Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

द डायस्पार्क स्कूल का शुभारंभ, फ्यूचर एजुकेशन के लिए इंदौर को बड़ी सौगात

Advertiesment
हमें फॉलो करें The Diaspark School

विशेष प्रतिनिधि

इंदौर , शनिवार, 26 अप्रैल 2025 (17:34 IST)
Launch of The Diaspark School in Indore: शहर के मध्य बाबू लाभचंद छजलानी मार्ग पर शनिवार को द डायस्पार्क स्कूल का शुभारंभ हुआ। इस स्कूल में सीबीएसई मानकों के अनुसार तो सभी सुविधाएं होंगी ही, लेकिन इससे इतर स्कूल का फोकस 21वीं सदी की शिक्षा पर रहेगा। यहां पारंपरिक विषयों को पढ़ाने के साथ ही इस बात पर खास जोर रहेगा कि 2050 में जब आपका बच्चा जॉब मार्केट में एंटर करेगा तो उसे किस तरह की स्किल्स की आवश्यकता होगी।
 
द डायस्पार्क स्कूल की डायरेक्टर श्रीमती सुनीता छजलानी एवं श्री विनय छजलानी ने बताया कि सीबीएसई मापदंडों के अनुसार लैब्स, स्पोर्ट्‍स एरिया, लाइब्रेरी और स्टूडेंट्‍स को मिलने वाली सुविधाएं हर स्कूल का हिस्सा होती ही हैं, लेकिन हम करिकुलम को किस तरह डिलीवर करेंगे, यह सबसे महत्वपूर्ण है। बच्चे के विकास के लिए सही शिक्षा के साथ पैरेंटिंग भी जरूरी है। बदलते वातावरण और बदलती दुनिया में शिक्षा कैसे रिलिवेंट रहे, इस पर हमारा खास जोर रहेगा। उन्होंने बताया कि शिक्षा का वह दौर चला गया, जब 1 टीचर 100 बच्चों को पढ़ाता था। वर्तमान में आपको जानना होगा कि हर बच्चा यूनिक है, हर बच्चे का भविष्य अलग होता है। ऐसे में यूनिक बच्चे की पहचान कर एक ही करिक्यूलम को उसके आधार पर कैसे विकसित किया जाए, यही हमारे स्कूल की सबसे बड़ी विशेषता होगी। 
 
बोर्ड से ज्यादा स्कूल महत्वपूर्ण : स्कूल के शुभारंभ अवसर पर अलग-अलग विषयों पर 3 वर्कशॉप का आयोजन किया गया। वर्कशॉप के पहले सत्र में 'नेचर नर्चर' के सह-संस्थापक अक्षल अग्रवाल ने कहा कि बच्चा किस बोर्ड से पढ़ रहा है, उससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि वह किस स्कूल में पढ़ रहा है? उन्होंने कहा कि एजुकेशन सिस्टम से सबसे ज्यादा संतुष्ट कौन लोग हैं। सबसे कम इम्प्लॉयर, इसके बाद पैरेंट्स जिनके बच्चे स्कूलों में पढ़ने आ रहे हैं और सबसे ज्यादा एजुकेशन प्रोवाइडर्स। इसलिए चीजों को ग्राउंड से बदलने की आवश्यकता है। 
webdunia
उन्होंने चाइल्ड डेवलपमेंट में 20 साल के रिसर्च के आधार पर कहा कि 4 साल के बच्चे में सीखने की क्षमता 50 साल के व्यक्ति से कई गुना ज्यादा होती है। 10 वर्ष तक बच्चों पर सबसे कम ध्यान दिया जाता है जबकि यही उम्र सबसे महत्वपूर्ण होती है। उन्होंने कहा कि सभी सीबीएसई, आईसीएसई सभी बोर्डों का ध्यान 10 वर्ष के ऊपर के बच्चों पर ही ज्यादा है। उन्होंने कहा कि सभी स्कूलों का ध्यान कुछ ही चीजों पर रहता है। कुछ स्कूल अन्य स्कूलों से बेहतर कर रहे हैं, पर वर्षों से उनका पाठ्यक्रम नहीं बदला है। द डायस्पार्क स्कूल का फोकस 21वीं सदी की शिक्षा पर है। हम यहां पारंपरिक विषयों के साथ ही इस बात पर ध्यान देंगे कि 2050 में जब आपका बच्चा जॉब मार्केट में इंटर करेगा तो उसे किस तरह के स्किल्स की आवश्यकता होगी।
 
क्यों जरूरी है पैरेंटिंग : वर्कशॉप के दूसरे सत्र में बेंगलुरु के पैरेंटिंग कोच और परामर्श मनोवैज्ञानिक अभिषेक पसारी ने 'जॉय ऑफ पैरेंटिंग' पैरेंट्‍स से इंटरैक्ट करते हुए काफी रोचकपूर्ण तरीके से अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि हर माता-पिता सिर्फ पालक नहीं, निर्माता बने। स्वच्छता सड़कों पर ही नहीं, पर विचारों में भी होनी चाहिए। उन्होंने बताया किया कि पैरेंटिंग क्यों जरूरी है। उन्होंने सवाल किया कि पैरेंट्स के रूप में आपकी उम्र क्या है? किसने किसको जन्म दिया है? एक शिशु के आने से आप माता-पिता बने हैं। ऐसे में बच्चे और माता-पिता की उम्र एक है।
 
पसारी ने कहा कि बच्चे तो समय के साथ बड़े हो रहे हैं, क्या पैरेंट्स भी बड़े हो रहे हैं? या वे सिर्फ बच्चों को ग्रो करने में मदद कर रहे हैं। यदि आप बच्चों के साथ बड़े नहीं हो रहे हैं तो पीछे रह जाएंगे। जब हम यह सोचते हैं कि बच्चे और हमारी उम्र एक है तो हमारा नजरिया बदलता है, सोच बदलती है।
webdunia
माय शिशु एप के को-फाउंडर पसारी ने सवाल किया कि पैरेंट्स के रूप में आपका रोल क्या है? बच्चों को अच्छी शिक्षा देना, अच्छे संस्कार देना, बच्चों को अच्छे कपड़े, समाज और बैकग्राउंड देना। पैरेंट का मतलब है प्रोवाइडर। आप वही दे सकते हो, जो आपके पास है। जो नहीं है, वो आप कैसे देंगे? बच्चों के लिए लव का मतलब टाइम है। यदि आप बच्चों को फ्यूचर रेडी बनाना चाहते हैं तो इसके लिए पैरेंटिंग बहुत महत्वपूर्ण है। पैरेंट्‍स के रूप में अगर हमें यह नहीं पता कि बच्चों को क्या देना है तो यह हमारे लिए एक अलार्म है। हमसे एक बच्चा नहीं संभलता जबकि टीचर्स 25-25 बच्चे संभालते हैं। यह सब टेक्निक का खेल है। पसारी ने कहा कि अच्छी पैरेंटिंग के साथ ही अच्छे स्कूल का भी चयन करना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इंदौर ने वर्षों से पूरे देश को संस्कार, सेवा और सजगता का संदेश दिया है। इसी विरासत को द डायस्पार्क स्कूल आगे लेकर चल रहा है।
 
भविष्य की चुनौतियां : तीसरे सत्र में आकांक्षा फाउंडेशन मुंबई की स्कूल हैड वेनिश अली और स्कूल के स्टूडेंट वाइस प्रेसीडेंट यश ने अपने स्कूल का उदाहरण देते हुए फ्यूचर एजुकेशन के मॉडल पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आकांक्षा स्कूल में बच्चे भी स्कूल के संचालन में टीचर्स की तरह ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वेनिश ने टीचर और यश ने स्टूडेंट के रूप में अपने 10 सालों के अनुभव शेयर किए। उन्होंने भविष्य में छात्रों के सामने आने वाली चुनौतियों पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि भविष्य में जॉब क्रिएटर्स की ज्यादा आवश्यकता होगी। उन्होंने भविष्‍य में होने वाले जलवायु परिवर्तन, हीट वेव, ऑफ सीजनल रेन की बात कहते हुए वर्तमान स्कूली शिक्षा पद्धति पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि आकांक्षा स्कूल की तरह ही द डायस्पार्क स्कूल में भी फ्यूचर एजूकेशन मिलेगी।
 
कार्यक्रम की शुरुआत में सभी अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर द डायस्पार्क स्कूल का शुभारंभ किया। स्वागत भाषण में स्कूल की डायरेक्टर श्रीमती सुनीता छजलानी ने कहा कि स्कूल में आधुनिक शिक्षा के साथ ही परंपरागत मूल्यों पर भी ध्यान दिया जाएगा। आभार प्रदर्शन श्री विनय छजलानी ने किया।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Pahalgam Terror Attack : महाराष्ट्र में रह रहे 55 पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश