार्यक्रम में कांग्रेस पर हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जनजातीय भाई-बहनों के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाने का काम कर रही है, जबकि 15 महीने उनकी सरकार रही और उन्होंने इनके कल्याण के लिए एक काम नहीं किया। कांग्रेस ने जनजातीय बन्धुओं के कल्याण का केवल नाटक किया। 
 
आदिवासी वोट बैंक को रिझाने के लिए कई बड़े एलान किए है। मंच से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के आदिवासियों को उनके घर पर ही राशन पहुंचाने का एलान किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि 1 नवंबर से जनजातीय बाहुल्य विकासखंडों में घर-घर राशन का वितरण किया जाएगा। प्रदेश के 89 जनजातीय बाहुल्य विकासखण्डों में अब किसी भी जनजाति भाई बहिन को राशन लेने के लिए दुकानों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। उनके अधिकार का राशन सरकार उनके घर तक भिजवायेगी। 
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मुख्यमंत्री ने कहा कि गांव-गांव तक राशन पहुंचाने की योजना से जनजातीय विकास खण्डों के 7 हजार 500 से अधिक गांव में रहने वाले 23 लाख 80 हजार परिवारों को फायदा मिलेगा। इन परिवारों तक राशन की सामग्री 489 वाहनों से पहुँचाई जायेगी। एक वाहन से हम एक माह में अधिकतम 20 गाँव में राशन वितरण की व्यवस्था कर रहे हैं। 
 
जनजातीय युवाओं को गाँव में ही रोजगार प्रदान करने के लिए राशन के वाहन सरकार उन्हीं से किराए पर लेगी। इन वाहनों को खरीदने के लिए युवाओं को बैंक से लोन उपलब्ध कराया जायेगा। हर राशन वाहन के लिए एक माह का रुपए 26 हजार किराया हमारे वाहन मालिक युवाओं को मिलेगा जिससे वे अपनी आजीविका भी चला सकेंगे।
 
वहीं मुख्यमंत्री ने पेसा एक्ट को चरणबद्ध तरीके से मध्यप्रदेश में लागू किया जाएगा। पेसा यानी पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) क़ानून 1996 में बनाया गया था। इस कानून को आदिवासी-बहुल क्षेत्र में स्व-शासन (ग्राम सभा) को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से लाया गया था।  
 

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