मध्यप्रदेश में चुनावी साल में फिर निकला व्यापमं का जिन्न, दिग्विजय सिंह की 8 साल पहले शिकायत पर STF ने दर्ज की FIR
एसटीएफ की FIR में व्यापमं घोटाले में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों की मिलीभगत का जिक्र
भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनावी साल में व्यापमं का जिन्न एक बार बाहर निकल आया है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की ओर से 8 साल पहले की गई एक शिकायत पर एक एफआईआर दर्ज होने के बाद व्यापमं के मामला फिर सुर्खियों में आ गया है। एसटीएफ की ओर से दर्ज एफआईआर में भाजपा नेताओं और मंत्रियों की मिलीभगत का जिक्र होने से जहां कांग्रस को भाजपा सरकार को घेरने का एक मौका मिल गया है, वहीं भाजपा के इस पूरे मामले पर बैकफुट पर नजर आ रही है।
क्या है पूरा मामला?-प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की एक शिकायत पर प्रदेश एसटीएफ ने केस दर्ज किया है। व्यापमं की ओर से आयोजित 2006 की परीक्षा को लेकर एसटीएफ ने जो एफआईआर दर्ज की है उसमें जिक्र है कि कुछ लोगों ने आर्थिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से व्यापमं के अधिकारियों से मिलकर तथा मध्यप्रदेश शासन के मंत्री, भाजपा के वरिष्ठ नेता गण तथा अन्य लोगों के प्रत्यक्ष या परोक्ष सहयोग से इस व्यापम घोटाले को अंजाम दिया गया है
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने 8 साल पहले इस मामले की शिकायत एसटीएफ के तत्कालीन एडीजी सुधीर शाही से की थी, जिसमें अब एसटीएफ ने एफआईआर दर्ज की है।
क्यों मचा बवाल?- एसटीएफ ने जो एफआईआर दर्ज की है, उसमें भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों के जिक्र होने से भाजपा में नया घमासान छिड़ गया है। चुनावी साल में एसटीएफ की ओर से एफआईआर दर्ज होने से भाजपा संगठन नाराज बताया जा रहा है। भाजपा से जुड़े सूत्र बताते है कि इस पूरे मामले पर प्रदेश संगठन ने पार्टी के केंद्रीय संगठन को भी शिकायत की है।
कांग्रेस ने किया हमला- वहीं व्यापमं मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद कांग्रेस को बैठे बिठाए भाजपा को घेरने का मुद्दा मिल गया है। इस पूरे मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने भाजपा सरकार को घेरते हुए कहा कि व्यापमं घोटाले को कितना भी भाजपा सरकार दबा ले, लेकिन सच सामने आ जाता है, एक बार फिर खुद एसटीएफ ने यह बात कबूल कर ली है कि व्यापमं घोटाले में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों का हाथ रहा है। अब सरकार को इसमें ईमानदारी से जांच करानी चाहिए और जिन नेताओं और मंत्रियों की भूमिका रही है, उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
चुनावी साल में FIR पर उठे सवाल- मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले व्यापमं मामले में FIR दर्ज होने से सियासत गर्मा गई है। गौरतलब है कि 2018 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने व्यापमं का मुद्दा जोर शोर से उठाया था। राहुल गांधी ने अपने हर चुनावी भाषण में व्यापमं घोटाले को लेकर शिवराज सरकार को घेरते नजर आए थे। वहीं 2108 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह की ओर से भोपाल की जिला कोर्ट में एक केस दायर किया गया जिसकी पैरवी के लिए दिल्ली से कांग्रेस के बड़े नेता और वकील कपिल सिब्बल भोपाल आए।