Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

क्या महाभारत में छुपा है इसराइल के यहूदी धर्म का चौंकाने वाला रहस्य?

हमें फॉलो करें क्या महाभारत में छुपा है इसराइल के यहूदी धर्म का चौंकाने वाला रहस्य?

अनिरुद्ध जोशी

यहां जो जानकारी दी जा रही है वह बाइबल और महाभारत के अलावा अन्य स्रोत पर आधारित है। जरूरी नहीं कि यह सच हो। यह शोध का विषय है। जिस तरह भगवान ब्रह्मा और प्रॉफेट अब्राहम, राजा मनु और प्रॉफेट नूह की कहानी में असाधारण रूप से समानता है उसी तरह मूसा और भगवान कृष्ण के जीवन में भी समानता है। समानताओं के आधार पर निश्‍चित ही यह कहा जा सकता है कि प्राचीनकाल में सभी धर्मों के रीति-रिवाज और नियम एक ही थे और संभवत: उक्त धर्मों की स्थापना किसी एक ही जाति समूह के लोगों ने की होगी। आओ जानते हैं इसी तरह की समानता को लेकर एक अन्य जानकारी।
 
 
कहते हैं कि महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद गांधारी के शाप के चलते जब यदुवंशियों के बीच द्वारिका के प्रभाष क्षेत्र में मौसुल युद्ध हुआ तो उस समय कई यदुवंशी द्वारिका छोड़कर समुद्र के रास्ते पश्‍चिम की ओर भाग गए थे। भागकर वे शाम (सीरिया), अरब, मिस्र (इजिप्ट) होते हुए फिलिस्तीन, इसराइल पहुंच गए थे। यह घटना लगभग 3020 ईसा पूर्व की मानी जाती है। तभी से वहीं पर कुछ यदुवंशी रह रहे थे। उन्हीं यदुवंशियों ने इसराइल में एक नए साम्राज्य की स्थापना की। इधर, यदुवंशियों के कुछ समूह को अर्जुन बचाकर हस्तिनापुर ले जा रहे थे लेकिन रास्ते में दस्युओं के हमले से कई यदुवंशी मारे गए। बच गए थे तो श्रीकृष्ण की पत्नियां और उनका एक प्रपोत्र जिसका नाम व्रजनाभ था। व्रजनाभ से ही ब्रजमंडल प्रसिद्ध हुआ।

ALSO READ: यहूदी धर्म की 6 बड़ी बातें
 
जनश्रुति के अनुसार उधर इसराइल में बसे यदुवंशियों ने एक नए धर्म की स्थापना की जिसमें आगे चलकर ही अब्राह्म हुए। शोधकर्ताओं ने इसके बाद के यहूदी प्रॉफेट मूसा और श्रीकृष्ण की समानता पर शोध करके यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि यहूदी और हिन्दू धर्म में कितनी समानता है या कि यादवों के कारण ही यहूदी धर्म को यहूदी कहा जाता है। हालांकि इस पर और भी शोध किए जाने की आवश्यकता है, क्योंकि यह पूर्णत: सच नहीं हो सकता।
 
 
कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण और मूसा और उनके भाई बलराम और हारून में बहुत हद तक समानता है, फिर भी दोनों अलग-अलग सभ्यताओं के जन्म देने वाले प्रॉफेट हैं। आओ हम जानते हैं कि उनमें क्या और किस तरह की समानताएं हैं?
 
1. भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के पहले अत्याचारी कंस के लिए आकाशवाणी हुई थी कि देवकी की 8वी संतान तेरा वध करेगी। उसी तरह मूसा के जन्म के पहले मिस्र के राजा फराओ के लिए भविष्यवाणी की गई थी कि तेरा अंत राज्य में जन्मे एक व्यक्ति के हाथों होगा, जो जन्म ले चुका है।
 
 
2. आकाशवाणी सुनने के बाद कंस ने 8वीं संतान के उत्पन्न होकर गायब होने के बाद राज्य के सभी बच्चों को मारने का हुक्म दे दिया था। ठीक उसी तरह मिस्र के राजा ने भी राज्य के सभी बच्चों को मारने का हुक्म दे दिया था, जो 1 वर्ष से कम उम्र के थे।
 
3. हुक्म के पहले ही जिस तरह भगवान श्रीकृष्ण को उनके पिता ने एक सूपड़े में रखकर नदी के पार नंद के यहां छोड़ दिया था, उसी तरह मूसा की माता ने मूसा को एक टोकरी में नदी में छोड़ दिया था। कुछ समय बाद मिस्र की रानी ने जब उस टोकरी को देखा तो उन्होंने उसमें से उस बच्चे को लेकर उसका पालन-पोषण किया। इस तरह श्रीकृष्ण और प्रॉफेट मूसा को दूसरी मां ने पाला।
 
 
4. जिस तरह श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम थे लेकिन प्रमुखता श्रीकृष्ण की थी, इसी तरह प्रॉफेट मूसा के बड़े भाई हारून थे लेकिन प्रसिद्धि प्रॉफेट मूसा को ही मिली।
 
5. भगवान श्रीकृष्ण के मुख से गीता की वाणी प्रकट हुई तो प्रॉफेट मूसा के मुख से यहूदी धर्म के 10 नियम निकले जिन पर यहूदी धर्म कायम है।
 
6. भगवान श्रीकृष्ण जिस तरह अपने लोगों के साथ मथुरा से निकलकर अपने पूर्वजों की भूमि द्वारका चले गए थे उसी तरह जब मूसा को पता चला कि मेरे पूर्वजों की भूमि तो बनी-इसराइल(यरुशलम) है, तो वे भी अपने सभी हिब्रू कबीले के लोगों को लेकर मिस्र से निकल गए थे। यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक पलायन था।
 
 
7. श्रीकृष्ण के आखिरी दिनों में यदुवंशियों ने उनकी अवहेलना शुरू कर दी थी। कोई भी यदुवंशी उनकी बात नहीं मानता था और इसी कारण उनमें आपस में युद्ध हुआ और वे सभी मारे गए। इसी तरह मूसा की कहानी में भी यह पढ़ने को मिलता है कि बनी-इसराइल के लोगों ने बाद में मूसा के आदेश को मानने से इंकार कर दिया था जिसके कारण उनके कबीले में बिखराव हो गया था।
 
8. ऐसा कहते हैं कि प्रॉफेट मूसा जिस यहूदी जाति से हैं उस यहूदी जाति का नाम 'यदु' शब्द से ही निकला है। द्वारिका के जलमग्न होने और मूसा का कालखंड भी लगभग एक ही है। अरब के करीब बसे सीरिया का प्राचीन नाम शाम है, जो कृष्ण के श्याम नाम का ही अपभ्रंश है। इस तरह हमने देखा कि श्रीकृष्ण और प्रॉफेट मूसा में कितनी समानताएं हैं। श्रीकृष्ण और क्राइस्ट में भी ढेर सारी समानताएं देखने को मिलती है।
 
 
हालांकि यहूदी और ईसाई धर्म में हमें यह कहानी मिलती है-
 
बाढ़ के 350 साल बाद हज. नूह की वफात हो गई। नूह के स्वर्ग जाने के ठीक 2 साल बाद प्रॉफेट अब्राहम का जन्म हुआ। बाइबिल में जिसे उत्पत्ति कथा कहते हैं, उसे पुराणों में सृष्टि रचना कथा कहा गया है। ब्रह्मा के पुत्र और पौत्रों के वंश की कथा का विस्तार मिलता है। भारत की नदी सरस्वती के तट पर ही बैठकर वेद लिखे गए और यहीं पर ब्रह्मा और उनके पूर्वज रहते थे। कहते हैं कि जब सरस्वती नदी में तूफान शुरू हुआ तब प्रॉफेट अब्राहम के पिता अपने परिवार के साथ यह क्षेत्र छोड़कर उर प्रदेश में जाकर बस गए थे। प्रॉफेट अब्राहम के पिता का नाम तेरह था जिनकी 3 संतानें थीं अब्राहम, नाहूर और हराम। नूह के दूसरे बेटे शेम की नौवीं पीढ़ी में तेरह हुआ।
 
 
यहूदी धर्म की शुरुआत प्रॉफेट अब्राहम या अबराहम से मानी जाती है, जो ईसा से लगभग 2,000 वर्ष पूर्व हुए थे। पैगंबर अब्राहम के पहले बेटे का नाम हजरत इसहाक और दूसरे का नाम हजरत इस्माइल था। दोनों के पिता एक थे किंतु मां अलग-अलग थीं। हजरत इसहाक की मां का नाम सराह था और हजरत इस्माइल की मां हाजरा थीं।
 
इस्लाम के अनुसार प्रॉफेट अबराहम को पैगंबर अलै. इब्राहीम कहा जाता है। प्रॉफेट अब्राहम के पोते का नाम हजरत अलै. याकूब था। याकूब का ही दूसरा नाम इसराइल था। माना जाता है कि याकूब ने ही यहूदियों की 12 जातियों को मिलाकर एक सम्मिलित राष्ट्र इसराइल बनाया था। याकूब के एक बेटे का नाम यहूदा (जूदा) था। यहूदा के नाम पर ही उसके वंशज यहूदी कहलाए और उनका धर्म यहूदी धर्म कहलाया। हजरत अब्राहम को यहूदी, मुसलमान और ईसाई तीनों धर्मों के लोग अपना पितामह मानते हैं। आदम से अब्राहम और अब्राहम से मूसा तक यहूदी, ईसाई और इस्लाम सभी के पैगंबर एक ही हैं किंतु मूसा के बाद यहूदियों को अपने अगले पैगंबर के आने का अब भी इंतजार है।
 
 
यहूदी अपने ईश्वर को यहवेह या यहोवा कहते हैं। यहूदी मानते हैं कि सबसे पहले ये नाम ईश्वर ने हजरत मूसा को सुनाया था। ये शब्द ईसाइयों और यहूदियों के धर्मग्रंथ बाइबिल के पुराने नियम में कई बार आता है। यहूदियों की धर्मभाषा 'इब्रानी' (हिब्रू) और यहूदी धर्मग्रंथ का नाम 'तनख' है, जो इब्रानी भाषा में लिखा गया है। इसे 'तालमुद' या 'तोरा' भी कहते हैं। असल में ईसाइयों की बाइबिल में इस धर्मग्रंथ को शामिल करके इसे 'पुराना अहदनामा' अर्थात ओल्ड टेस्टामेंट कहते हैं। तनख का रचनाकाल ईपू 444 से लेकर ईपू 100 के बीच का माना जाता है।
 
 
ईसा से लगभग 1,500 वर्ष पूर्व अबराहम के बाद यहूदी इतिहास में सबसे बड़ा नाम 'पैगंबर मूसा' का है। मूसा ही यहूदी जाति के प्रमुख व्यवस्थाकार हैं। मूसा को ही पहले से ही चली आ रही एक परंपरा को स्थापित करने के कारण यहूदी धर्म का संस्थापक माना जाता है।
 
यहूदी धर्म का इतिहास करीब 6,000 साल पुराना माना जाता है। कहते हैं कि मिस्र के नील नदी से लेकर इराक के दजला-फरात नदी के बीच आरंभ हुआ यहूदी धर्म का इसराइल सहित अरब के अधिकांश हिस्सों पर राज था। प्रॉफेट मूसा से लेकर हजरत सुलेमान तक प्राचीन समय में ही यहूदियों का 'भारत' से गहरा संबंध रहा है। इस बात के कई प्रमाण मौजूद हैं। हालांकि क्या यादवों की एक शाखा से ही यहूदी धर्म की उत्पत्ति हुई है? यह शोध का विषय हो सकता है और इसे सच माना जाना कठिन है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बछ बारस के दिन अवश्य पढ़ें गोवत्स द्वादशी की यह पौराणिक कथा