Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

संविधान से आगे है परंपरा : कैलाश विजयवर्गीय

Advertiesment
हमें फॉलो करें Kailash Vijayvargiya

नवीन रांगियाल

बचपन के दिनों की बात है। कभी हम पान नहीं खाते थे अपने पिता के सामने, मैंने कभी अपने बेटे आकाश को गोद में नहीं उठाया। यह हमारे बड़े बुजुर्गों के लिए लिहाज था, यह किसी संविधान में नहीं लिखा है। यह हमारी परंपरा का हिस्सा था। परंपरा संविधान से आगे है। लेकिन अब वो परंपरा खत्म हो रही है। सभी तरह का पतन हो रहा है। पिछले दिनों एक महान यात्रा साबरमती से प्रयागराज तक दिखाई गई। एक बड़े चैनल पर यह भी दिखाया गया कि कैसे उसने रुककर बाथरूम की। यह क्या दिखा रहे हैं हम? मीडिया के तौर पर हम यह सब क्या दिखा रहे हैं?
 
सराफा इंदौर का कल्चर है
इंदौर देश ने सबसे साफ़ शहर है। पूरे देश में इंदौर का डंका बज रहा है, लेकिन कोई नहीं दिखा रहा कि कैसे इंदौर इतना साफ शहर बना? मीडिया यह सब क्यों नहीं दिखता? आप नाइट कल्चर का विरोध करते हो, लेकिन इंदौर में नाइट लाइफ जब से हैं जब से पूरे देश में कहीं नाइट लाइफ को कोई जानता नहीं था। हमारे यहां सराफा में जाकर देखिए, आज से नहीं सालों से सराफा में नाइट लाइफ एक कल्चर की तरह नजर आती है। छोटे कपड़े पहनना, ड्रिंक करना, क्लब में जाना इंदौर का नाइट कल्चर नहीं है। 
 
आज पूरी दुनिया में देश का मान है
इस देश में सब खराब नहीं हो रहा है। मैने अपनी विदेश यात्रा के दौरान एक होटल में रुकने के दौरान एक ट्वीट कर दिया कि कोई भारत से है और मुझसे मिलना चाहता है तो आ जाए। आप यकीन कीजिए 110 लोग आए मुझसे मिलने। और उन लोगों ने मुझे बताया कि मोदी जी के पीएम बनने के बाद हमारा अपनी कंपनियों में मान बढ़ गया। मैं आपको बता दूं कि मैंने भी आधी दुनिया छान मारी है, लेकिन 2014 के बाद पूरी दुनिया में भारत का डंका बज रहा है यह मैं अपनी आंखों से देख चुका हूं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

राज्‍य सरकारों को SC की नसीहत, दया याचिकाओं पर जल्‍द हो फैसला, दोषी उठा रहे देरी का फायदा