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महाभारत : कालिन्दी कैसे बनीं भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी?

हमें फॉलो करें महाभारत : कालिन्दी कैसे बनीं भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी?

अनिरुद्ध जोशी

, मंगलवार, 14 अप्रैल 2020 (16:49 IST)
भगवान श्रीकृष्ण की आठ पत्नियां थीं। रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा। सभी से उन्होंने गांधर्व विवाह किया था। आओ जानते हैं कि कालिन्दी से कैसे हुआ विवाह।

 
पांडवों के लाक्षागृह से कुशलतापूर्वक बच निकलने पर सात्यिकी आदि यदुवंशियों को साथ लेकर श्रीकृष्ण पांडवों से मिलने के लिए इंद्रप्रस्थ गए। युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव, द्रौपदी और कुंती ने उनका आतिथ्‍य-पूजन किया।

 
इस प्रवास के दौरान एक दिन अर्जुन को साथ लेकर भगवान कृष्ण वन विहार के लिए निकले। जिस वन में वे विहार कर रहे थे वहां पर सूर्य पुत्री कालिन्दी, श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने की कामना से तप कर रही थी। कालिन्दी की मनोकामना पूर्ण करने के लिए श्रीकृष्ण ने उसके साथ विवाह कर लिया। कालिन्दी खांडव वन में रहती थी। यहीं पर पांडवों का इंद्रप्रस्थ बना था।

 
यह भी कहा जाता है कि कालिंदी ने अर्जुन से कहकर श्रीकृष्ण से विवाह किया था। भागवतपुराण के अनुसार द्रौपदी ने कालिंदी का हस्तिनापुर में स्वागत किया था, उस समय कालिंदी ने अपने विवाह का रहस्य बताया था। 

 
कालिंदी-कृष्ण के पुत्र-पुत्री : श्रुत, कवि, वृष, वीर, सुबाहु, भद्र, शांति, दर्श, पूर्णमास और सोमक।

 
यह कथा इस प्रकार भी है कि एक बार कृष्ण और अर्जुन साथ में जंगल घूम रहे थे। कुछ दूर जाने के बाद वे प्यास बुझाने के लिए यमुना किनारे पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि एक परम सुंदरी तपस्या कर रही है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा तुम जाओ और पता लगाओं की यह देवी कौन हैं और क्यों तपस्या कर रही है।
 
अर्जुन ने आजकर उस देवी से पूछा तुम कौन हो और यहां अकेली तपस्या क्यों कर रही हो। सुंदरी ने कहा में सूर्य पुत्री कालिंदी हूं और भगवान विष्णु को पति रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या कर रही हूं। मैं भगवान के अलावा किसी ओर को अपना पति नहीं बना सकती। इस यमुना जल में मेरे पिता ने मेरे लिए एक भवन बना रखा है। मैं वहीं रहती हूं। भगवान श्रीकृष्ण मुझ पर प्रसन्न हों। जब तक मैं उनके दर्शन नहीं कर लेती मैं यहीं रहूंगी।
 
अर्जुन ने जाकर यह सारी बात श्रीकृष्ण को बता दी। श्रीकृष्ण तो यह जानते ही थे। उन्होंने कालिंदी को अपने रथ पर बैठाया और धर्मराज युधिष्ठिर के पास ले आए। कुछ दिनों पर श्रीकृष्ण ने अपने सभी संबंधियों और परिवार के लोगों की अनुमति के बाद वे उसे द्वारका ले गए और वहां उन्होंने कालिंदी से विवाह किया। उस दौरान ही वे सत्यकि के साथ भी थे। 

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