महाभारत के दौरान ऐसी भी अद्भुत घटनाएं घटी थी जिन्हें जानकार आप हैरान हो जाएंगे। उन कई घटनाओं में से हम लाएं हैं आपके लिए 10 खास घटनाओं के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
1. कहते हैं कि भीष्म पितामह प्रतिदिन 10 हजार पांडव सैनिकों का वध कर देते थे।
2. कहते हैं कि महाभारत के युद्ध में कुरुक्षेत्र में इतना खून बहा था कि वहां की मिट्टी का रंग आज भी लाल है।
3. कहा जाता है कि जिस दिन जितने भी योद्धा मर जाते थे उनमें से अधिकतर के शव उनके परिजनों को सौंप दिए जाते थे और बाकी शव वहीं पड़े रहते थे।
4. युद्ध के अंत के बाद कहते हैं कि युधिष्ठिर की आज्ञा से कुरुक्षेत्र की भूमि को जला दिया गया था ताकि किसी भी योद्धा का शव न बचे।
5. प्रतिदिन लाखों लोगों के लिए युद्ध भूमि के पास ही लगे एक शिविर में भोजन बनता था। युद्ध की शुरुआत के पूर्व के दिन लगभग 45 लाख से अधिक लोगों का भोजन बना। इसके बाद प्रतिदिन जितने योद्धा मर जाते थे उतना भोजन कम कर दिया जाता था, लेकिन यह पता कैसे चलता था कि आज कितने योद्धाओं का भोजन बनाना है? इसके लिए भोजन व्यवस्था देखने वाले उडुपी के राजा हर दिन शाम को जब श्रीकृष्ण को भोजन कराते थे तब श्रीकृष्ण के भोजन करते वक्त उन्हें पता चल जाता था कि कल कितने लोग मरने वाले हैं और कितने बचेंगे। कहते हैं कि इसके लिए श्रीकृष्ण प्रतिदिन उबली हुई मूंगफली या चावल खाते थे। उसी से राजा को पता चलता था कि कल कितने लोग मरेंगे तो मुझे शाम को कितने लोगों का भोजन बनाना है। इस तरह श्रीकृष्ण के कारण हर दिन सैनिकों को पूरा भोजन मिल जाता था और अन्न का एक दाना भी व्यर्थ नहीं जाता था।
6. कहते हैं कि महाभारत युद्ध के प्रारंभ होने के प्रथम दिन श्रीकृष्ण ने दोनों सेनाओं के बीच खड़े होकर अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था तब तक के लिए उन्होंने समय को रोक दिया था और सभी सैनिक स्तंभ जैसे हो गए थे।
7. गीता ज्ञान को अर्जुन के अलावा हस्तिनापुर में बैठे संजय ने और अर्जुन के रथ पर विराज मान हनुमानजी ने सुना था परंतु यह भी कहा जाता है कि वहां के आकाश में उड़ रहे पक्षियों में से कुछ पक्षियों ने भी यह ज्ञान सुना था।
8. दुर्वासा मुनि के श्राप के प्रभाव से वपु ने गरुड़वंशीय कंधर नामक पक्षी की पत्नी मदनिका के गर्भ से केक पक्षिणी के रूप में जन्म लिया। उसका नाम तार्क्षी था। बाद में उसका विवाह मंदपाल के पुत्र द्रोण से विवाह किया गया। 16 वर्ष की आयु में उसने गर्भ धारण किया। इसी अवस्था में उसके मन में महाभारत का युद्ध देखने की इच्छा जाग्रत हुई। वह आकाश में उड़ रही थी उसी समय अर्जुन ने अपनी किसी शत्रु के ऊपर बाण का संधान किया था। दुर्भाग्यवश यह बाण तार्क्षी के पंखों को छेदता हुआ निकल गया और वह अपने गर्भस्त्र अंडों को गिराकर स्वयं भी मृत्यु को प्राप्त होकर पुन: अपने अप्सरा स्वरूप में आकर देवलोक चली गई। लेकिन उसके अंडे गर्भ-विच्छेद के कारण पृथ्वी पर गिर पड़े। संयोगवश उसी समय युद्ध लड़ रहे भगदत्त के सुप्रवीक नामक गजराज का विशालकाय गलघंट भी बाण लगने से टूटकर गिरा और उसने अंडों को आच्छादित (ढंक लिया) कर दिया। कुछ समय बाद उन अंडों से बच्चे निकले। तभी उस समय मार्ग से विचरण करते हुए मुनि शमीक आ निकले। मुनि उन पक्षी शावकों पर अनुकंपा करके अपने आश्रम में ले जाकर पालने लगे।
9.महाभारत युद्ध के दौरान द्रौपदी युद्ध शिविर में ही रहती थी। एक बार कुंती और गांधारी भी वहां पर आई थी।
10.महाभारत के अंतिम दिन के बाद जब दुर्योधन का वध किया जा रहा था तो बलरामजी ने आकर दुर्योधन का पक्ष लिया था और तब फिर भीम और दुर्योधन में गदा युद्ध हुआ और अंत में भीम ने दुर्योधन के वध कर दिया था।