‘ऑपरेशन सिंदूर’ का इस्तेमाल चुनावी फायदे के लिए : भट्टाचार्य
, शुक्रवार, 23 मई 2025 (18:40 IST)
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने शुक्रवार को केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा पर पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के खिलाफ इस महीने के प्रारंभ में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर से चुनावी लाभ लेने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
भट्टाचार्य ने एक दिन पहले राजस्थान में एक रैली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस सैन्य अभियान का जिक्र करने तथा रेलवे टिकटों पर उनके फोटो छपे होने को लेकर कड़ा ऐतराज जताया। वामपंथी नेता ने आरोप लगाया कि ऑपरेशन सिंदूर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला था, लेकिन हम चुनावी लाभ के लिए इसका इस्तेमाल करने के बेशर्म प्रयास देख सकते हैं। ट्रेन टिकटों पर प्रधानमंत्री की तस्वीरें और मिशन का उल्लेख इसका स्पष्ट प्रतिबिंब है।
प्रधानमंत्री ने राजनीति करने की कोशिश : उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर कल भी राजनीति करने की कोशिश की, जब उन्होंने कहा कि उनकी रगों में सिंदूर बहता है। यह वही व्यक्ति हैं जिन्होंने कुछ साल पहले कहा था कि उनकी रगों में कारोबार बहता है। भट्टाचार्य ने दावा किया कि सरकार पाकिस्तान के साथ हाल के सैन्य संघर्ष पर (संसद का) विशेष सत्र बुलाने से बच रही है, जिसकी मांग इंडिया गठबंधन कर रहा है, क्योंकि वह (सरकार) यह स्वीकार करने से कतरा रही है कि गतिरोध के कारण देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ गया है।
भाकपा (माले) महासचिव ने कहा कि भारत अलग-थलग पड़ गया। कोई भी अन्य देश हमारे समर्थन में नहीं आया, यही कारण है कि सरकार ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का सहारा लिया। यहां तक कि हमारे प्रधानमंत्री के तथाकथित मित्र, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी कोई नरमी नहीं दिखाई। भारतीय प्रवासियों को अमेरिका से अपमानित और बेदखल किया जा रहा है और हमें उनके व्यापार युद्ध के कारण कष्ट सहना पड़ रहा है।
छत्तीसगढ़ में हाल में हुई मुठभेड़ के सिलसिले में वामपंथी नेता ने आरोप लगाया कि आदिवासी राज्य में खनिजों के समृद्ध भंडार की कॉर्पोरेट लूट को सुगम बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस मुठभेड़ में 20 से अधिक माओवादी मारे गए।
भट्टाचार्य ने दावा किया कि भले ही सरकार यह दिखावा कर रही है कि वह केवल सशस्त्र माओवादी छापामारों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, लेकिन तथ्य यह है कि आदिवासी कार्यकर्ताओं को भी उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है और हिमांशु कुमार जैसे गांधीवादियों को भगा दिया गया है।
उन्होंने दावा किया कि आदिवासी कार्यकर्ता सोनी सोरी द्वारा किए गए एक अध्ययन में भयावह तथ्य सामने आए हैं, जिनसे यह स्पष्ट होता है कि आदिवासियों को न केवल जीवित रहते हुए बल्कि मृत्यु के बाद भी सम्मान से वंचित किया जा रहा है। कई बार, मारे गए आदिवासियों के परिजनों को कीड़े खाए हुए शव सौंपे गए हैं। अगर सरकार छत्तीसगढ़ में उग्रवाद के समाधान के लिए गंभीर है, तो उसे प्रभावित पक्षों के साथ बातचीत का मार्ग खोलना चाहिए।
इंडिया गठबंधन के साझेदार ने यह भी कहा कि नई चार श्रम संहिताओं के विरोध में श्रमिक संघों का 20 मई को जो राष्ट्रव्यापी हड़ताल होने वाली थी, उसे नौ जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी गई है। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala
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