महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मराठा नेता जरांगे पाटिल के पीछे हटने से मराठवाड़ा में मौका-मौका?
विधानसभा चुनाव में बागी महायुति और महाविकास अघाड़ी के लिए बने चुनौती!
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अब सियासी पिक्चर लगभग साफ हो गई है। सोमवार को नाम वापसी के आखिरी दिन महायुति और महाविकास अघाड़ी के कई बड़े चेहरों ने अपना नामांकन वापस ले लिया तो मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रमुख नेता मनोज जरांग ने चुनाव नहीं लड़ने का एलान सियासी पंडितों को चौंका दिया है। वहीं अब सभी पार्टियों अपने बागी उम्मीदवारों के खिलाफ कार्रवाई शुरु कर दी है।
चुनावी मैदान से हटे मनोज जरांगे पाटिल-महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन की अगुवाई करने वाले मनोज जरांगे पाटिल ने चुनावी मैदान में उतरने का अपना फैसला वापस ले लिया है। इससे पहले मनोज जारंगे पाटिल ने मराठा वोटर्स के प्रभाव वाली सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का एलान किया था। वहीं नाम वापसी के आखिरी दिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है।
मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि हम चुनाव में नहीं उतर रहे, लेकिन हम चाहते हैं कि आप लोग खुद तय करें कि किसे हराना है और किसे चुनना है। मराठा आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने कहा वे न तो किसी पार्टी का समर्थन करेंगे और न ही अपने उम्मीदवार उतारेंगे। वहीं मनोज जरांगे पाटिल ने अपने समर्थकों से अपील की कि वे चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय रहें, लेकिन वे किसी भी उम्मीदवार या पार्टी का समर्थन नहीं करें।
मराठवाड़ा में मौका-मौका?-दरअसल जरांगे पाटिल नेल मराठा समुदाय के लिए कई सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया था जिसमें उन्होंने पार्वती और दौड़ विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों का समर्थन करने की बात भी की थी। अगर विधानसभा चुनाव में जरांगे अपने उम्मीदवार उतारते तो चुनाव में मराठवाड़ा में मराठा वोटों के बंटवारे का खतरा हो जाता है और वि दें तो मराठा वोट बंट जाते और एंटी इंकमबेंसी में जो वोट महाविकास अघाड़ी के साथ जाने की संभावना है वहां पाटिल के खाते में जाता है जिसका सीधा नुकसान महाविकास अघाड़ी को होता हैय़
मनोज जरांगे पाटिल के इस फैसले को महायुति गठबंधन के लिए बडा झटका माना जा रहा है। जरांगे के चुनावी मैदान से हटने से मराठा समुदाय के वोटों में बंटवारा होने की संभावना कम हो गई है और इसका सीधा फायदा विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी को होगा। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में जारंगे पाटिल ने अपने समर्थकों से महायुति के खिलाफ वोट करने की अपील की थी जिसका असर चुनाव परिणाम पर भी दिखा था।
बागियों की चुनौती-महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इस बार बागी सत्तारूढ गठबंधन महायुति और विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी के लिए चुनौती बने हुए है। विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी को एक दर्जन से अधिक सीटों पर बागी उम्मीदवारों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं सत्तारूढ गठबंधन महायुति को मुंबई में अनुशक्ति नगर, शिवाजी नगर-मानखुर्द, बांद्रा पूर्व और सेवरी सीटों पर बागियों का सामना करना पड़ रहा है।
हाईप्रोफाइल मानखुर्द शिवाजी नगर सीट से नवाब मलिक अजीत पवार एनसीपी से चुनाव लड़ रहे है तो शिंदे शिवसेना से सुरेश पाटिल भी चुनावी मैदन में है। वहीं समाजवादी पार्टी ने इस सीट से अबू आजमी को चुनावी मैदान में उतारा है। दरअसल महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी 8 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जिसमें मानखुर्द शिवाजी नगर और भिवंडी में तो महाविकास अघाड़ी ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे है लेकिन अन्य छह विधानसभा सीटों पर एमवीए और सपा उम्मीदवार के बीच फ्रेंडली फाइट देखने को मिलेगी.
वहीं नाम वापसी के बाद अब बागियों के खिलाफ कार्रवाई भी शुरु हो गई है। उद्धव ठाकरे ने 5 बागियों को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। इसके एक पूर्व विधायक भी शामिल है। हलांकि नाम वापसी के आखिरी दिन सोमवार को महायुति और महा विकास अघाड़ी के 45 बागी उम्मीदवारों ने नाम वापस ले लिया। भाजपा और कांग्रेस के 10-10, एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना के 8 और अजित पवार गुट की एनसीपी के 6 उम्मीदवारों ने नाम वापस लिए। उद्धव ठाकरे की शिवसेना-यूबीटी के 7 और शरद पवार गुट की एनसीपी-एसपी के 4 बागी उम्मीदवार भी मैदान से हट गए।