भोपाल। ईद का त्यौहार कमलनाथ सरकार के लिए बड़ी खुशी लेकर आया है। प्रदेश में विपक्षी पार्टी भाजपा का एक फैसला कमलनाथ सरकार के लिए ईद के तोहफे जैसा है। कमलनाथ सरकार के भविष्य पर लगातार सवाल उठाने वाली भाजपा ने एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए विधायक से सांसद चुने गए जीएस डामोर को विधायक पद से इस्तीफा देने के निर्देश दिए हैं। डामोर के विधायकी से इस्तीफा देने के बाद अब कमलनाथ सरकार एक तरह से अपने बल पर विधानसभा में बहुमत साबित करने की स्थिति में आ गई है।
गुमान सिंह डामोर के इस्तीफे के साथ ही 230 सदस्यीय विधानसभा की सदस्य संख्या 229 हो गई है। इस नए घटनाक्रम के बाद कांग्रेस जिसके खुद 114 विधायक सदन में हैं, एक निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल जो सरकार में मंत्री हैं के साथ सदस्यों की संख्या कुल 115 हो गई है। ऐसे में मौजूदा 229 सदस्यों की विधानसभा में संख्या बल के आधार पर कांग्रेस सरकार को अपने बल पर बहुमत हासिल हो गया है।
इसके आलावा कांग्रेस को 3 और निर्दलीय विधायक के साथ ही सपा के 1 और बसपा के 2 विधायकों का समर्थन भी प्राप्त है। वहीं दूसरी ओऱ डामोर के इस्तीफे के बाद भाजपा विधायकों की संख्या सदन में 109 से घटकर 108 रह गई है। सियासत के जानकार भाजपा के इस फैसले पर आश्चर्य जता रहे हैं उनका कहना है कि एक ओर तो भाजपा की तरफ से बड़े नेता फ्लोर टेस्ट जैसी बातें कर रहे और ऐसी स्थिति में जब सदन में एक-एक विधायक महत्वपूर्ण है तब गुमान सिंह डमोर का विधायक पद से इस्तीफा देना समझ से परे है।
दूसरी ओर पार्टी के इस फैसले पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह कहते हैं कि भाजपा ने कभी फ्लोर टेस्ट कराने की बात ही नहीं की, कांग्रेस सरकार खुद अपने अंतर्विरोध के चलते ज्यादा दिन नहीं चलेगी और जल्दी ही गिर जाएगी, भाजपा कभी सरकार को गिराने का काम नहीं करेगी।
वहीं गुमान सिंह डमोर के इस्तीफे के बाद अब एक बार फिर सबकी निगाह झाबुआ सीट पर होने उपचुनाव पर लग गई है, जिसको जीतने के लिए सत्तारुढ़ दल कांग्रेस कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। विधानसभा चुनाव में भाजपा के जीएस डामोर ने कांग्रेस के दिग्गज नेता कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को 10 हजार से अधिक वोटों से हराया था।