आप यह तो जानते ही हैं कि रामायण काल के श्री हनुमानजी, श्री जामवंतजी और मयासुर, परशुराम और दुर्वासा ऋषि सहित कई लोग महाभारत काल में भी मौजूद थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाभारत भी भी राम कथा का वर्णन मिलता है।
दरअसल, महाभारत में रामकथा का वर्णन मिलता है। महाभारत की एक घटना के बाद राम कथा का वर्णण मिलता है जब जयद्रथ के द्वारा द्रौपदी का अपहरण किया जाता है और फिर पांडव द्रौपदी को जयद्रथ से छुड़ाकर जयद्रथ के बाल काट देते हैं। अपहरण से युधिष्ठिर बहुत दुखी हो जाते हैं और सोचते हैं कि द्रौपदी सहित सभी पांडव सच्चरित्रता, सत्य परायणता और धर्म के अनुसार चलने वाले हैं फिर भी उन्हें इतने दु:ख क्यों उठाने पड़ रहे हैं। वे दु:खी होकर चिरंजीवी ऋषि मार्कण्डेय इसका कारण पूछते हैं। तब मार्कण्डेय ऋषि उन्हें राम गथा बताते हैं जिसे 'रामोपाख्यान' नाम से जाना जाता है।
इस कथा में रावण, कुंभकर्ण, शूर्पनखा, विभीषण और खर आदि की जन्म कथा के सात ही राम और सीता के जन्म की कथा भी मिलती है। कुछ ऐसी भी कथाएं हैं तो मूल वाल्मीकि रामायण नहीं मिलती है। जैसे उत्तर रामायण की कथा। इसके अलावा मार्कण्डेय ऋषि अपनी कथा में रावण की माता का नाम पुष्पोत्कटा बताते हैं जबकि लोकश्रुतियों और रामायण के अलग-अलग उत्तरकाडों के रचयिताओं ने उसकी मां का नाम कैकशी बताया है जो राक्षसराज सुमालि की पुत्री थी।
इसी तरह रामोपाख्यान में मंथरा का जिक्र, हनुमानजी की सुग्रीव से मित्रता, त्रिजटा और अविंध्य राक्षस का जिक्र, हनुमान जी की लंका यात्रा, लंका दहन, समुद्र सेतु बनने की कथा, विभीषण का श्री राम की शरण में आना, लंका में राम रावण का युद्ध, लक्ष्मण का मूर्छित होना, सीता माता की अग्नि परीक्षा और श्रीराम के राज्याभिषेक का वर्णन वाल्मीकि रामायण से छोड़ा भिन्न मिलता है।
महाभरत के वनपर्व में अध्याय 273 से 291 तक श्री राम कथा का वर्णन मिलता है।