भोपाल। मध्यप्रदेश में लंबे समय से चर्चा के केंद्र में रहा व्यापमं का नाम अब बदल गया है। आज मंत्रालय में शिवराज कैबिनेट की बैठक में मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) का नाम बदलकर कर्मचारी चयन बोर्ड करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। कर्मचारी चयन बोर्ड सामान्य प्रशासन विभाग के तहत काम करेगा। कैबिनेट के बैठक के बाद सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल का नाम बदलकर कर्मचारी चयन बोर्ड करने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है। कर्मचारी चयन बोर्ड अब सामान्य प्रशासन विभाग के अंतर्गत काम करेगा।
सरकार ने व्यापमं का नाम बदलने का फैसला ऐस वक्त लिया है जब एक दिन पहले ही पीएमटी 2013 में हुई गड़बड़ी के मामले में 160 आरोपियों के खिलाफ सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में चालान पेश किया गया है। पीएमटी 2013 में हुई गड़बड़ी की जांच सीबीआई कर ही है। व्यापमं मामले में पहली एफआईआर इंदौर के राजेंद्र नगर थाने में दर्ज की गई थी। जिसकी जांच पहले एसटीएफ और बाद में सीबाआई को सौंप दी गई थी।
ऐसा नहीं है कि व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) का नाम पहली बार बदला गया है, इससे पहले प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड किया गया था। दरअसल व्यापमं के चलते प्रदेश भाजपा सरकार की काफी बदनामी हुई थी। व्यापमं लंबे समय से भाजपा सरकार की गले की हड्डी बना हुआ है।
पिछले भाजपा सरकार के समय सामने आए व्यापमं फर्जीवाड़ा का मामला 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का मुख्य मुद्दा था। कांग्रेस ने व्यापमं घोटाले को लेकर सीधे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेरा था, वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान व्यापमं केस में आरोपी रहे लक्ष्मीकांत शर्मा की शिवराज सिंह चौहान के मंच पर होने के मुख्य मुद्दा बनाया था। वहीं व्यापमं घोटाले से जुड़े लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत पर भी खूब राजनीति हुई थी।