इंदौर। संस्था निनाद और अदबी कुनबा के दो दिवसीय 'हमसाज' कार्यक्रम के दूसरे दिन हिन्दू, मुसलमान और ईसाई धर्मगुरुओं ने अपने विचार रखे। हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने धर्म पर अपने विचार रखते हुए कहा कि धर्म के नाम पर लोग अल्लाह हू अकबर कहकर लोगों के गले काटते हैं, उनका दिल से कोई मतलब नहीं होता।
चिश्ती ने कहा कि खुदा की सच्ची मोहब्बत के कारण ही लोगों के चेहरे पर आंसू आते हैं। आज हालात यह हैं कि लोगों के पास घर तो हैं पर घरवाले नहीं हैं। अपनापन खत्म हो गया है, लोग एक दूसरे से दूर हो गए हैं। मीडिया को नसीहत देते हुए चिश्ती ने कहा कि वह गलत चीजें लोगों तक न पहुंचाए। उन्होंने कहा कि अजमेर शरीफ में आज भी लोगों के दिलों को जोड़ा जाता है। वहां जाति और धर्म पूछकर मदद नहीं की जाती।
विनम्र सेवा संतों की पहचान : फादर जोश प्रकाश ने धर्म पर अपने विचार रखते हुए कहा कि विन्रम सेवा ही संतो की पहचान है। प्रभु यह भी कहते हैं कि जहां तुम्हारी पूंजी है वहीं स्वर्ग है और पूंजी अच्छे कर्मों से एकत्रित होती है। बाइबल बताती है कि संसार में न्याय करने के लिए ईश्वर जरूर आएगा। संत बने बिना हम ईश्वर को नहीं समझ पाएंगे। क्योंकि हमारा ईश्वर पवित्र है, इसलिए पवित्र बनो तभी हम धर्म और धर्म की बातें समझ पाएंगे।
धर्म तर्क का विषय नहीं : निमाई सुंदरदास ने कहा कि धर्म तर्क का विषय नहीं है। ऐसा कोई भी धर्म जो यह बताता है कि भगवान कौन है, वही धर्म है। सभी धर्मों में एक ही बात समान है। वे सभी आपको आपके नित्य धर्म से परिचित कराते हैं। विश्व में जितने धर्म है उसका एक ही स्रोत है।
उन्होंने कहा कि जिसे हम धर्म समझते हैं, दरअसल वह पंथ है जो इंसानों को सत्य, सदाचार का मार्ग बताकर ईश्वर से जोड़ने का रास्ता बताता है। धर्म को समझने के लिए शांत मस्तिष्क का होना जरूरी है। हर इंसान यदि शांत रहकर धर्म को समझेगा, तो वह धर्म का सही अर्थ समझ जाएगा।