Hindi in schools of Maharashtra: महाराष्ट्र सरकार ने मराठी और अंग्रेजी (Marathi and English) माध्यम के स्कूलों में पहली से 5वी कक्षा तक के छात्रों के लिए हिन्दी (Hindi) को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने का आदेश जारी किया है। मराठी भाषा (Marathi language) के पक्षधरों ने आरोप लगाया है कि सरकार शुरू में इस नीति से पीछे हटने के बाद गुपचुप तरीके से इसे फिर से लागू कर रही है।
आदेश में कहा गया है कि जो छात्र हिन्दी के विकल्प के रूप में कोई अन्य भाषा सीखना चाहते हैं, उनकी संख्या 20 से अधिक होनी चाहिए। ऐसी स्थिति में उस विशेष भाषा के लिए एक शिक्षक उपलब्ध कराया जाएगा या भाषा को ऑनलाइन पढ़ाया जाएगा। आलोचकों का दावा है कि सरकार का यह ताजा कदम स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे के पहले के बयानों के विपरीत है जिनमें उन्होंने कहा था कि प्राथमिक कक्षाओं के लिए हिन्दी अनिवार्य नहीं होगी। हालांकि सरकारी आदेश में छात्रों को हिन्दी के बजाय किसी अन्य भारतीय भाषा को चुनने का सशर्त विकल्प दिया गया है, लेकिन इसमें यह भी कहा गया है कि प्रत्येक स्कूल में कम से कम 20 छात्रों को यह विकल्प चुनना होगा।
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आदेश में कहा गया है कि अगर ऐसी मांग उठती है तो या तो शिक्षक की नियुक्ति की जाएगी या भाषा ऑनलाइन पढ़ाई जाएगी। आदेश में यह भी कहा गया है कि अन्य शिक्षण माध्यमों से पढ़ाई कराने वाले स्कूलों में त्रिभाषा सूत्र में माध्यम भाषा, मराठी और अंग्रेजी शामिल होनी चाहिए। इस साल की शुरुआत में राज्य सरकार को 1ली कक्षा से हिन्दी पढ़ाए जाने के अपने प्रस्ताव के लिए व्यापक विरोध का सामना करना पड़ा था। 22 अप्रैल को भुसे ने कहा था कि पहली से 5वी कक्षा तक हिन्दी अब अनिवार्य नहीं होगी।
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पिछले महीने पुणे में एक कार्यक्रम में मंत्री ने कहा था कि 1ली कक्षा से तीसरी भाषा के रूप में हिन्दी शुरू करने का निर्णय पहले लिया गया था। हालांकि कई अभिभावकों ने सुझाव दिया है कि इसे 3री कक्षा से शुरू किया जाना चाहिए। हम आगे कोई भी निर्णय लेने से पहले इन सुझावों पर विचार करेंगे। उन्होंने उस समय यह भी कहा था कि तीन-भाषा फॉर्मूला स्थगित है और स्कूल अभी मौजूदा दो-भाषा प्रणाली के साथ जारी रहेंगे।
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मराठी भाषा को संरक्षित करने के लिए काम कर रहे मुंबई में स्थित मराठी भाषा अभ्यास केंद्र के दीपक पवार ने दावा किया कि यह कुछ और नहीं, बल्कि गुपचुप तरीके से हिन्दी थोपना है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लोगों से विरोध करने का आग्रह करते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने मराठी लोगों के साथ विश्वासघात किया है। अगर हम अब चुप रहे तो यह संघीय ढांचे और संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन की विरासत को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसंत कल्पांडे ने कहा कि एक कक्षा में 20 छात्रों के हिन्दी की वैकल्पिक भाषा चुनने की संभावना नहीं है। उन्होंने दावा किया कि ऑनलाइन शिक्षक उपलब्ध कराने का प्रावधान हिन्दी के अलावा किसी अन्य भाषा को चुनने को हतोत्साहित करने का एक प्रयास है। हालांकि मराठी और हिन्दी की लिपियां समान हैं, लेकिन इतनी कम उम्र के छात्रों के लिए लिपियों के बीच की बारीकियों और अंतरों को सीखना बहुत मुश्किल होगा। कल्पांडे ने बताया कि गुजरात और असम में तीसरी भाषा के रूप में हिन्दी अनिवार्य नहीं है।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta